नयी दिल्ली 01 दिसंबर, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि एचआईवी-एड्स प्रभावित लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया को बदलना होगा और यह वर्ष 2030 तक देश को इस बीमारी से मुक्त करने के लक्ष्य में बड़ा बाधक है।डॉ़ हर्षवर्धन ने रविवार को विश्व एचआईवी-एड्स दिवस पर राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन(एनएसीओ) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण यह बात कही। उन्होंने इस बीमारी से पीड़ित लोगों के प्रति समाज की मानसिकता पर चोट करते हुए कहा,“हमें अपने विचार और व्यवहार में एचआईवी-एड्स प्रभावितों के प्रति भेदभावपूर्ण रवैये को त्याग देना चाहिए और हमें एचआईवी-एड्स समुदाय जैसी शब्दावली से भी बचना चाहिए। कई प्रकार की गंभीर बीमारियों से ग्रस्त और इससे ठीक हुए लोगों के प्रति अलग-थलग की भावना नहीं रखनी चाहिए।”डॉ़ हर्षवर्धन ने कहा,“ एचआईवी-एड्स की लड़ाई में हमने बहुत लंबी यात्रा की है। वर्ष 2030 तक देश को एचआईवी-एड्स मुक्त बनाने के लक्ष्य की दिशा में इस बीमारी को कलंक मानने और इससे ग्रस्त और ठीक हुए लोगों के प्रति भेदभाव के व्यवहार में बदलाव लाना महत्वपूर्ण मिल का पत्थर है।”उन्होंने एचआईवी-एड्स के प्रति जागरूकता फैलाने और लाेगों में इसको लेकर व्याप्त संकोच को दूर करने में महत्पूर्ण भूमिका निभाने वाली सहयोगी संस्थाओं की प्रशंसा की।स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वर्ष 2018-19 में करीब 79 प्रतिशत एचवीआई संक्रमण लोगों को अपनी स्थिति की जानकारी है, इससे संक्रमित होने वाले 82 प्रतिशत मरीजों एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी दी जा रही है और 79 प्रतिशत वायरली सप्रेस्ड हैं। उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि हम सही रास्ते पर चले रहे हैं और सतत प्रयास से हम अपना लक्ष्य हासिल कर सकते है।”
रविवार, 1 दिसंबर 2019
एचआईवी-एड्स मुक्त भारत के लक्ष्य में भेदभावपूर्ण रवैया बाधक : डॉ़ हषवर्धन
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