मधुबनी : बेनीपट्टी में शहीद कामरेड सोमन सदाय का भाकपा-माले ने मनाया शहीद दिवस। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 20 अगस्त 2020

मधुबनी : बेनीपट्टी में शहीद कामरेड सोमन सदाय का भाकपा-माले ने मनाया शहीद दिवस।

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बेनीपट्टी/मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) 20 अगस्त, 2005 को सामंती अपराधी ताकतों ने सीपीआई के समर्थक सोमन सदाय की हत्या कर दिया था। उस समय यह क्षेत्र सीपीआई का गढ़ था। भूमि आंदोलन से सीपीआई द्धारा गद्धारी के बाद से इस क्षेत्र के दर्जनों पंचायत बर्ष 2017 से शुरू होकर अभी बर्ष 2020 तक में माले आंदोलन का गढ़ बन चूका है। जहां गरीब श्रमिकों के नजर में आज का सीपीआई भी सामंत पक्षिय पार्टी कहलाती है। इस बिशाल क्षेत्र में बेनीपट्टी बिधान सभा और हरलाखी बिधान सभा पड़ता है।  उक्त भूमि आंदोलन और माले आंदोलन के नाभी बिंदु का नाम अकौर है। जहां के बड़े सामंती ठाकुर परिवार के खिलाफ संघर्ष माले चला रही है और सीपीआई के स्थानिय नेता सामंतों के पक्ष गरीबों महादलितों पर हमला चला रहा है।उसी अकौर में शहीद कामरेड सोमन सदाय का श्रद्धांजलि सभा भी आयोजित किया गया। जिसमें शहीद के सपना को पूरा करने के लिए"गरीब बसाओ आंदोलन"को मजबूत और शक्तिशाली बनाने का संकल्प लिया गया। 


श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए भाकपा-माले के जिला सचिव ध्रुब नारायण कर्ण ने कहा कि नीतीश मोदी सरकार सामंती ताकतों का पूरा सहयोग किया है। गरीबों के भूमि अधिकार आंदोलन पर हमला चला रहा है। मधुबनी जिला भर में लगभग एक लाख एकड़ सरकारी जमीन उपलब्ध हो सकता है। जिसमें हर भूमिहीन परिवारों को पांच डिसमिल बास भूमि और आधा एकड़ खेती की जमीन हो सकता है। यह मैं नहीं बल्कि नीतीश सरकार द्वारा गठित भूमि सुधार आयोग के रिपोर्ट का कहना है।जिसे नीतीश सरकार ने सामंतों को बचाने के लिए ठंढ़े बस्ते में डाल दिया। इस चुनाव में नीतीश सरकार द्वारा गरीबों के साथ किये गये इस गद्धारी का बदला लेना है। इस सरकार को वोट के माध्यम से उखाड़ फेंकना है। बेनीपट्टी प्रखंड माले सचिव श्याम पंडित की अध्यक्षता में संचालित श्रद्धांजलि सभा को किसान महासभा के जिला सचिव प्रेम कुमार झा, बेनीपट्टी अनुमंडल माले प्रभारी अनिल कुमार सिंह,खेग्रामस के जिला सचिव बेचन राम, कृपा नंद झा,राम बिनय पासवान वगैरह ने संबोधित किया। सभा में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण के खिलाफ न्यायालय के अवमानना आदेश को वापस लेने का प्रस्ताव लिया गया। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने आलोचना और अभिब्यक्ति की स्वतंत्रता को न्यायालय के अवमानना के रूप में चिह्नित किया हो, जो सरासर ग़लत है।

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