बिहार : सत्यनारायण पौद्धार का कहना है, अब भी खतरा बरकरार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 9 अगस्त 2020

बिहार : सत्यनारायण पौद्धार का कहना है, अब भी खतरा बरकरार

  • पतरघट ओपी के प्रभारी पक्षपात रवैया न अपनाएं तो एक ही क्षण में मामला सलट सकता है। अगर यहां पर नहीं होता है तो सौरबाजार  थाना में मामला अग्रसारित कर दें......
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पतरघट, 09 अगस्त। महज दीवार के साइड से ही मिट्टी काटकर नाली नहीं बनाने के आग्रह करने पर राजकुमार, सोना सिंह और राजा सिंह भड़क गये और रड एवं लाठी से लैश होकर दरवाजे के अंदर घुसकर गाली गल्लोज करने लगे। जब इसका प्रतिरोध किया गया तो रड एवं लाठी से प्रहार करने लगे। यहां पर दीवार पहले से ही बनी है। ऐसा लोगों का कहना है कि अगर दीवार से हटकर नाली बनाया जाए तो कोई विवाद का विषय ही नहीं होगा। घटना सहरसा जिले के पतरघट प्रखंड अन्तर्गत धबौली वार्ड नम्बर-13 में रहने वाले सत्यनारायण पौद्धार के साथ हुई। पतरघट ओपी में जाकर सत्यनारायण पौद्धार की पत्नी पिंकी देवी ने आवेदन पेश की है। आवेदन में कहा गया है कि 8 अगस्त,2020 रोज शनिवार को करीब साढ़े सात बजे शाम में धबौली वार्ड नम्बर-10 में रहने वाले स्व. रामदेव सिंह के पुत्र राजकुमार उर्फ बरकू सौर सोना सिंह के साथ हाकिम सिंह के पुत्र राजा सिंह ओपी पतरहघट,थाना सौरबाजार मेरे दरवाजे के अंदर घुसकर मेरे पति सत्यनारायण पौद्धार को पकड़ लिया। राजकुमार सिंह बोले कि हमलोगा दीवार के बगल होकर नाली खोदें हैं। इसके लिए लोगों को क्यों प्रचार करने गया। इन तीनों ने मिलकर गाली-गल्लोज करने लगे। मेरे पति सत्यनारायण पौद्धार जब गाली देने से मना किये तो तो लात मुक्का ,रड एवं लाठी से प्रहार करने लगे। जब मैंने अपने पति को बचाने गयी तो राजकुमार सिंह उर्फ बरकु मेरी बाल पकड़ कर पटक दिया और बुरी नीयत से कपड़ा खींचकर नंग्गा कर दिये। मेरा देवर जब हल्ला सुनकर दौड़ बचाने आये तो इसे भी राजा सिंह सिर एवं पीठ पर लौहे के रड से मारकर जख्मी कर दिया। सोना सिंह ने मेरी कान की दोनों बाली कीमत करीब 35 हजार रू. का खींचकर ले लिया और जाते समय धमकी दे दिये कि अगर शिकायत करोंगी तो सभी परिवार को धबौली गांव में जीने नहीं देंगे और जाने से मार कर लाश गायब करवा देंगे। इस ओर उचित कार्रवाई करने का आग्रह की है।

जहां फरियाद करने जाने पर मिलती है फटकार
पतरघट ओपी में गरीब परिवारों को न्याय नहीं मिलता है। वहां पर न्याय के लिए गुहार लगाने पर पतरघट ओपी में न्याय के बजाय गरीबों को फटकार मिलता है। दीवार के साइड से मिट्टी निकालकर दीवार गिराने का प्रयास को रोकने का आग्रह किया गया था। भविष्य में घर की दीवार न गिर जाए। यह सोचकर ही कहा गया। केवल कहने पर लोहे के रॉड और लाठी से धुनाई कर दी गयी।जब घटना स्थल पर पतरघट ओपी के प्रभारी पूछताछ करने आते हैं तो उल्टे गरीब और लाचार लोगों पर ही इल्जाम लगाना शुरू कर देते हैं। उनका सीधा आरोप लगता है कि तुम ही लोगों की गलतियां है। जब कानून ही दबंगों के इशारे और जनप्रतिनिधि न्याय के बजाय अनैतिक भाषा बोले तो गरीबों पर तो मनुवादी युग का संकेत ही है,जो अब गरीबों को अपने हक और अधिकार के लिए भी सोचना पड़ेगा। आवेदिका पहले से दीवार बनायी हुई है और विशेष जाति के लोगों के द्वारा नाला खुदाई थोड़ा बगल से करने पर कहने पर जानलेवा हमला किया जाता है। कुछ सामाजिक दायित्व के कारण जान तो बच गया लेकिन अबभी खतरा है। यह सब सत्यनारायण पौद्धार का कहना है।

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