दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) आज हर जगह सोशल डिस्टेंस की बात चल रही है। और संक्रमण रोकने के लिए यह आवश्यक भी है। लेकिन समाज विज्ञान को यह सोशल डिस्टेंस और फिजिकल डिस्टेंस से परिचित कराना चाहिए उक्त बातें एल एन एम यू समाज शास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ बिनोद कुमार चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कही, आज समाज के लिए सामाजिक संबंधों में नजदीकी एवं शारीरिक संबंधों में दूरी आवश्यक है। अमेरिका की नॉर्थ ईस्ट यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान और सार्वजनिक नीति के प्रोफेसर डेनियल एल्ड्रीच का मानना है कि अभी करो ना संक्रमण के समय सोशल डिस्टेंस के आसान पर फिजिकल डिस्टेंस शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए सामाजिक संबंधों को मजबूत करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करना चाहिए डब्ल्यूएचओ ने भी पिछले सप्ताह शारीरिक दूरी शब्द का प्रयोग शुरु कर दिया है डब्ल्यूएचओ ने 20 मार्च के अपने दैनिक प्रेस ऑफिस में महामारी वैज्ञानिक मारिया वान केरखोव ने कहा कि अब हम शारीरिक दूरी शब्द को भौतिक दूरी शब्द में बदलना चाहते हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि लोग अभी भी भौतिक दूरी बनाते हुए उनके बीच सामाजिक संबंध पहले से और मजबूत बनाएं रख कर न सिर्फ महामारी का ही मुल्क मुकाबला कर सकते हैं बल्कि पुनः निर्माण के लिए जरूरी है । यह समय हमारे लिए शारीरिक दूरी बनाए रखने हुए सामाजिक संबंध एवं सौहार्द को और मजबूत बनाने का है हमें उपरोक्त बातें से सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी समझना होगा। इस महामारी के खिलाफ लगने के लिए पूरी तरह से व्यवस्थित एवं संगठित प्रयास की जरूरत है साथ ही शादी की दूरी का अभ्यास करते हुए सरकार एवं जनता को एक साथ मिलकर कोरोनावायरस सामाजिक संबंधों में नजदीकी एवं शारीरिक संबंधों में दूरी हमारी आवश्यकता है। सामाजिक वैज्ञानिक बोगाडस ने सेकड़ो बर्षो पहले इन बातों की चर्चा की एवं सामाजिक दूरी को मापने का पैमाना विकसित किया।
बुधवार, 8 अप्रैल 2020
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दरभंगा : समाज विज्ञान को यह सोशल डिस्टेंस और फिजिकल डिस्टेंस से परिचित कराना चाहिए
दरभंगा : समाज विज्ञान को यह सोशल डिस्टेंस और फिजिकल डिस्टेंस से परिचित कराना चाहिए
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