गुवाहाटी, 14 जनवरी, असम का फसल कटाई त्योहार ‘भोगाली बिहू’ इस साल विवादास्पद संशोधित नागरिकता कानून के साये के चलते बिल्कुल सादा रहने की संभावना है। इस बार राज्य में लोग यह त्योहार मनाने को लेकर कम उत्साहित नजर आ रहे हैं क्योंकि पिछले साल राज्य में सीएए विरोधी प्रदर्शन के दौरान कथित पुलिस गोलीबारी के चलते पांच लोग मारे गये। छूतिया स्टूडेंट यूनियन के कार्यकर्ताओं ने इस त्योहार की पूर्व संध्या पर सामुदायिक भोज ‘उरूका’ दिया । वह नये नागरिकता कानून के खिलाफ मंगलवार को सुबह पांच बजे से जोरहाट जिले के तीताबोर में 10 घंटे की भूख हड़ताल करने वाले थे। सीएए विरोधी आंदोलन के अगुवा ऑल असम स्टूडेंट यूनियन और कॉटन यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों ने लोगों से बुधवार को ‘मेजी’ की आग में इस कानून की प्रतियां जलाने की अपील की है। व्यापारियों ने बताया कि बिहू के मौके पर बिकने वाली चीजों जैसे मछली, बत्तख, मुर्गे, दही, क्रीम, दूध, चूरा आदि की मांग इस साल कम है। नलबाड़ी जिले के रतुल डेका ने कहा, ‘‘ इस चिंता की वजह से हमारे अंदर खाने पीने की चीजें खरीदने या परिवार के साथ मिल बांटकर भोजन करने का उत्साह नहीं है कि सीएए बांग्लादेशी शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान कर असमी संस्कृति और भाषा का सफाया कर सकता है।’’ गोहपुर के डिंपू दास ने कहा कि असमी लोगों पर सीएए लगाने से त्योहार का उत्साह ठंडा पड़ गया है।
मंगलवार, 14 जनवरी 2020
असम के भोगाली बिहू त्योहार पर सीएए का साया
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