विशेष : आभासी दुनिया के जरिये साहित्यकार कर रहे सकारात्मकता का संचार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 14 अप्रैल 2020

विशेष : आभासी दुनिया के जरिये साहित्यकार कर रहे सकारात्मकता का संचार

  • किताबों की दुनिया रोज़ कुछ नया लेकर आती है
  • किस्से, कहानी, शायरी, इतिहास के साथ-साथ खाने पीने की भी बाते 
  • फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम लाइव घर बैठे जोड़ रहा लोगों को
  • रोज 20 हजार से ज्यादा लोग देखते हैं ये वीडियों
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पहले 21 दिन का लॉकडाउन पूरा होने वाला है। इस बीच केरल से अच्छी ख़बर आ रही है। लेकिन, देश अभी भी इस समय को समझने और आगे की रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। घर पर रहकर हम इस महामारी की लड़ाई में मानवता के साथ खड़ें हैं। साथ होने और पास होने के इस एहसास को डिजिटल की दुनिया दृश्यों और आवाज़ के माध्य से सच कर रही है। सोमवार की दोपहर बाहर से आती चिड़ियों की चहचहाहट और घर में लैपटॉप पर पहाड़ी पृष्ठभूमि पर आधारित नमिता गोखले के उपन्यास ‘राग पहाड़ी’ पर, खुद उन्हें सुनना, एक मधुर अनुभव था। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सह-संस्थापक नमिता गोखले ने राजकमल प्रकाशन के इंस्टाग्राम पेज से कलाकार वाणी त्रिपाठी टिक्कू के साथ बातचीत में कहा, “ न केवल कुमाउं बल्कि पूरे विश्व में औरतें सक्षम और मजबूत हैं। लेकिन, समाज हमेशा उन्हें दबाने की कोशिश करता है। कुमाउंनी स्त्री मेरे लेखन में अक्सर प्रमुख किरदार होती हैं। कुमाउं मेरे भीतर है। मुझे गढ़ने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।“ नमिता गोखले ने बातचीत में बताया कैसे वे, अपने लेखन के जरिये कुमाउं के इतिहास को पूरी दुनिया के सामने लाने का प्रयास करती हैं। लाइव कार्यक्रम में वाणी त्रिपाठी टिक्कू ने ‘राग पहाड़ी’ किताब से बहुत ही सुंदर पाठ प्रस्तुत किया। वाणी त्रिपाठी टिक्कू ने पहाड़ की याद में ‘बेडू पाको बारामासा’ भी गाकर सुनाया। आज की लाइव चर्चाओं में लेखक मनीषा कुलश्रेष्ठ ने अपने उपन्यास और उससे जुड़ी घटनाओं पर बात करते हुए बताया कि उनके जीवन की घटनाओं ने उन्हें अपना पहला उपन्यास ‘शिग़ाफ’  लिखने के लिए प्रेरित किया। कश्मीर अपने आप में एक अधूरी कहानी है। इसी अधूरी कहानी की पृष्ठभूमि पर आधारित मनीषा कुलश्रेष्ठ का पहला उपन्यास ‘शिगाफ़’ कश्मीर के दृश्यों को सामने लेकर आता है। उपन्यास राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित है। #RajkamalFacebookLive में प्रकृति करगेती ने अपनी कविताओं का सुंदर पाठ किया। उन्होंने कहा कि, “यह समय पीछे मुड़कर देखने का समय है। समझने का समय है कि हमने क्या गलतियां की हैं।“ उनकी कविता ‘सभ्यता के सिक्के’ आज के समय को समझने की एक कोशिश हैं- “सभ्यता के सिक्के  जो आज मिले / तो कल की परख करवा गए / और काँच की दीवारों से झाँकते  / ये कह गए/ अतीत के तालाब में / तुम कौन से सिक्के फेंकोगे?”

घर के मसालों से लें चाट का आनंद
ऐसा अक्सर होता है जिस काम के लिए मना किया जाए, उसे ही करने की इच्छा होती है। खाने के संबंध में यह बात ज्यादा लागू होती है। लॉकडाउन में बाहर नहीं जा सकते, बाज़ार में मिलने वाले चाट पापड़ी, गोलगप्पे की तस्वीर देखकर ही आहें भर रहे हैं। लेकिन, ऐसा किसने कहा कि घर बैठे इनका स्वाद नहीं लिया जा सकता। सोमवार की सुबह अपने ‘स्वाद-सुख’ कार्यक्रम में पुष्पेश पंत ने चाट के खट्टे-मीठे और स्वादिष्ट संसार पर विस्तार से चर्चा की। चाट को लेकर यह बहस बहुत पुरानी है कि शहर में किस गली का चाट सबसे स्वादिष्ट है, ‘स्वाद-सुख’ में आज पुष्पेश पंत ने नैनीताल, इलाहाबद, दिल्ली, जयपुर, इंदौर जैसे शहरों के मशहुर चाट के स्वादों पर बात कर इनके बनाने की विधि पर भी विस्तार से बातचीत की।

किताबें कुछ तो कहना चाहती हैं
राजकमल प्रकाशन के फ़ेसबुक लाइव पर 23 दिन से चल रहे लंबे साहित्यिक आयोजन में अबतक 70 लेखक एवं साहित्यप्रेमी लाइव आ चुके हैं। लेखकों के साथ-साथ फिल्म, कला, गायन, एवं मिडिया के क्षेत्र से जुड़े लोग #StayAtHomeWithRajkamal हैशटैग के अंतर्गत चल रहे लाइव कार्यक्रम में शामिल होकर लॉकडाउन के अपने अनुभव साझा कर रहे हैं तथा अपनी कला का लाइव प्रदर्शन कर रहे हैं। 

राजकमल प्रकाशन समूह के फ़ेसबुक लाइव कार्यक्रम में अब तक शामिल हुए लेखक हैं - विनोद कुमार शुक्ल, मंगलेश डबराल, हृषीकेश सुलभ, शिवमूर्ति, गीतांजलि श्री, वंदना राग, सविता सिंह, ममता कालिया, मृदुला गर्ग, मृदुला गर्ग, मृणाल पाण्डे, ज्ञान चतुर्वेदी, मैत्रेयी पुष्पा, उषा उथुप, ज़ावेद अख्तर, अनामिका, नमिता गोखले, अश्विनी कुमार पंकज, अशोक कुमार पांडेय, पुष्पेश पंत, प्रभात रंजन, राकेश तिवारी, कृष्ण कल्पित, सुजाता, प्रियदर्शन, यतीन्द्र मिश्र, अल्पना मिश्र, गिरीन्द्रनाथ झा, विनीत कुमार, हिमांशु बाजपेयी, अनुराधा बेनीवाल, सुधांशु फिरदौस, व्योमेश शुक्ल, अरूण देव, प्रत्यक्षा, त्रिलोकनाथ पांडेय, आकांक्षा पारे, आलोक श्रीवास्तव, विनय कुमार, दिलीप पांडे, अदनान कफ़ील दरवेश, गौरव सोलंकी, कैलाश वानखेड़े, अनघ शर्मा, नवीन चौधरी, सोपान जोशी, अभिषेक शुक्ला, रामकुमार सिंह, अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी, तरूण भटनागर, उमेश पंत, निशान्त जैन, स्वानंद किरकिरे, सौरभ शुक्ला, प्रकृति करगेती, मनीषा कुलश्रेष्ठ, पुष्पेश पंत

राजकमल फेसबुक पेज से लाइव हुए कुछ ख़ास हिंदी साहित्य-प्रेमी : चिन्मयी त्रिपाठी (गायक), हरप्रीत सिंह (गायक), राजेंद्र धोड़पकर (कार्टूनिस्ट एवं पत्रकार), राजेश जोशी (पत्रकार), दारैन शाहिदी (दास्तानगो), अविनाश दास (फ़िल्म निर्देशक), रविकांत (इतिहासकार, सीएसडीएस), हिमांशु पंड्या (आलोचक/क्रिटिक), आनन्द प्रधान (मीडिया विशेषज्ञ), शिराज़ हुसैन (चित्रकार, पोस्टर आर्टिस्ट), हैदर रिज़वी, अंकिता आनंद, प्रेम मोदी, सुरेंद्र राजन, वाणी त्रिपाठी टिक्कू

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