केंद्र सरकार उल्फा (आई) से शांति वार्ता करने के लिए तैयार : हेमंत बिस्व सरमा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 28 जनवरी 2020

केंद्र सरकार उल्फा (आई) से शांति वार्ता करने के लिए तैयार : हेमंत बिस्व सरमा

center-ready-to-talk-with-ulfa-hemant
गुवाहाटी, 28 जनवरी, बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के एक दिन बाद असम के वरिष्ठ मंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार उल्फा (आई) गुट के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार है। पूर्वोत्तर में 'स्थायी शांति' के लिए उन्होंने उल्फा (आई) गुट के नेता परेश बरुआ से बातचीत के लिए आगे आने की अपील की। पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (नेडा) के संयोजक सरमा ने यहां संवाददाताओं से कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर उल्फा (आई) गुट वार्ता के लिए तैयार है, तो असम और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए केंद्र बातचीत को उनसे कहीं अधिक इच्छुक है। ’’  उन्होंने कहा, ‘‘यह पहली बार है कि सरकार उल्फा (आई) से वार्ता के लिए सार्वजनिक अपील कर रही है। यदि वे वार्ता के इच्छुक हैं, तो केंद्र असम और पूर्वोत्तर में स्थायी शांति की इच्छा और समान शक्ति के साथ इस पर आगे बढ़ेगा।’’  राज्य के शिक्षा मंत्री सरमा ने बोडो समझौते का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोड़ोलैंड (एनडीएफबी) के सभी गुटों के साथ चर्चा के माध्यम से सोमवार को एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। केंद्र और राज्य सरकार बातचीत के माध्यम से क्षेत्र में शांति चाहते हैं।’’  उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, मैं बरुआ और उनके वार्ता-विरोधी गुट से अनुरोध करना चाहूंगा कि वे एक सार्थक वार्ता में शामिल होने पर विचार करें। केंद्र और राज्य सरकार इस क्षेत्र में शांति चाहते हैं।’’  उन्होंने कहा कि असम और मणिपुर के कुछ उग्रवादी संगठनों को छोड़कर पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकतर उग्रवादी संगठन बातचीत कर रहे हैं, लेकिन अगर हम इस क्षेत्र में शांति चाहते हैं, तो वार्ता में सभी गुटों और संगठनों को शामिल होना होगा। सरमा ने कहा, ‘‘अब केवल असम और मणिपुर में ही कुछ उग्रवादी गतिविधियों की सूचना है। इसलिए, हम उनसे (विद्रोहियों) मुख्यधारा में शामिल होने और स्थायी शांति के लिए केंद्र के साथ चर्चा करने का अनुरोध कर रहे हैं।’’ उन्होंने जनता से भी अपील की कि वह उल्फा (आई) से बातचीत के लिए आगे आने का आग्रह करें। सरमा ने कहा, ‘‘अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा के वार्ता-समर्थक गुट पहले से ही केंद्र के साथ बातचीत में शामिल है और यह जारी रहेगा लेकिन स्थायी शांति के लिए, यह आवश्यक है कि सभी संगठन और उनके गुट बातचीत की मेज पर आएं।’’  उन्होंने कहा कि इससे पूर्व दो बोड़ो समझौतों पर दस्तख्वत किए गए लेकिन इससे भी बोड़ोलैंड टेरिटोरियल एडमिनस्ट्रेटिव डिस्ट्रिक (बीटीएडी) में शांति बहाल नहीं हुई, क्योंकि पिछली वार्ताओं में एनडीएफबी शामिल नहीं थी।  सरमा ने कहा कि इस बार सभी चारों गुट वार्ता में शामिल हुए और एक एतिहासिक समझौता हुआ है।

कोई टिप्पणी नहीं: