नागरिकता संशोधन विधेयक के पेश जाने पर विपक्ष का हंगामा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 दिसंबर 2019

नागरिकता संशोधन विधेयक के पेश जाने पर विपक्ष का हंगामा

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नयी दिल्ली,09 दिसंबर, लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सदस्यों ने संविधान की मूल भावना एवं देश के लोकतांत्रिक ढांचे को आहत करने वाला बताते हुए जमकर हंगामा किया और कहा कि यह इतिहास का काला दिन है और देश को मुस्लिम एवं गैर मुस्लिम में बांटने का प्रयास किया जा रहा है।कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक एक लक्षित विधेयक है जिसमें एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और यह पंड़ित जवाहर लाल नेहरू और डा़ भीमराव अंबेडकर के सपनों का उल्लंघन हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 14 की आत्मा का उल्लंघन है और हमारे लोकतंत्र के ढांचे को बर्बाद करेगा। यह संविधान की प्रस्तावना पर हमला हैरिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि हम इस विधेयक की विधायिका क्षमता का विरोध कर रहे हैं और धर्म के अाधार पर बनाए गए इस विधेयक विरोध कर रहे हैं। यह अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन हैं जो प्रस्तावना के ढांचे पर हमला है और इसके कईं प्रावधान एक दूसरे के विरोधी है।अाईयूएमएल के पीके कुनहालीकुट्टी ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है जिसे वापिस लिया जाना चाहिए और इसमें एक समुदाय का नाम लिया जा रहा है। पार्टी के सांसद ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि आज का दिन संसद के इतिहास का काला दिन है और इस विधेयक के जरिए लोगों को मुस्लिम और गैर मुस्लिम में बांटा जा रहा है।तृणमूल के सौगत राय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को सदन के नियम कायदे कानून का पता नहीं है क्योंकि वह इस सदन में नए हैं। संविधान संकट में है और डां अंबेडकर ने जो प्रावधान किए थे भारतीय जनता पार्टी इस उल्लंघन हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हैं ।इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि यह सदन के इतिहास का एक काला दिन है। देश को मुस्लिम एवं गैर मुस्लिम में बांटने का प्रयास किया जा रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह असम समझौते का उल्लंघन हैं।कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि यह हमारे गणराज्य को विभाजित करने का प्रयास है और देश को धार्मिक अाधार पर बांटा जा रहा है और पंड़ित नेहरू तथा महात्मा गांधी ने जिस आधार पर भारत राष्ट्र का निर्माण किया था ,यह विधेयक उसके मूल ढांचे पर हमला है और हम इसकी विधाायिका क्षमता का विरोध करते हैं।एआईआईएमएल नेता असददुीन औवेसी ने कहा कि यह देश के धर्मनिरपेक्षता के ढांचे पर हमला है और मूल ढांचे का उल्लंघन करता है । इस कानून के पारित हाेने से देश का नुकसान होगा।अमित शाह ने कहा कि यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है और मैं इस सदन और देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह यह समानता के अधिकार का विरोधी नहीं है और इससे समानता का अधिकार आहत नहीं होगा । लेकिन तर्कसंगत वर्गीकरण के आधार पर कोई हमें कानून बनाने से नहीं रोक सकता है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में बंगलादेश से आए लोगों को भारत में शरण दी थी और युगांडा से आए लोगों को भी कांग्रेस के शासनकाल में शरण दी गई थी। श्री राजीव गांधी ने असम समझौते में 1971 तक के लोगों काे ही स्वीकार किया था।द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि वह इस विधेयक की उपयुक्तता पर चर्चा करना चाहते हैं और यह सदन की सक्षमता का सवाल है। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी दलोें के सदस्यों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया जिस पर लोकसभा अध्यक्ष आेम बिरला ने कहा कि हम सबकों सदन की मर्यादा का ध्यान रखना है और सबसे अपील है कि वे सदन की गरिमा को बनाए रखे। उन्होंने कहा ‘मैं जहां भी विश्व के देशों के संसदीय सम्मेलनों में जाता हूं वहां सबको बताता हूं कि भारत एक मजबूत निर्णायक लोकतंत्र है और मैं सदन का संरक्षक हूं लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सदस्य एक दूसरे का सम्मान करें और एक दूसरे के प्रति अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल से बचें।

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