जमशेदपुर : सरयू राय ने रघुवर के भ्रष्टाचार को किया उजागर, ठोका ताल - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 26 नवंबर 2019

जमशेदपुर : सरयू राय ने रघुवर के भ्रष्टाचार को किया उजागर, ठोका ताल

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जमशेदपुर (प्रमोद कुमार झा)  मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ उन्हीं के मंत्रीमंडल सहयोगी जमशेदपुर पुर्वी में मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ ताल ठोंककर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में है ।सरयू राय ने आज संवाददाता सम्मेलन कर मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ भ्रष्टाचार के एक नये प्रमाण पेश किये हैं । गैस सिलेंडर लेकर सरयू राय ने मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ भ्रष्टाचार के दिये पुख्ता सबूत ,कहा-21 करोड़ रुपये का मैनहर्ट का किया घोटाला और फाईल को दबा दी । उन्होंने अपने प्रमाण मे कहा है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास दागदार हैं और जनता की अदालत में इसका फैसला करेगी श्री राय ने बताया कि मुख्यमंत्री रघुवर दास कहते हैं कि उन पर कोई दाग नहीं है, तो वे बतायें कि पांच अभियंता प्रमुखों की कमिटी और उसके बाद निगरानी की तकनीकी समिति द्वारा मैनहार्ट परामर्शी की नियुक्ति में तत्कालीन वित्तमंत्री एवं नगर विकास मंत्री रहते हुए रघुवर दास को दोषी ठहराना और अभी तक कार्रवाई नहीं किया जाना दाग है या नहीं? तथा किसी भी मंत्री और मुख्यमंत्री पर इससे गहरा दाग और क्या हो सकता है ?  कहावत है कि लम्हों ने खता की सदियों ने सजा पाई यह कहावत इस मामले में भी सही ठहरती है कि रघुवर दास ने नगर विकास मंत्री रहते हुए मैनहार्ट को परामर्शी नियुक्त कर जो खता 2005 ई0 में की , उसकी सजा राजधानी- राँची की करीब बीस लाख जनता भुगत रही है । उन्होंने बताया कि वर्ष 2003 ई0 मे तत्कालीन नगर विकास मंत्री बच्चा सिंह ने राँची के सिवरेज डेरेनेज स्कीम तैयार करने के लिए आर आर जी मार्ग को करीब तीन करोड़ मे परामर्शी नियुक्त किया था ।इसके प्रारंभिक प्रोजेक्ट रिपोर्ट. तैयार कर सरकार को दिया था । ताकि कोई संशोधन सरकार की तरफ से आये तो उसे शामिल कर डी पी आर जमा किया जाय ,वर्ष 2005ई0 मे रघुवर दास नगर विकास मंत्री एवं वित्तमंत्री बने तो उन्होने ओआरजी मार्ग को बिना नोटिस दिये उनके साथ हुआ एकरारनामा रद्द कर दिया ।राँची उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त आर्बिटेटर ने सूद सहित पैसा ओ आर जी मार्ग को देने का निर्देश दिया ।रघुवर दास ने नया परामर्शी बहाल करने के लिए गलोबल निविदा निकाला ।निविदा मुल्यांकन समिति की मीटिंग बुलाई और कहा कि निविदा को रद्द करने के बदले कतिपय शर्तों को बदलकर मुल्यांकन किया जाए । निविदा शर्त मे शामिल था कि निविदा दाता पिछले तीन साल का टर्न ओवर जमा करेंगे ,जिसका वार्षिक औसत चालीस करोड़ रुपये होना चाहिए ।मैनहार्ट ने केवल दो वर्षों की ही टर्न ओवर दिया फिर भी उसे करीब चौबीस करोड़ रुपये में परामर्शी बहाल कर लिया गया यह निर्णय तत्कालीन मंत्री स्तर पर हुआ विपक्ष ने यह मामला विधानसभा में उठाया उनके यानी सरयू राय की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की समिति बनी ।समिति में मैनहार्ट को अयोग्य करार दिया और इसे नियुक्त करने के लिए दोषियों पर कार्रवाई करने की अनुशंसा की ,रघुवर दास ने विधानसभा अध्यक्ष को दो बार पत्र लिखकर कोशिश की कि समिति की जांच पूरी नहीं हो यह मामला राँची उच्च न्यायालय में गया ,उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने आदेश दिया कि प्रार्थी निगरानी आयुक्त के यहाँ जाए । यदि गडबडी हुई है तो नियमानुसार कार्रवाई करें ।प्रार्थी ने निगरानी आयुक्त के यहां आरोप पत्र प्रस्तुत किया निगरानी के तकनीकी कोषांग इसकी जांच की और पाया कि मैनहार्ट की नियुक्ति गलत है । इसके निविदा प्रकाशन से निविदा निष्पादन तक मे त्रुटि हुई है ।इसके साथ ही राज्य के पाँच अभियंता प्रमुखों की एक समिति ने सरकार के आदेश पर इसकी जांच की । पांचों ने रिपोर्ट दी कि मैनहार्ट अयोग्य था और परामर्शी नियुक्त करने में भूल हुई है इस बीच तत्कालीन निगरानी महानिरीक्षक ने सरकार को कहा कि उन्हें जांच पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया जाए । उन्होंने पांच पत्र लिखे पर कोई कार्रवाई नहीं हुआ उस अवधि में राज बाला बर्मा एवं जे बी तुबिद( दोनों पति - पत्नी ) झारखण्ड के निगरानी आयुक्त थे ।अब यह मामला पुनः उच्च न्यायालय गया ।उच्च न्यायालय ने प्रार्थी को ए सी बी से जांच कराने के लिए निगरानी आयुक्त के पास जाने को कहा परन्तू अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है । तीन करोड़ की जगह चौबीस करोड़ रुपये के खर्च पर मैनहार्ट को परामर्शी नियुक्त करने ,विधानसभा समिति ,पांच अभियंता ,प्रमुखों और निगरानी के तकनीकी कोषांग द्वारा जांच मे परामर्शी की नियुक्ति अवैध सिद्ध हो जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद भी यदि मुख्यमंत्री यह कहते हैं कि वे बेदाग हैं तो दाग की उनकी अपनी परिभाषा हो सकती है ।

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