जमशेदपुर (आर्यावर्त संवाददाता) विधान सभा चुनाव में भले राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने-अपने एजेंडे बताते रहें हों लेकिन अध्ययन बताता है कि वनों पर सामुदायिक मालिकाना का मदद जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 2014 के विधान सभा के परिणाम के अध्धयन और जमीनी हालतबताते हैं कि कुल 62 विधान सीटों पर वनाधिकार निर्णायक साबित हुआ है। वनाधिकार के मामलों में राज्य की जनता ने भाजपा और जेएम एम पर कांग्रेस की तुलना में ज्यादा भरोसा किया है। भले वनाधिकार कानून को 2006 में कांग्रेस की सरकार ने लाया लेकिन 2014 के चुनाव में एस टी के आरक्षित 28 सीटों में जे एम एम को 13 एवं भाजपा को 11 सीटें मिली। कांग्रेस दो सीटों पर रनर अप जरूर रही लेकिन एक भी रिज़र्व सीट पर जीत हासिल नहीं हुआ। राज्य की 10 क्रिटिकल वैल्यू वाली सीट पर 2014 के चुनाव में भाजपा को 5, जे एम एम को1 एवम अन्य को 4 सीटों पर जीत हासिल हुई है। हाई वैल्यू की 26 सीटों पर भाजपा को 9, जे एम एम को 11, एवं अन्य को 6 सीटों पर जीत हासिल हुआ। गुड वैल्यू वाली 26 सीटों में भाजपा को 12, जे एम एम को 7 एवं अन्य को 7 सीटें मिली। क्रिटिकल वैल्यू से आशय जिन विधान सभा क्षेत्रों में वन संसाधनों पर एक लाख से ज्यादा आदिवासी एवं एस सी आबादी आश्रित हैं और उनका दावा जंगल पर वनाधिकार कानून के तहत बनता है। हाई वैल्यू वाली सीटों से आशय 50 हज़ार से 1एक लाख आदिवासी एवम एस सी की निर्भरता है। इसी प्रकार गुड़ वैल्यू से आशय जिन क्षेत्रों में 10 हज़ार से 50 हज़ार तक आदिवासी और एस सी आबादी जंगल पर दावेदारी के योग्य हैं।
मंगलवार, 19 नवंबर 2019
जमशेदपुर : वनों पर सामुदायिक मालिकाना का मदद जीत-हार
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