पहली बार की अगले दस सालों में दुनिया के नेट ज़ीरो होने की दिशा में बढ़ने के लिए ज़रूरी कदमों की बात, वार्षिक रिपोर्ट में इस विषय पर रखा पूरा सेगमेंट

इस ताज़ा रिपोर्ट में दर्ज मौजूदा नेट-शून्य प्रतिबद्धताओं का विश्लेषण वैश्विक प्रयासों के लिए कई उपयोगी सबक प्रदान करता है, और साथ ही सुझाव देता है कि:
1. एक नेट-शून्य कार्बन पावर सिस्टम बनाने के लिए दीर्घकालिक और एकीकृत योजना की आवश्यकता होती है,
2. उत्सर्जन में कमी के प्रयासों के लिए विद्युतीकरण केंद्रीय बिंदु ज़रूर हो सकता है लेकिन साथ ही हाइड्रोजन जैसे कम कार्बन ईंधन पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है,
3. क्योंकि उत्सर्जन को पूरी तरह से खत्म करना मुश्किल होगा, इसलिए प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा देना पड़ेगा।
4. सार्वजनिक स्वीकृति सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ताओं के साथ जुड़ना भी महत्वपूर्ण होगा।
इस महत्वपूर्ण रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए ऑइल चेंज इंटरनेशनल में एनर्जी ट्रांजीशन और फ्यूचर्स प्रोग्राम के निदेशक हैना मैककिनन कहती हैं, “WEO 2020 से साफ़ ज़ाहिर है कि IEA समझ रहा है कि दुनिया अब अस्तित्व संकट का सामना कर रही है और उसके अस्तित्व को बचने के लिया जलवायु परिवर्तन रोकने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। एक छोटा सा 1.5ºC ग्लोबल वार्मिंग परिदृश्य या NZE 2050 एक उपयोगी कदम है, लेकिन जब तक 1.5ºC परिद्रश्य WEO के केंद्र में नहें होगा तब तक यह जलवायु सुरक्षा के लिए खतरा है।” वो आगे कहती हैं, “1.5ºC तक वार्मिंग को सीमित करना न सिर्फ़ ज़रूरी है, संभव भी है, लेकिन सरकारों और निवेशकों को समान रूप से ऐसे रास्ते की जरूरत है जो उन्हें सफलता की योजना बनाने की अनुमति दें, न कि आगे की विफलता। NZE2050 से पता चलता है कि IEA उर्जा की बढ़ती मांगों टी तरफ ज्यादा ध्यान दे रहा है। अब IEA को 2021 में 1.5ºC परिदृश्य को पूरी तरह से विकसित और केंद्रीय बनाकर अगला बड़ा कदम उठाना चाहिए न की उर्जा ज़रूरतों को।" हाँ यह याद दिलाना ज़रूरी है निवेशकों, व्यवसायों और जलवायु नेताओं का एक बड़ा समूह दो साल से इस परिदृश्य का आह्वान करा रहा है। जहाँ यह रिपोर्ट एक ओर महत्वपूर्ण है, वहीँ यह कुछ सवाल भी उठाती है कि अब IEA को क्या स्पष्ट करना चाहिए। जो सबसे बड़ा सवाल अब उठता है वो है कि IEA इस 1.5C परिदृश्य के बारे में क्या करने की योजना बना रहा है? IEA ने इस पूरे वर्ष को ग्रीन रिकवरी को बढ़ावा देने में बिताया है, विशेषकर पेरिस एजेंसी ने जुलाई में इस विषय पर एक विशेष रिपोर्ट जारी की और स्वच्छ संक्रमण शिखर सम्मेलन (क्लीन ट्रांजीशन समिट) का आयोजन किया। तो क्या यह 1.5C परिदृश्य - ग्रीन रिकवरी को एक वास्तविकता बनाने के लिए मूल रोडमैप - सरकारों और निजी क्षेत्र के साथ काम करने में उनका मुख्य केंद्र बन जाएगा? क्या IEA सरकारों की रिकवरी योजनाओं पर सलाह देते समय इस परिदृश्य को केंद्र में रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं? इन सभी सवालों का जवाब तो वक़्त बताएगा, लेकिन यह तय है कि IEA का नेटज़ीरो होने का रोडमैप जारी करना बहुत कुछ कहता है और हमें बहुत कुछ समझने की ज़रूरत है।
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