नयी दिल्ली 04 मार्च, भारतीय रेलवे की अखिल भारतीय सेवाओं के एक संवर्ग में संविलयन और रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन को लेकर देश भर में हजारों रेल अधिकारियों में असंतोष एवं आपत्तियों को देखते हुए सारे प्रकरण पर निर्णय लेने के लिए सरकार ने गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक मंत्रिसमूह का गठन किया है। सूत्रों ने बताया कि करीब ढाई माह पहले दिसंबर में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पारित रेलवे सेवाओं एवं रेलवे बोर्ड के पुनर्गठन की योजनाओं को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में हज़ारों की संख्या में पत्र एवं ईमेल आये हैं जिनमें इस निर्णय को लेकर विरोध जताया गया है। सूत्रों के अनुसार श्री शाह की अध्यक्षता वाले इस मंत्रिसमूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, रेल मंत्री पीयूष गोयल, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, रेल राज्यमंत्री सुरेश अंगड़ी, प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्मिक एवं जन शिकायत राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह तथा जहाजरानी राज्यमंत्री मनसुख मांडविया शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार मंत्रिसमूह की पहली बैठक होली के बाद इसी माह होने की संभावना है। बैठक में रेलवे की सभी आठ सेवाओं को मिलाकर एक सेवा ‘इंडियन रेलवे मैनेजमेंट सर्विस' को लेकर रेलवे की विभिन्न सेवाओं के अधिकारियों में उपजे असंतोष और आपत्तियों पर विचार किया जाएगा तथा उसे क्रियान्वित करने का रास्ता निकाला जाएगा। पहले संभावना जतायी गयी थी कि फरवरी 2020 तक रेलवे सेवाओं एवं रेलवे बोर्ड का नया स्वरूप क्रियान्वित हो जाएगा। लेकिन रेल कर्मियों की आपत्तियों के बाद सरकार की माथे पर बल पड़ गये हैं। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिसमूह के गठन का मतलब है कि इस फैसले के क्रियान्वयन को लेकर अब कोई समय सीमा तय नहीं रही। रेलवे बोर्ड का पहली बार गठन 1905 में किया गया था। करीब 114 साल बाद किसी सरकार ने पहली बार रेलवे के बुनियादी स्वरूप में बदलाव का फैसला किया है। सरकार के फैसले के अनुसार रेलवे में इंजीनियरिंग, मैकेनिकल, इलैक्ट्रिकल्स, लेखा, भंडारण, कार्मिक, यातायात, सिगनल एवं टेलीकॉम सेवाओं को मिला कर एक सेवा ‘भारतीय रेल प्रबंधन सेवा (आईआरएमएस)’ किया जाना है। नये रेलवे बोर्ड का गठन अब विभागीय आधार पर नहीं होगा और इसका स्थान एक छोटे आकार वाली संरचना लेगी जिसका गठन कार्यात्मक तर्ज पर होगा। बोर्ड के अध्यक्ष की भूमिका अब मुख्य कार्यकारी अधिकारी की होगी और उसमें चार सदस्य ही होंगे। सदस्य (आधारभूत ढांचा), सदस्य (ऑपेरशन्स एवं बिजनेस डेवेलपमेंट), सदस्य (रोलिंग स्टॉक) और सदस्य (वित्त) होंगे। रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष कैडर नियंत्रण एवं प्रबंधन का काम करेगा और उसकी सहायता के लिए एक महानिदेशक (मानव संसाधन) होगा। वर्तमान में रेलवे बोर्ड का अध्यक्ष बोर्ड के अन्य सदस्य के समकक्ष होता है। भारतीय रेलवे चिकित्सा सेवा को अब भारतीय रेलवे स्वास्थ्य सेवा कहा जाएगा। बोर्ड में कुछ स्वतंत्र सदस्य भी होंगे जो गैर कार्यकारी प्रकृति के होंगे। ये गहन ज्ञान वाले अत्यंत विशिष्ट प्रोफेशनल होंगे और जिन्हें उद्योग जगत, वित्त, अर्थशास्त्र एवं प्रबंधन क्षेत्रों में शीर्ष स्तरों पर काम करने सहित 30 वर्षों का व्यापक अनुभव होगा। इनकी संख्या समय-समय पर सक्षम प्राधिकार द्वारा तय की जाएगी। रेलवे बोर्ड के बाकी सभी पद सभी प्रकार की सेवाओं के अधिकारियों के लिए खुल जाएंगे जिन पर उनकी योग्यता एवं क्षमता के आधार पर नियुक्ति होगी। रेलवे बोर्ड में सचिव स्तर के दस पद होंगे जबकि महाप्रबंधक स्तर के 27 पदों की ग्रेड बढ़ाकर उन्हें शीर्ष ग्रेड में लाया जाएगा। सभी जोनल एवं उत्पादन इकाइयों के महाप्रबंधक अब केन्द्र सरकार के सचिव के समकक्ष हो जाएंगे। मंडल रेल प्रबंधकों एवं महाप्रबंधकों की नियुक्ति में सेवाओं का कोटा भी समाप्त हो जाएगा। रेलवे बोर्ड के मौजूदा आठ सदस्यों में से वित्त आयुक्त‚ सदस्य रोलिंग स्टॉक‚ सदस्य कार्मिक के पद से अधिकारियों के सेवानिवृत्ति होने के बाद से उन पदों पर नये सदस्यों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। समझा जाता है कि मौजूदा समय में रेलवे बोर्ड अध्यक्ष विनोद कुमार यादव के अलावा बोर्ड में सदस्य ट्रैक्शन राजेश तिवारी‚ सदस्य इंजीनियरिंग विश्वेश चौबे‚ सदस्य यातायात पी एस मिश्रा‚ सदस्य सिगनल एवं टेलीकॉम प्रदीप कुमार और सदस्य सामग्री प्रबंधन पी सी शर्मा हैं। इनमें से सदस्य ट्रैक्शन श्री तिवारी के पास सदस्य (कार्मिक), सदस्य सामग्री प्रबंधन श्री शर्मा के पास सदस्य रोलिंग स्टॉक और श्रीमती मंजुला रंगराजन के पास वित्त आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार है। ऐसे में यदि नए स्वरूप में रेलवे बोर्ड आता है तो सदस्य इंफ्रास्ट्रक्चर‚ सदस्य आपरेशन एंड़ डेवेलपमेंट‚ सदस्य रोलिंंग स्टॉक और सदस्य वित्त के पद पर मौजूदा पांच सदस्यों में से चार की नियुक्ति हो जाएगी जबकि एक सदस्य को अन्य जगह समायोजित किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि रेलवे ने अगले 12 वर्षों के दौरान 50 लाख करोड़ रुपये के निवेश से आधुनिकीकरण के साथ-साथ यात्रियों को उच्च मानकों वाली सुरक्षा, गति एवं सेवाएं मुहैया कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया है। इसके लिए तेज गति एवं व्यापक स्तर से युक्त एक एकीकृत एवं चुस्त-दुरुस्त संगठन की आवश्यकता है ताकि वह इस जिम्मेदारी को पूरी एकाग्रता के साथ पूरा कर सके और इसके साथ ही वह विभिन्न चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो सके।
गुरुवार, 5 मार्च 2020
रेलवे के पुनर्गठन का फैसला बना गले की हड्डी, क्रियान्वयन के लिए बना मंत्रिसमूह
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