बिहार : भाकपा-माले की राज्य कमिटी की पटना में बैठक, - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 17 सितंबर 2020

बिहार : भाकपा-माले की राज्य कमिटी की पटना में बैठक,

  • चुनाव के मुद्दे व तालमेल पर हुई चर्चा

माले महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य सहित वरिष्ठ नेतागण ले रहे हैं भाग.बिहार को लोकडौन की तबाही को लेकर विशेष केंद्रीय सहायता दे...
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पटना, 16 सितम्बर. भाकपा-माले की राज्य कमिटी की एक दिवसीय बैठक आज पटना राज्य कार्यालय में सम्पन्न हुई. बैठक में आगामी चुनाव के एजेंडों और भाजपा-जदयू की पराजय सुनिश्चित करने के लिए अब तक चली तालमेल की प्रक्रिया पर भी बातचीत की गई. बैठक में चुनाव की सम्पूर्ण कार्ययोजना पर भी बातचीत हुई. बैठक में माले महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य के साथ-साथ वरिष्ठ नेतागण भी भाग ले रहे हैं. राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल, धीरेन्द्र झा, पूर्व विधायक राजाराम सिंह के साथ-साथ तरारी विधायक सुदामा प्रसाद, दरौली विधायक सत्यदेव राम, मनोज मंजिल, शशि यादव, पूर्व विधायक अरुण सिंह, गोपाल रविदास, बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, राजू यादव, अजित कुशवाहा आदि नेता भाग ले रहे हैं.  बैठक के हवाले से धीरेन्द्र झा ने कहा कि मोदी व नीतीश कुमार धड़ाधड़ चुनावी घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन महिलाओं की कर्जमाफी के सवाल पर उन्होंने चुप्पी साध रखी है. लोकडौन ने अर्थव्यवस्था की रीढ़ तोड़ दी है. एक तरफ कॉरपोरेटों का कर्ज माफ किया जा रहा है लेकिन दूसरी ओर महिलाओं के छोटे कर्ज की जबरन वसूली हो रही है. सभी जरूरतमंदों को 10 हजार रुपया लोकडौन भत्ता पर भी सरकार चुप है. मोदी चुनावी घोषणाओं के जरिये बिहार को एक बार फिर भरमाना चाहते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. Bjp-जदयू को इस बात का जवाब देना होगा कि आज बिहार बेरोजगारी में नम्बर एक क्यों है? अर्थव्यवस्था नकारात्मक दिशा में क्यों है? 



भाकपा-माले का मानना है कि महिलाओं की कर्जमाफी,मज़दूरों को लॉकडौन भत्ता के साथ बिहार को कोरोना लॉकडौन तबाही को लेकर विशेष केंद्रीय सहायता मिलनी चाहिए और प्रवासी मजदूरों के रोजगार की गारंटी करनी चाहिए. इस मुद्दे पर नीतीश मौन हैं. आज भूख और बेकारी हर जगह पसरी हुई है। नकदी का भारी संकट है क्योंकि 5-6 महीने से कामधंधा बन्द है। बाहर से हर परिवार में मासिक जो आमदनी होती थी,वो सारे रास्ते बंद हैं। भुखमरी-अद्धभुखमरी जैसी स्थिति है। प्रधानमंत्री के द्वारा जो रोजगार देने की घोषणा हुई, उसका अतापता नही है। और दाल तो रास्ते में गल गयी। गरीबों के बच्चे की पढ़ाई 5 महीने से बन्द है! बिजली बिल का करंट अलग से लग रहा है!  अभी भी गांव में 15-20 प्रतिशत परिवारों के पास राशनकार्ड नहीं है और जिनके भी नया राशन कार्ड बना है, उनके सभी सदस्यों का नाम राशनकार्ड में नही है! इसी परेशानी और तंगहाली के बीच बाढ़ ने पूरे उत्तर बिहार को तबाह कर दिया है। हजारों परिवार महीनोंसे परिवार और माल मवेशियों के साथ सड़कों-तटबंधों पर शरण लिए हुए हैं। लोगों को कई दिनों तक भूखे-अधभूखे रहना पड़ रहा है। नाव और पॉलिथीन की व्यवस्था भी सरकार नही कर पायी है!

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