मधुबनी : फर्जी कंपनियां अधिक ब्याज पर लोन देकर महिलाओं का कर रहे शोषण - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

मधुबनी : फर्जी कंपनियां अधिक ब्याज पर लोन देकर महिलाओं का कर रहे शोषण

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मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) प्रशासन के नाक के नीचे कई वर्षो से फर्जी कंपनी के नाम पर कमिटी बनाकर महिलाओं को लोन देकर शोषण करने का काम कर रही है। यह कंपनियां इसके बाद पचास परसेंट तक इन महिलाओं से किस्त के रूप में साप्ताहिक वसूली करती है। इतना हीं नही इस लॉकडाउन में भी दबाव बनाकर किस्त वसूलने से बाज नही आती है। ऐसा हीं एक कमिटी भारत फाइनेंस सहयोगी इंडसलड बैंक के फर्जी नाम से नगर के लहेरियागंज के रामगंज वार्ड नंबर दो एवं तीन नाका के पास स्थित सामुदायिक भवन में चल रही है, जहाँ प्रत्येक सप्ताह कंपनी के आदमी के द्वारा राशि की वसूली की जाती है। सामुदायिक भवन के ऊपर एक बोर्ड भी मिथिलांचल कम्युनिटी हॉल के नाम से लगा हुआ है। स्थानीय लोगो की शिकायत पर जब वहाँ मीडियाकर्मी पहुँचे, तो देखा की लगभग एक दर्जन महिलाओं के द्बारा फर्जी कंपनी के भारत फाइनेंस के कर्मचारी के द्वारा राशि की वसूली की जा रही है। जब मीडिया कर्मी के द्बारा रखी गई रकम की विडियो बनाई जा रही थी, तो फर्जी कंपनी के द्वारा हड़बड़ाहट में जल्दी से रकम साथ लाये बैग में रख लिया गया। इस बाबत जब मीडियाकर्मी ने कंपनी के कर्मचारी से कंपनी एवं लोन के बारे में पूछताछ आरंभ की, तो उसने कुछ भी बताने से इंकार किया और अपने पदाधिकारी से बात करवाया। लेकिन वह पदाधिकारी ने भी कुछ नही बताया, एवं अपने कर्मचारी को भी कुछ भी नही बताने की हिदायत दे दी। सूत्रों के अनुसार पता चला है की कंपनी के द्वारा 11महिलाओं की कमिटी बनाती है, और अपने टेढ़े-मेढ़े नियम से सभी को जाल में फंसाती है। इस सम्बन्ध में उपस्थित महिला उपभोक्ता ने बताया विगत चौदह वर्षो से हम इस कंपनी से लोन लेते है, और साप्ताहिक किस्त भरते है। एक उपभोक्ता ने बताया की कंपनी के द्बारा चालीस से पचास परसेंट ब्याज की वसूली हमलोगो से की जाती है, और इस लॉकडाउन की विषम परिस्थिति में भी कंपनी साप्ताहिक वसूली करने से बाज नही आती है। कंपनी का नियम इतना कड़ा है की उपभोक्ता ऋणी को जैसे भी हो साप्ताहिक किस्त की राशि की भुगतान करनी है, इसके लिये कंपनी पहले ही कई कागजों पर ऋणी का हस्ताक्षर ले चुके है। जिससे ऋणी पर साप्ताहिक किस्त भरने का दबाव बना रहता है। आश्चर्य इस बात का है की सरकार के द्बारा कम ब्याज की दर पर आम जनता के लिये ऋण देने के लिये कई योजनाएं बैंक एवं अन्य सरकारी संस्थान के द्वारा चलाई जा रही है, तो फिर इस तरह की फर्जी कंपनी के जाल के चुंगल में कैसे फंस जाती है? यहाँ तक की इस तरह की फर्जी कंपनी के लालच में फंसकर कई ऋणी रोड पर आ चुके है। पारिवारिक कलह के कारण आत्महत्या कर चुके है, एवं जमीन तक गंवा चुके है। बरहाल जो भी हो सरकार को इस दिशा में पहल कर ठोस कदम उठाने की जरूरत है, एवं जिला प्रशासन को ऐसे फर्जी कंपनी पर नकेल कसकर ठोस कदम उठाकर कंपनी चलाने वालों को गिरफ्तार करने की जरूरत है। ताकी आने वाले समय में इस तरह के फर्जी कंपनी से लोग शोषित होने से बच सके।

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