कांग्रेस का हर कार्यकर्ता नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ेगा : प्रियंका गांधी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 17 दिसंबर 2019

कांग्रेस का हर कार्यकर्ता नागरिकता कानून के खिलाफ लड़ेगा : प्रियंका गांधी

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नयी दिल्ली, 16 दिसंबर, विवादित संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया और देश के अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में पार्टी नेता सोमवार को यहां इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गए और आरोप लगाया कि इस संशोधित कानून की मंशा संविधान को तबाह करना है। शाम चार से छह बजे तक चले ‘मूक प्रदर्शन’ के बाद, कांग्रेस महासचिव ने नागरिकता कानून को लेकर मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि रविवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के विद्यार्थियों पर पुलिस की कार्रवाई ‘भारत की आत्मा पर हमला’ है। वाड्रा ने कहा, ‘‘ यह देश सबके लिए है। यह कल पीटे गए छात्रों के लिए है। छात्रों पर हमला भारत की आत्मा पर हमला है।’’  उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून भारत के संविधान के खिलाफ है और यह संविधान को ‘तबाह’ करने के लिए लाया गया है। वाड्रा ने कहा, ‘‘ कांग्रेस का हर कार्यकर्ता तनाशाह हो रही मोदी सरकार के खिलाफ लड़ेगा ।’’  उन्होंने हैरानी जताई कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिलाओं पर हमले, अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी और जो छात्रों के खिलाफ हुआ है, उस पर ‘चुप’ क्यों है। इस धरने में वाड्रा के साथ अहमद पटेल, एके एंटनी, गुलाम नबी आजाद और रणदीप सिंह सुरजेवाला शामिल हुए। इसके अलावा उनके साथ सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ता भी थे। वाड्रा ने कहा, ‘‘ देश का वातावरण खराब है। पुलिस (छात्रों) को पीटने के लिए विश्वविद्यालय में घुस रही है। सरकार संविधान से छेड़छाड़ कर रही है। हम संविधान के लिए लड़ेंगे।’’  कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बताया कि शाम चार बजे शुरू हुआ धरना दो घंटे का था और यह जामिया मिल्लिया इस्लामिया तथा अन्य स्थानों के छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए किया गया था।

बिना विश्वविद्यालय प्रशासन की इजाजत के पुलिस के जामिया परिसर और उसके पुस्तकालय में घुसकर आंसू गैस के गोले छोड़ने के खिलाफ देशभर के हजारों छात्र सड़कों पर आ गए हैं और घटना की न्यायिक जांच की मांग कर रहे हैं। रविवार को जामिया के पास संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा था जो हिंसक हो गया। इसके बाद पुलिस विश्वविद्यालय परिसर में घुस गई। कांग्रेस और कई विपक्षी पार्टियों ने जामिया के छात्रों के खिलाफ कथित ‘बर्बरता’ की निंदा की और मामले की न्यायिक जांच की मांग की। आज़ाद ने कहा, ‘‘ जब विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस को प्रवेश की इजाजत नहीं दी, तब पुलिस जामिया में कैसे घुस सकती है और ऐसी बर्बरता कर सकती है?’’  कांग्रेस नेताओं आजाद और कपिल सिब्बल, माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा नेता डी राजा, राजद के मनोज झा, सपा के जावेद अली खान और शरद यादव ने संवाददाता सम्मेलन में जामिया के छात्रों पर रविवार को पुलिस की कार्रवाई की निंदा की। नेताओं ने कहा कि वे इस मुद्दे को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष उठाएंगे, क्योंकि यह केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अशांति से संबंधित है जो सीधे उनके नियंत्रण में आता है। सूत्रों ने बताया कि मंगलवार शाम को यह मुलाकात हो सकती है। आज़ाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस आरोप का खंडन किया कि हिंसक प्रदर्शनों के पीछे कांग्रेस का हाथ है।  उन्होंने कहा,‘‘ऐसे आरोप लगाना गलत है और हम इसकी निंदा करते हैं।’’  येचुरी ने घटना की उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश द्वारा जांच की मांग की।  उन्होंने कहा, ‘‘ जामिया परिसर में पुलिस को प्रवेश करने की इजाजत जिस किसी ने भी दी है, उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए और दंडित किया जाना चाहिए।’’  उन्होंने कहा कि यह हिन्दू-मुस्लिम मुद्दा नहीं है और उन्होंने लोगों से अफवाहों के झांसे में नहीं आने को कहा। येचुरी ने आरोप लगाया, ‘‘ हिंसा के पीछे सत्तारूढ़ पार्टी और भारत सरकार है। अगर सरकार यह कानून नहीं लाई होती, तो ऐसी हिंसा भी नहीं होती। इस हिंसा के लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और कैबिनेट जिम्मेदार है।’’  राजा ने कहा कि पुलिस को जामिया में प्रवेश करने की इजाजत जिसने भी दी है, उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।

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