चंडीगढ़, 16 सितंबर, पंजाब में कई स्थानों पर किसान संगठनों ने केंद्र सरकार की ओर से संसद में पेश किए गए' किसान विरोधी' विधेयकों के खिलाफ बुधवार को प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि सरकार को इस विधेयक पर किसान समुदाय से सलाह-मशविरा करना चाहिए था क्योंकि इससे उन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। ये विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए पेश किए गए हैं। सरकार ने सोमवार को कृषि उत्पाद व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक, किसान (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन समझौता एवं कृषि सेवा विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक पेश किये। ये विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेने के लिए पेश किए गए हैं। इन विधेयकों के पीछे तर्क दिया गया है कि इससे किसान सरकार नियंत्रित मौजूदा बाजारों और कीमतों से मुक्त हो जाएंगे और अब वह अपने उत्पाद की अच्छी कीमतों के लिए निजी पक्षों से समझौता कर सकते हैं। किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि जैसे ही ये विधेयक पारित होंगे, इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म करने का रास्ता साफ हो जाएगा और किसानों को बड़े पूंजीपतियों की 'दया' पर छोड़ दिया जाएगा। मोहाली में 11 किसान समूहों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए इन विधेयकों को 'किसान विरोधी' बताया है। अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों के मार्च को पंजाब के राज्यपाल के आवास तक जाने से पहले ही रास्ते में रोक दिया गया। किसान ज्ञापन सौंपने के लिए जा रहे थे। विभिन्न किसान समूहों के 11 नेताओं को आगे बढ़ने की इजाजत दी गई। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिह लखोवाल ने दावा किया कि ज्ञापन स्वीकार नहीं होने को लेकर उन्होंने राज्यपाल के आवास के बाहर प्रदर्शन किया। किसानों ने मुक्तसर में बादल के गांव और पटियाला में भी बीकेयू (एकता उग्रहण) के बैनर तले प्रदर्शन किया। इस बीच, किसान मजदूर संघर्ष समिति ने तीन स्थानों से सड़कों की नाकेबंदी हटा दी। समूह के सदस्यों ने अमृतसर- नयी दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग, तरन तारन के हरिके हेडवर्क्स और गुरदासपुर के तांडा-हरगोबिंदपुर पुल पर यातायात को रोक दिया था। किसान नेताओं ने कहा कि आम लोगों को हो रही दिक्कतों की वजह से उन्होंने अपना धरना वापस ले लिया।
बुधवार, 16 सितंबर 2020
कृषि विधेयकों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन
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