दरभंगा (आर्यावर्त संवाददता) बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में विधिवत रूप से नियुक्त एवम् कार्यरत अतिथि शिक्षकों को मार्च माह से वेतन न देना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार को तुरंत अतिथि शिक्षकों के वेतन भुगतान का आदेश देना चाहिए। बिहार विधान परिषद के पूर्व सदस्य एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय सिंडिकेट के सदस्य प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी ने आज जारी अपने बयान में कहा है कि सरकार जब शिक्षकों की बहाली में असफल हो गई शिक्षकों की भारी किल्लत देखकर विश्वविद्यालयों को ही नियुक्ति का अधिकार दे दिया । ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय ने दिसंबर 2018 एवं मार्च 2019 में अतिथि शिक्षकों की विधिवत सेलेक्शन कमिटी के माध्यम से नियुक्ति की । उस समय अधिकांश महाविद्यालयों में किसी न किसी विषय में तो एक भी शिक्षक नहीं थे। अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के बाद पठन-पाठन का पुनः सिलसिला शुरू हुआ। यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि मिथिला विश्वविद्यालय में बहाली के समय का 3 माह का वेतन अभी तक बकाया ही है और अब फिर से मार्च के बाद अतिथि शिक्षकों को वेतन नहीं दिया गया है । छपरा एवं भागलपुर विश्वविद्यालय से मिली खबर के अनुसार वहां के अतिथि शिक्षकों को भी वेतन नहीं मिला है। यहां एक बात और महत्वपूर्ण है कि केंद्र सरकार ने 50,000 मासिक पर इनकी नियुक्ति का आदेश दिया था वही बिहार सरकार इन्हें मात्र 25000 माहवार दे रही है।
मैं बिहार के महामहिम कुलाधिपति एवं राज्य सरकार से इन अतिथि शिक्षकों के वेतन भुगतान , तुरंत जारी करने की अपील करता हूं ।
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