ग्रामीण जीवन में रचनात्मक कार्य का एकता परिषद की तीन महिला साथियों को पुरस्कार. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 11 अक्तूबर 2020

ग्रामीण जीवन में रचनात्मक कार्य का एकता परिषद की तीन महिला साथियों को पुरस्कार.

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भोपाल। वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन के द्वारा दुनिया भर में ग्रामीण जीवन में महिलाओं के रचनात्मक कार्य पुरस्कार 2020 के लिए एकता परिषद जन संगठन की तीन महिला कार्यकर्ताओं को चुना गया है। इस आशय की जानकारी एकता परिषद द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी गयी। एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिंह परमार ने बताया कि वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन जिनेवा के द्वारा ग्रामीण जीवन में महिलाओं के रचनात्मक कार्य के लिए वर्ष 2020 के पुरस्कार की घोषणा की गयी है, जिसमें भारत की चार महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं का भी नाम है। इसमें एकता परिषद के तीन बहनों मध्यप्रदेश की सरस्वती उइके (रायसेन), शबनम शाह (अशोकनगर) तथा निर्मला कुजूर (कोरबा, छत्तीसगढ़) का नाम शामिल है। उन्होनें बताया कि मूलतः बैतूल जिले के गौंड आदिवासी समाज में जन्मी सरस्वती उइके वर्तमान में रायसेन जिले में गोंड, भील, भीलाला जनजाति के वनाधिकार और सशक्तिकरण के लिए काम कर रही हैं। गौहरगंज और सिलवानी तहसील के कई गांवों में जन जागरूकता के माध्यम से संगठन निर्माण और भूमि अधिकार को लेकर बड़ा काम किया है। इनके प्रयास से रायसेन जिले में दर्जनों गांव में सैकड़ों आदिवासी परिवारों को वनभूमि का व्यक्तिगत अधिकार और सामुदायिक अधिकार मिला है। इसी तरह से अशोकनगर की रहने वाली 33 वर्षीय शबनम शाह अति पिछड़ी जनजाति सहरिया के सशक्तिकरण और भूमि अधिकार को लेकर अभियान चला रही है। इनके प्रयास से अशोकनगर जिले के कई गांव में सहरिया आदिवासियों की भूमि समस्या हल हुई है और कुछ पर संघर्ष चल रहा है। इसी तरह से छत्तीसगढ़ की रहने वाली निर्मला कूजुर उरावं जनजाति की है, जो कोरबा जिले में पाण्डो, धनवार और उरांव जनजाति के बीच भूमि अधिकार और ग्राम स्वराज पर काम कर रही हैं। जय जगत 2020 के समन्वयक और एकता परिषद के राष्ट्रीय संयोजक अनीश कुमार ने बताया कि उपरोक्त तीनों महिलाओं को ग्रामीण जीवन में महिलाओं के सशक्तिकरण के अभियान में नेतृत्व को देखते हुए जय जगत वैश्विक पदयात्रा के लिए चयन किया गया था, जो दिल्ली से लेकर अरमेनिया तक की पदयात्रा में शामिल रहीं। एकता परिषद के अनिल भाई ने बताया कि वूमेंस वर्ल्ड समिट फाउण्डेशन का गठन बीजिंग में 1994 में हुए विश्व महिला सम्मेलन के दौरान किया गया था। इस फाउण्डेशन के द्वारा ग्रामीण जीवन में रचनात्मक कार्यो के लिए अब तक दुनिया भर के 140 देशों के 462 महिलाओं को पुरस्कार दिया गया है। इस वर्ष के पुरस्कार में कैमरून की बौबा आइसेतु, नाइजिरिया की डा. अहमद अम्सी मैरो, मैक्सिको की अर्रिलो सांचेज व मारवान एलिसिया, नेपाल की राजकांती भण्डारी तथा भारत की विजया पवार श्रीराम, सुभद्रा खापेरडे़, सरस्वती उइके, शबनम शाह, और निर्मला कुजूर को दिया जा रहा है। इस पुरस्कार में 1000 डालर सहित प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। संगठन के लिए बहुत ही प्रसन्नता का विषय है कि संगठन की एकता महिला मंच की शाखा के साथ जूडे उपरोक्त तीन महिला साथियों को वैश्विक पुरस्कार हासिल हुआ है। ज्ञात हो कि सुभद्रा बहन भी अपने प्रारंभिक सामाजिक कार्य में एकता परिषद के साथ जूड़ी रही हैं।

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