पटना,16दिसम्बर। केंद्र सरकार के द्वारा लागू आयुष्मान भारत योजना से लाभ नहीं उठा पा रहे हैं महादलित मुसहर समुदाय के लोग । जानकारी व पैसे के अभाव के कारण अवैज्ञानिक इलाज करवाने को बाध्य हैं। पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर-1 से ताजा समाचार प्राप्त हुआ है। प्राप्त समाचार के अनुसार दीघा मुसहरी में शबरी देवी रहती हैं। इसकी बेटी ज्योति की शादी शत्रुघ्न के साथ हुई थी। दोनों से एक लड़की है। इस बीच महादलित शत्रुघ्न मांझी के अंडकोश में सूजन होने लगा। जो फाइलेरिया का सूचक है।एक बीएससी स्टाफ नर्स ने कहा कि अंडकोष के आस-पास तरल भरी थैली जैसा आकृति होना, जिसे पहली नज़र में अक्सर अंडकोष की थैली की सूजन समझा जाता है।जलसंग्रह या हाइड्रोसील नवजात शिशुओं में सामान्य है और आमतौर पर पहले साल के भीतर इलाज के बिना गायब हो जाता है।बूढ़े लोगों में कभी-कभी सूजन या चोट के कारण, हाइड्रोसील विकसित हो सकता है। इस तरह से हाइड्रोसील विकसित होने से स्वयं शत्रुघ्न मांझी और परिजन घबरा गए। इस घबराहट में शत्रुघ्न मांझी की मां ने आयुष्मान भारत योजना से लाभ उठाने के बदले गवई उपाय करने लगी। सूजन अंडकोष में अवैज्ञानिक इलाज के क्रम में पुत्रवधु ज्योति देवी को कहती है कि गरम-गरम भात से सेंकने से अंडकोष में उत्पन्न सूजन कम होने लगता.बहु एक सूती का कपड़ा लाना और तबतक कुछ गरम भात को निकालकर तस्तरी में रख ली.इस बीच ज्योति कपड़ा ला देती है। वह कपड़े में भात डालकर पोटली बना लेती हैं। वह कहती हैं कि ज्योति आआे सीख लो कैसे अंडकोष में सूजन आ जाने के बाद घर में इलाज किया जाता है।उसके बाद गरम पोटली से अंडकोष को सेंकने लगती है।एक-दो दिनों के बाद पोटली से अंडकोश को सेंकने का परिणाम सामने आने लगा।
और गरम पोटली से अंडकोष सेंकने अंडकोष बॉयल्ड हो गया
अगर केंद्र सरकार की ओर से प्रदत विशेष सुविधा से लाभ शत्रुघ्न मांझी के परिजन उठाते तो उसको अवैज्ञानि इलाज नहीं करवाना पड़ता। और न ही गरम पोटली से अंडकोष को सेंकने की नौबत ही आती।खैर,अंडकोष बॉयल्ड हो जाने से शत्रुघ्न मांझी परेशान हो गया। दीघा हाट पर एक दवाखाना सह नर्सिंग होम है। वहां पर ऑपरेशन करके सड़ गए अंडकोष को काटकर निकाल दिया गया। अब वह एक अंडकोष वाला बनकर रह गया।
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