पटना (आर्यावर्त संवाददाता) पूरा देश महामारी के संकट से जूझ रहा है। भारत में कोरोना संकट से निपटने के लिए 21 दिनों का लॉक डाउन जारी है। सरकारी आंकड़े के अनुसार बिहार में अभी तक कोरोना के 60 मामले सामने आये हैं। इसी को लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से सवाल पूछते हुए कहा कि मैं जानना चाहता हूँ कि अभी तक रोकथाम के लिए सरकार द्वारा क्या-क्या कदम उठाये गये हैं? सिर्फ़ घोषणा करने से हम इस बीमारी से नहीं लड़ सकते, उनको अक्षरशः लागू भी करना होगा। मैं सरकार से जानना चाहूँगा कि
▪️ अभी तक बिहार में कुल कितनी पंचायतों, गाँवों, नगर निकायों का सनिटाइजेशन हुआ है? आदर्श रूप से सभी गाँव/टोला/मुहल्ला/क़स्बा का प्रत्येक सप्ताह दो बार छिड़काव/सफ़ाई होना चाहिए।
▪️ जिन देशों/राज्यों ने इस महामारी को रोकने में सफलता पाई है अगर उनका मॉडल देखें तो मास्क और सनिटाइज़र के उपयोग का अहम रोल है। बिहार सरकार अब तक इनका जनता में वितरण क्यों नहीं कर पायी है? इनके उत्पादन के लिए क्या कदम उठाए गए है?
▪️ बिहार की जनसंख्या अनुपात में अब तक कितनी प्रतिशत कोरोना जाँच हुई है और कितनी जाँच करवाना सरकार का लक्ष्य है? सरकारी आँकड़ों के अनुसार कल तक लगभग 13 करोड़ बिहारवासियों में से मात्र 5457 लोगों की ही जाँच हुई है।
▪️ टेस्टिंग किट,पीपीई किट, वेंटिलेटर का स्टॉक क्या है? पुलिसकर्मियों को PPE इत्यादि आवश्यक उपकरण कब तक मिलेंगे?
▪️ लॉकडाउन के संभावित विस्तार के मद्देनज़र प्रदेश से बाहर फँसे हुए हमारे मज़दूर भाइयों के जीवन-यापन के लिए सरकार की क्या वृहद योजना है?
▪️जिन जरूरतमंदो का किसी कारणवश राशन कार्ड नहीं बन पाया या लंबित है उनको राशन देने के लिए सरकार क्यों नहीं अस्थायी प्रबन्ध कर रही? क्या राशन कार्ड बनवाने के लिए दिए गए आवेदकों को लाभ नहीं मिलना चाहिए?
▪️ लाभुकों को सरकार द्वारा घोषित राशन क्यों नहीं मिल रहा? डीलरों द्वारा दाल का वितरण क्यों नहीं हो रहा?
अभी तक जो वस्तुस्थिति हम सभी के सामने है उससे प्रतीत होता है कि राज्य सरकार बग़ैर किसी क्रियान्वयन योजना के आनन-फ़ानन में राहत सम्बंधित कोई भी घोषणा कर सिर्फ़ सुर्खियाँ बटोरना चाहती है। इस विपदा की घड़ी में ग़रीबों को बयान नहीं राशन चाहिए। जब तक समर्पित होकर समग्र योजना के साथ इस लड़ाई को नहीं लड़ेंगे, तब तक हम कोरोना को नहीं हरा सकते।
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