बिहार : राजनाथ सिंह को याद आया चरवाहा विद्यालय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

बिहार : राजनाथ सिंह को याद आया चरवाहा विद्यालय

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पटना: शिक्षकों एवं बुद्धिजीवियों के साथ संवाद में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि समाज में शिक्षा की भूमिका उस शिल्पी की तरह है जो छात्रों के भविष्य की तस्वीर बदलने की क्षमता रखता है। हर्ष की बात है कि पिछले डेढ़ दशक के भीतर बिहार में शिक्षा और शिक्षकों के विकास की दिशा में काफी कार्य हुए और देश-विदेश में शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों ने बिहार का परचम लहराया है। सिंह ने कहा कि चरवाहा विद्यालय जैसे कांसेप्ट के साथ तालमेल मिलाकर काम करना, और तेल पिलावन-लाठी घुमावन, जैसे माहौल में भी काम करना अपने आप में बेहद चुनौतीपूर्ण था। हम सबकी यही कोशिश है कि बिहार के किसी भी शिक्षक को अब कभी भी उस तरह की कठिनाइयों का सामना फिर से न करना पड़े। बिहार के शिक्षकों ने तो बहुत बुरा समय देखा है, बहुत संघर्ष किया है। मुझे वह समय आज भी याद है जब बिहार के शिक्षक सड़कों पर आए दिन आन्दोलन करने के लिए मजबूर होते थे। कारण क्या होता था? छह महीने से वेतन नहीं मिला? साल भर से वेतन नहीं मिला? बिहार के शिक्षकों ने तो बहुत बुरा समय देखा हैं, बहुत संघर्ष किया हैं। मुझे वह समय आज भी याद है जब बिहार के शिक्षक सड़कों पर आए दिन आन्दोलन करने के लिए मजबूर होते थे। कारण क्या होता था? छह महीने से वेतन नहीं मिला? साल भर से वेतन नहीं मिला? राजनाथ सिंह ने वर्चुअल संवाद में कहा कि मैं भी शिक्षक वर्ग से आता हूँ। मुझे जब कभी शिक्षकों से बात करने का मौका मिलता है मैं इसे छोड़ता नहीं। राजनीति में आने से पहले मैं भी शिक्षा से जुड़ा रहा। मैं अभी भी जीवन की पाठशाला में पढ़ने का काम हमेशा जारी रखे हुए हूँ। यही नहीं ढाई दशक से बिहार के सामाजिक-राजनीतिक जीवन से भी जुड़ा रहा हूँ। जीवन में शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि शरीर के चार महत्वपूर्ण तत्व तन, मन, बुद्धि और आत्मा शिक्षा के जरिये ही प्राप्त हो सकते हैं। भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति बिहार की ही पवित्र भूमि पर हुई। इसलिए शिक्षा को एक सम्पूर्ण दृष्टिकोण से अपनाने की आवश्यकता है।



नई शिक्षा नीति की व्याख्या करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 34 वर्षों के बाद आई नयी नई शिक्षा नीति बदलते भारत के स्वरूप को निर्धारित करेगी। इस नीति में बुनियादी ज्ञान और कौशल विकास पर बल दिया गया है। बदलते भारत में शिक्षा के बदलते स्वरूप के जरिये रिसर्च एवं स्कील डेवलपमेंट की जरूरत है यही कारण है कि नयी शिक्षा नीति में मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा, बुनियादी ज्ञान और कौशल विकास पर बल दिया गया है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आत्मनिर्भर भारत का संकल्प तभी साकार होगा जब हम व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहित करेंगे। इस मौके पर अपने संबोधन में उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बीते 15 वर्षों के भीतर शिक्षा के क्षेत्र में राज्य सरकार ने जितने कार्य किये उतना पहले कभी नहीं हुआ था। साढ़े तीन लाख शिक्षकों की बहाली, कोरोना काल में इनके वेतनमान में 20 प्रतिशत की वृद्धि, विश्वविद्यालय शिक्षकों को सातवें वेतनमान का लाभ, विश्वविद्यालयों में सह-प्राध्यापकों की नियुक्ति के लिए साढ़े चार हजार पदों पर बहाली प्रक्रिया प्रारंभ होने, उच्च शिक्षा के लिए चार प्रतिशत ब्याज दर पर एक लाख नौजवानों को ग्यारह सौ करोड़ का कर्ज देने, शेष बची सवा तीन हजार से अधिक पंचायतों में नवम् वर्ग की पढ़ाई की व्यवस्था करने और छात्राओं को प्रोत्साहित करने के संबंधित विभिन्न योजनाओं का विस्तार से उल्लेख किया। संवाद कार्यक्रम में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, विधान परिषद् के कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, पथ निर्माण मंत्री नन्द किशोर यादव, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, कृषि मंत्री डॉ0 प्रेम कुमार, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री विनोद नारायण झा, पूर्व विधान पार्षद नवल किशोर यादव, पूर्व विधायक डॉ चंद्रमा सिंह आदि उपस्थित थे।

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