नई तालीम और सेवाग्राम माॅडल की ओर वापस जाने की आवश्यकता : अनीता रामपाल! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 25 नवंबर 2019

नई तालीम और सेवाग्राम माॅडल की ओर वापस जाने की आवश्यकता : अनीता रामपाल!

नई शिक्षा नीति पर समीक्षात्मक परिचर्चा सम्पन्न!
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लखनऊ (आर्यावर्त संवाददाता)  लखनऊ के निशातगंज स्थित कैफी आज़मी प्रेक्षागृह में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर एक समीक्षात्मक परिचर्चा का आयोजन विज्ञान फाउण्डेशन व आॅक्सफैम इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर जानी मानी शिक्षाविद दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुश्री अनीता रामपाल जी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए विज्ञान फाउण्डेशन से ऋचा ने अतिथियों का स्वागत किया। इसके पश्चात् परिचर्चा के सन्दर्भ को रखते हुए सरकारी शिक्षा से जुड़े अपने अनुभव साझा किए और ऐसे परिदृश्य में आई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सम्भावित प्रभावांे पर बात रखी।

आॅक्सफैम इंडिया से आए श्री बिनोद सिंहा ने सार्वजनिक शिक्षा में बढ्ती असमानता पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि यहां हाल ही में 2019 की भारत में असमानता की रिपोर्ट जारी की,रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि भारत ने पिछले वर्ष में 18 नए अरबपतियों को जोड़ा और कुल अरबपतियों की संख्या 119 तक बढ़ी। पहली बार उनकी संपत्ति ने 400 बिलियन अमरीकी डॉलर (रु.28000 बिलियन) के आंकड़े को पार किया। यह वर्ष 2017 में 325.5 बिलियन अमरीकी डॉलर (रु.22725 बिलियन) से बढ़कर 440.1 बिलियन अमरीकी डॉलर (रुण.30807 बिलियन) हो गया। यह वर्ष 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से अब तक की सबसे बड़ी वृद्धि है। भारत में सबसे अमीर एक प्रतिशत द्वारा उनकी संपत्ति पर केवल 0.5 प्रतिशत अतिरिक्त कर का भुगतान करने से सरकारी धन को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए पर्याप्त धन जुटाया जा सकता है। पिछले साल में, भारत में शीर्ष 1 प्रतिशत की संपत्ति में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि नीचे के 50 प्रतिशत की संपत्ति में 3 प्रतिशत की निराशाजनक वृद्धि हुई। वैश्विक स्तर पर, धनी व्यक्तियों और निगमों की कर दरों में भी नाटकीय रूप से कटौती की गई है। उदाहरण के लिए, अमीर देशों में व्यक्तिगत आयकर की शीर्ष दर वर्ष 1970 में 62 प्रतिशत से गिरकर वर्ष 2013 में केवल 38 प्रतिशत हो गई। गरीब देशों में औसत दर सिर्फ 28 प्रतिशत है।

इसके बाद आज के कार्यक्रम की मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर सुश्री अनीता रामपाल जी ने बहुत ही विस्तार से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि किस प्रकार शिक्षा नीति में इस फोकस की कमी है कि बच्चों किस प्रकार सीखने की दक्षता हासिल करेंगे। साथ ही इसमें काफी ज़ोर तकनीकि व औद्योगिक फंडिंग पर है। सबसे बड़ी बात ये है कि यह नीति बड़ी मुश्किल और संघर्षों से हासिल शिक्षा के अधिकार कानून को असल में कमज़ोर करती नज़र आ रही है। यह गरीब बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा से महरूम करती है। इस नीति मंे कई मुद्दे तो ठीक प्रकार से चिन्हित किए गए हैं पर असल में उनका निराकरण कैसे होगा इस पर स्पष्टता की बेहद कमी है।  अनीता रामपाल जी ने बताया कि अनेक देश जो गुणवत्तापरक शिक्षा देने के मामले में अव्वल श्रेणी मंे आते हैं उनके यहां समेकित शिक्षा पर ज़ोर दिया गया है। अमीर गरीब के लिए अलग स्कूल नहीं हैं जबकि नई शिक्षा नीति में ठक्कर आयोग तक की सिफारिशों की अनदेखी की गई है और विधिक विशेषज्ञों का तो मानना है कि राष्ट्रीय शिक्षा आयोग बनाकर सब चीज़ों को केंद्रित करने की कोशिश शिक्षा के संविधान में समवर्ती सूचि में रखने के उद्देश्य की अवहेलना है और असल में संविधान के खिलाफ है। साथ ही उन्होंने रेमेडियल एडुकेशन एड के और नेशनल ट्यूटर प्रोग्राम के औचित्य पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है। विज्ञान फाउण्डेशन के सचिव श्री संदीप खरे ने मुख्य उद्बोधन के बाद अपनी बात रखते हुए आगे के परिपेक्ष्य पर चर्चा की और आगे कैसे स्कोर नेटवर्क बच्चों के हित में इस मुद्दे पर कैसे काम कर सकता है इस पर अपने विचार रखे। अंत में संस्था के प्रतिनिधि ने धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम का औपचारिक समापन किया। उक्त परिचर्चा में स्कूल प्रबंधन समिति सदस्यों, नागर समाज के प्रतिनिधियों व शिक्षा पर काम करने वाले सैकड़ों लोगों ने प्रतिभाग किया।

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