नागरिकता संशोधन विधेयक देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं: शाहनवाज - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 11 दिसंबर 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं: शाहनवाज

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नयी दिल्ली, 10 दिसंबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को पुनः स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक में मुस्लिम सहित देश के सभी समुदायों के लोगों के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा ने इस बात पर हैरानी जताई कि देश का कानून बनाने वाली कांग्रेस की नयी पीढ़ी के नेताओं को मौलिक अधिकारों की समझ तक नहीं है।भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने आज यूनीवार्ता से कहा, “मैं देश के सभी मुस्लिम भाइयों-बहनों से कहना चाहता हूं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाई गई नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में देश के मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नही है। इस देश का मुस्लिम उतना ही अधिकार रखता है जितना कोई हिन्दू, सिख, इसाई या जैन।”उन्होंने कहा, “यह विधेयक उन लोगों को भारत में शरण देने के लिए है जो कट्टरवाद और धर्म के आधार पर प्रताड़ित हैं। खासकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में। यह तीनों देश इस्लामिक देश हैं और लाजमी है कि यहां पर मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर प्रताड़ना नही हो सकती इसलिए इन देशों के मुसलमानों को नागरिकता नही दी जा सकती।”श्री शाहनवाज हुसैन ने कहा, “विपक्ष खासकर कांग्रेस जिसने पिछले 60 साल से देश के मुसलमानों के लिए कुछ नही किया अब सत्ता हाथ से जाने के बाद मुसलमानों को धर्म के नाम पर लड़ाने के मकसद से इस विधेयक को देश के मुसलमानों से जोड़कर दिखाने की कोशिश कर रही है। क्या कांग्रेस देश के मुसलमानों को विदेशी मानती है जो इस बिल को उनसे जोड़ रही है? कांग्रेस के मन में खोट है।”उन्होंने कहा, “विपक्ष कह रहा है कि यह विधेयक अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है। अनुच्छेद 14 का नागरिकता संशोधन बिल से क्या संबंध है यह मुझे समझ में नही आ रहा है। अनुच्छेद देश के नागरिकों के बीच समानता के अधिकार की बात करता है और नागरिकता संशोधन विधेयक का देश के किसी भी नागरिक के अधिकार से कुछ लेना देना नही है। यह विधेयक तो दूसरे देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को रहने का अधिकार देने की बात करता है। यह विधेयक कैसे देश के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है? बड़ी विडंबना है कि जिन्होंने देश का कानून बनाया उन्हें मौलिक अधिकारों के बारे में भी पता नहीं है।”

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