नयी दिल्ली/मुंबई, 23 नवंबर, कांग्रेस सहित सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने महाराष्ट्र में एक नाटकीय घटनाक्रम में अचानक फडनवीस सरकार के गठन की घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे लोकतंत्र का ‘चीर हरण’ बताया और आरोप लगाया है कि यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृहमंत्री अमित शाह के ‘इशारे’ पर हुआ है।कांग्रेस के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, शिव सेना, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने महाराष्ट्र की घटना को संविधान की धज्जियां उड़ाने वाला करार दिया और कल आधी रात से सुबह तक इस पूरे घटनाक्रम का ब्योरा सरकार से देने की मांग की है। भाकपा ने तो इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग की है और कहा है कि संविधान के मूल्यों और परंपराओं की रक्षा की जानी चाहिए।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडनवीस और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार द्वारा सुबह शपथ ग्रहण करने की घटना से आक्रोशित कांग्रेसी नेताओं ने मुंबई में प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल, मल्लिकार्जुन खडगे और सुशील कुमार शिंदे ने एक स्वर में भाजपा के इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की। राष्ट्रीय राजधानी में कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीपसिंह सुरजेवाला ने कहा कि किसी भी राज्य से राष्ट्रपति शासन हटाने की एक प्रक्रिया होती है और सरकार को इसका विवरण देना चाहिए।श्री पटेल ने सरकार के गठन की प्रक्रिया की कड़ी निंदा की और कहा कि विश्वास प्रस्ताव में राकांपा तथा शिव सेना मिलकर उसे शिकस्त देगी। उन्होंने कहा कि सुबह-सुबह श्री फडनवीस को बिना बैंड, बाजा के बारात की तरह मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गयी। महाराष्ट्र के इतिहास में शायद पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है। इस राजनीतिक घटनाक्रम को राज्य के इतिहास में काली स्याही से लिखा जाएगा। विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव आएगा तो भाजपा तथा उसका साथ देने वालों को मिलकर शिकस्त देंगे।श्री सुरजेवाला ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि 23 नवंबर का दिन लोकतंत्र के इतिहास में काला दिन के रूप में जाना जाएगा, जब महाराष्ट्र में अवसरवादी अजीत पवार को जेल की सलाखों का डर दिखाकर सत्ता के लिए ‘अंधी’ भाजपा ने प्रजातंत्र की हत्या की और जनादेश के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने श्री मोदी तथा श्री शाह के इशारे पर लोकतंत्र की हत्या की है।प्रवक्ता ने राष्ट्रपति शासन हटाने तथा सरकार बनाने तक के पूरे घटनाक्रम की सरकार से जानकारी मांगते हुए कहा कि वह बताए कि सरकार बनाने के दावे पर भाजपा तथा राकांपा के कितने विधायकों के हस्ताक्षर थे और राज्यपाल ने उनके हस्ताक्षरों को रात के अंधेरे में एक घंटे में कब और कैसे प्रमाणित किया। उन्होंने पूछा कि राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा कितने बजे की और केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक इसको लेकर रात कितने बजे हुई और बैठक में कौन-कौन मंत्री मौजूद थे। मंत्रिमंडल ने कितने बजे राष्ट्रपति शासन हटाने की अनुशंसा राष्ट्रपति से की थी।
शनिवार, 23 नवंबर 2019
महाराष्ट्र में हुआ लोकतंत्र का ‘चीरहरण’: विपक्ष
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