संघर्षों की भट्टी में तप कर बनता है सरोज सुमन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 3 मार्च 2020

संघर्षों की भट्टी में तप कर बनता है सरोज सुमन

संगीत एवं गायकी की दुनिया में देश का नाम रौशन कर रहे हैं दरभंगा के सरोज सुमन
saroj-suman
खुद ही मंज़िले आ मिलेंगी आपसे, हर सितम को आजमाते जाइए। ये शब्द जिस व्यक्ति के हैं उस व्यति के व्यक्तित्व पर यह फिट भी बैठते हैं। बात कर रहे हैं सरोज सुमन की। बिहार के दरभंगा ज़िले की घनश्यामपुर तहसील के पड़री ग्राम में जन्मे सरोज सुमन पढ़ाई में मध्यम दर्जे के थे। परिवार में संगीत का न माहौल था न संगीत में करियर बनाने की छूट। माता पिता चाहते थे कि बेटा प्रशासनिक सेवाओं(आईपीएस) में जाये। पर आपने ज़िद ठान रखी थी और सामाजिक परम्पराएँ तोड़ते हुये अपने लिए एक विशिष्ट राह बनाने की और आप बढ़ चले। 1989 में आल इंडिया रेडियो के लिए पहला आडीशन पास किया। पहले काम का चेक केवल 250 रुपए का था। 1994 में दिल्ली पहुंचे और सोंग्स एंड ड्रामा डिवीज़न से जुड़ गये।  सेना में गायक को जेसीओ (जूनियर कमीशण्ड ऑफिसर) का दर्जा मिलता है। वहाँ लगभग पूरे देश में और सभी रेजीमेंट के लिए गायन किया और सैनिकों का मनोबल बढ़ाया। 1998 में अटल जी कविताओं पर 450 बच्चों के साथ ऊदभव नाम का बैले किया। इस दौरान थियेटर के लिए भी संगीत दिया।  दिल्ली के एपीजे स्कूल को अपनी सेवाएं दीं।

इस बीच मुंबई आपका इंतज़ार कर रही थी। सन 2000 में मुंबई पहुंचे और पश्चिम रेलवे से जुड़ गए। वहाँ आपके पहले अल्बम पागल सी लड़की में सोनू निगम और अनुराधा पौडवाल ने आपके संगीत निर्देशन में गाने गाये। किन्नरों के जीवन पर आई एक फिल्म आँसू में संगीत निर्देशन दिया पर दुर्भाग्य से वह रिलीज़ नहीं हो पायी। एक और फिल्म कुछ कहो कुछ सुनो भी उस समय बंद ही गयी पर अब 17 साल बाद उस पर काम फिर से शुरू हो गया है। 2009 में मशहूर शायर निदा फाजली की शायरी और इंडियन आइडल फेम रवि त्रिपाठी की आवाज़ में आपने अल्बम किया। टाइम्स म्यूजिक के बैनर तले बने इस अल्बम का लांच बहुत विराट था। सोनू निगम, निदा फाजली, सुरेश वाडेकर, जगजीत सिंह, रेखा, रवीद्र जैन जैसी जाने कितनी हस्तियों ने आकर सरोज सुमन को आशीर्वाद दिया। पूरी मुम्बई और बलखाते समुन्द्र के किनारे सरोज सुमन, निदा फ़ाज़ली और रवि त्रिपाठी के विशाल कट आउट लगे थे। पर सरोज सुमन के ऊपर  कभी इन सफलताओं का नशा नहीं चढ़ा। वह विलक्षण प्रतिभा के सामान्य इंसान ही बने रहे। रवि त्रिपाठी की  अल्बम बाते में भी आपने संगीत दिया। 2018 में प्रेम बसात नाम से आपकी पहली मैथली फिल्म रिलीज़ हुयी। मैथली में सूफी और कव्वाली को लाने का श्रेय भी आपको जाता है है। कबीरा, गल मिट्ठी मिट्ठी बोल और एकतारा जैसे मशहूर गाना गाने वाले तोची रैना ने आपके साथ जुगलबंदी की। आदित्य नारायण और साधना सरगम ने पहली बार मैथली में आपके लिए गाना गाया। पश्चिम रेलवे के लिए भी आपने संकल्प गीत किया। मालदीप में हुए सम्मेलन में आपके गाने को सम्मान मिला। 

वर्तमान में आप 14 भाषाओं में अपनी अल्बम रिलीज़ कर रहे हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य पूरे देश को एकसूत्र में पिरोना है। बैर कराती मन्दिर मस्ज़िद, मेल कराती मधुशाला। देशभक्ति के विषय पर आपका कहना है कि राजनीति तोड़ती है और कला जोड़ती है। मेहंदी हसन और गुलाम अली की वजह से पाकिस्तान की पहचान बची है। गुलाम अली के साथ भी ग़ज़ल करने का मौका मिला था किन्तु किसी कारण वश बात टल गई। गुलाम अली व्यवहार में बहुत अच्छी तरह पेश आये थे। संघर्ष पर आपका कहना है कि जब भूपेन हजारिका को  70 वर्ष की आयु में अंतराष्ट्रीय सम्मान मिल सकता है तो हम तो इस लिहाज से अभी बहुत छोटे हैं। जो सामर्थ्यवान होता है वह संघर्षों का आनंद नहीं ले पाता है। सरोज सुमन के खाते में कई नयी शुरुआत भी दर्ज़ हैं। पहली भोजपुरी की अल्बम तस्वीर ज़िंदगी को टी सीरीज ने लांच किया। इसके लिए 2013 में संगीत नाटक अकादमी(नेपाल सरकार) के द्वारा काठमांडू में सम्मान मिला। जून 2010 में हिंदी विश्व सम्मेलन में परिकल्पना के माध्यम से अब आपको लंदन में पुरुस्कार हेतु बुलाया गया है। वर्तमान में आप स्वस्थ भारत ट्रस्ट के साथ जुड़कर भारत को स्वस्थ रखने एवं सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के कार्य मे लगे हैं।




-अमित त्यागी-

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