30 दिसंबर को भाकपा-माले का देशव्यापी प्रतिवाद
पटना 29 दिसंबर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि आज बिहार की नीतीश सरकार पूरी तरह यूपी सरकार की तर्ज पर काम कर रही है. सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को वह दबाने में लगी हुई है. आंदोलनकारियों पर फर्जी मुकदमे थोपे जा रहे हैं. उन्हें भयभीत किया जा रहा है. अब यह एकदम साफ हो गया है कि नीतीश कुमार आरएसएस के इशारे पर बिहार में संविधान व लोकतंत्र की हत्या पर उतर गए हैं. उन्होंने कहा कि 19 दिसंबर के बिहार बंद के दौरान माले नेताओं सहित सड़क पर उतरे सभी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं पर मुकदमा थोप दिया गया और अब एक बार फिर 27 दिसंबर के कार्यक्रम के दौरान माले नेताओं पर मुकदमे थोप दिए गए हैं. 27 दिसंबर का कार्यक्रम 21 दिसंबर के बिहार बंद के दौरान फुलवारीशरीफ में आरएसएस-बजरंग दल के द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय पर किए गए संगठित हमले के खिलाफ किया गया था. प्रशासन ने कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी, उसे बाधित करने का हर संभव प्रयास किया. तब हमने गर्दनीबाग धरनास्थल पर बिना माइक के सभा आयोजित की, फिर भी प्रशासन ने माले राज्य सचिव कुणाल, विधायक दल के नेता महबूब आलम, पार्टी के वरिष्ठ नेता अमर, ऐपवा की बिहार राज्य सचिव शशि यादव, राज्य कमिटी के सदस्य रणवजिय कुमार और मुर्तजा अली पर मुकदमे थोप दिए. नीतीश सरकार चाहती है कि हम किसी भी प्रकार का विरोध न करें. उसी प्रकार 28 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी के मार्च को भी रोका जाना लोकतांत्रिक अधिकारों की हत्या है. हमारी पार्टी कांग्रेस के जुलूस को रोके जाने की कड़ी भत्र्सना करती है. इतना ही नहीं, पश्चिम चंपारण में सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ आयोजित सभा में प्रशासन ने हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं को पार्टी का झंडा ले जाने से रोका. 23 दिसंबर को पश्चिम चंपारण के मैनाटांड़ थाना प्रभारी ने हमारी पार्टी कार्यकर्ताओं को शांति व्यवस्था बनाए रखने के नाम पर एक लाख रू. तथा समान राशि के दो जमानतदारों सहित मुचलका का नोटिस जारी किया. समाज में विभाजन की राजनीति को बढ़ावा देने वाली ताकतों को तो नीतीश सरकार संरक्षण दे रही है लेकिन आंदोलनकारियों को उपद्रवी साबित कर विरोध की आवाज को दबाने में लगी हुई है. हर कोई जानता है कि फुलवारीशरीफ की घटना के पीछे आरएसस-बजरंग दल का हाथ है, लेकिन नीतीश कुमार की पुलिस असली रिंग लीडरों पर हाथ नहीं डाल रही है. भाकपा-माले यूपी में आतंक राज और बिहार में विरोध की आवाज को लगातार दबाये जाने की कोशिशों के खिलाफ कल 30 दिसंबर को पूरे बिहार में प्रतिवाद दिवस मनाएगी.

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