निजीकरण और महंगाई बढ़ाने वाला है बजट, आर्थिक मंदी से निपटने के ठोस उपायों की बजाए महज आंकड़ेबाजी
पटना 1 फरवरी (आर्यावर्त संवाददाता) भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने आज केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह देश की आम जनता, मजदूर-किसानों, छात्र-नौजवानों, स्कीम वर्करों सबके लिए बेहद निराशाजनक है. आज देश भयानक आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, लेकिन सरकार अभी भी इसे स्वीकार नहीं कर रही है और आंकड़ेबाजी के जरिए देश की जनता को भ्रम में डालने की कोशिश कर रही है. गंभीर मंदी की मार से देश तभी उभर सकता है जब आम लोगों की क्रय क्षमता को बढ़ाया जाए, लेकिन बजट में इसकी घोर उपेक्षा की गई है. बजट में न तो किसानों की आय बढ़ाने की चिंता है न ही बेरोजगारों के लिए रोजगार के प्रावधान का. इसकी जगह सरकार ने बेरोजगारों के लिए नेशनल भर्ती एजेंसी का झुनझुना थमा दिया है. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के संबंध में बजट एकदम से खामोश है. स्कीम वर्करों के प्रति भी बजट उदासीन है. आंगनबाडी सेविका-सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं, वि़द्यालय रसोइयों के लिए बजट में किसी भी प्रकार की घोषणा नहीं की गई है. शिक्षा के बजट में कटौती कर दी गई है. शिक्षण संस्थानों को नष्ट करने में तो इस सरकार का कोई जोर ही नहीं है. इस बजट से शिक्षा व्यवस्था और लचर होगी. बजट महंगाई की मार और तेज करने वाला है. आम घरेलू इस्तेमाल की चीजों के दाम बढ़ा दिए गए हैं. झाड़ू, कंघी, थर्मस, कूकर, जूते, चप्पल, पंखा यहां तक कि मच्छर भगाने की दवाइयों के भी दाम बढ़ा दिए गए हैं. स्टेशनरी की तमाम चीजों के दाम बढ़े हैं. आज हमारे जीवन का हिस्सा बन चुके मोबाइल की भी कीमत काफी बढ़ा दी गई है. बजट के कारण शेयर मार्केट में भारी गिरावट दर्ज हुई है. इस बार के बजट में एलआइसी के प्राइवेटाइजेशन के भी दरवाजे खोल दिए गए हैं. एलआइसी में सरकारी हिस्सा बेचने की कार्रवाई निंदनीय है. पीपीपी माॅडल पर 150 से अधिक ट्रेनों का परिचालन कहीं से भी आम भारतीय के हित में नहीं है.
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