कोविड -19 महामारी के बाद श्री राम सेंटर पहलीबार ‘गिरफ़्तारी’ नाटक का मंचन करेगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 नवंबर 2020

कोविड -19 महामारी के बाद श्री राम सेंटर पहलीबार ‘गिरफ़्तारी’ नाटक का मंचन करेगा

  • •        महामारी के बाद मंचन होने वाला यह नाटक आम भारतीय व्यक्ति की कहानी है.
  • •        गिरफ्तारी फ्रांज काफ्का के लोकप्रिय उपन्यास "द ट्रायल" का एक रूपांतरण है
  • •        नाटक  6 और 7 नवंबर 2020 को शाम 6:30 बजे मंचित होगा।

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नई दिल्ली, 1 नवम्बर 2020 : महामारी के समय में  दिल्ली के थिएटर प्रेमीयों के लिए खुशखबरी है, रंगमंच और कला के लिए प्रसिद्ध श्री राम सेंटर,मंडी हाउस 6 और 7 नवंबर को अपना पहला नाटक ‘गिरफ़्तारी’ का मंचन करेगा, दिल्ली में कोविड-19 के बाद प्रदर्शित होने वाला यह पहला नाटक है। रमा थिएटर नाट्य विद्या (रत्नाव)), ऑस्ट्रियन दूतावास, ऑस्ट्रियन कल्चरल फ़ोरम, द एम्बेसी ऑफ़ द चेक रिपब्लिक के सहयोग से और साइडवे  कंसल्टिंग द्वारा समर्थित (ए क्रिएटिव प्रॉब्लम सॉल्विंग आउटफिट) फ्रेंज़ काफ़्का के लोकप्रिय उपन्यास "द ट्रायल" पर आधारित पहला नाटक गिरफ़्तारी को  सरकार के कोविड-19 के  दिशा निर्देशों के पालन करते हुए मंचित करेगा । रत्नाव प्रोडक्शन का पहला नाटक  गिरफ़्तारी ’ सोशल डिस्टेंसिंग मानदंड के मद्देनजर केवल 50% की क्षमता के सीटों के साथ मंचित होंगा नाटक से पहले सभागार को पूरी तरह से  सेनीटाईज किया जायेगा प्रत्येक दर्शक सदस्य को काम्प्लमेन्टरी मास्क प्रदान किये जायेंगे । मीडिया दिग्गज और रत्नाव की संस्थापक और नाटक की निर्देशिका रमा पांडे रंगमंच के फिर से शुरु करने पर जोर दे रही है जो महामारी के कारण पिछले कई महीनों से बंद पड़े हैं।  गिरफ्तारी फ्रांज काफ्का के लोकप्रिय उपन्यास ‘‘द ट्रायल’’ का रूपांतरण है। यह समकालीन दिल्ली में एक आम भारतीय व्यक्ति की कहानी है, जो समाज से विमुख हो गया है। निर्देशक  ने नाटक में मरणासन्न भारतीय मौखिक और लोक रूपों के संयोजन का इस्तेमाल किया है। नाटक में राजस्थान के कीरट, ताशा ढोल और दिल्ली की सड़कों के नाफीरी वाद्ययंत्रों जैसे कला रूपों को शामिल  किया गया है। इस तरह, इस नाटक में अत्यधिक नाटकियता और थियेट्रिक्स है।  नाटक के निर्देशक और रतनव की  संस्थापक, रमा पांडे ने कहा, “पिछले कुछ महीने रंगमंच  समुदाय के लिए मुश्किल के रहे हैं, प्रदर्शन कला पर लॉकडाउन का काफी  प्रभाव रहा है। मुझे खुशी है कि हम कोविड-19 के बाद एकबार फिर से  श्री राम सेंटर में पहला नाटक प्रदर्शित करेंगे।शोज  हमेशा चलते रहने चाहिए, हमारी जिम्मेदारी है कि हम पर्याप्त सावधानी बरतें और अपने दर्शकों को वापस लाएं। मंडी हाउस भारत का सांस्कृतिक दिल है, इसे फिर से थिरकने और वही  जोश को फिर से जागना होगा। गिरफ़्तारी नाटक विषय हमेशा ही प्रासंगिक रहेगा क्योंकि यह  एक आम आदमी की दुर्दशा को संबोधित करता है”। सहयोग पर टिप्पणी करते हुए, माथियास रेडोसॉफ्टिक्स,मंत्री प्लीनिपोटेंटियरी ने कहा “ऑस्ट्रियन कल्चरल फोरम के लिए यह हर्ष की बात है कि हम फ्रांज़ काफ्का के नाटक के मंचन के लिए सहयोगी हैं,जो मूलरूप से  पहला हिंदी रूपांतरण है। हालाँकि, नाटक कुछ साल पहले प्रकाशित हुआ था लेकिन महामारी की स्थिति को ध्यान में रखते हुए नाटक सभी के लिए उपयुक्त है। इसका प्राथमिक उद्देश्य यह है कि इसे आम आदमी तक पहुंचना चाहिए जो रमा पांडे के कारण संभव हो पाया है। पहल का समर्थन करते हुए, अभिजीत अवस्थी, संस्थापक – साइडवे  ने कहा, "इस महत्वपूर्ण उत्कृष्ट नाटक के  मंचन में रत्नाव और ऑस्ट्रिया के वाणिज्य दूतावास के साथ साझेदारी करना हमारे लिए सौभाग्य की बात  है। विशेष रूप से एक ऐसे  समय में जो हम सभी को  कठिन लग रहा है। हमारे आस-पास क्या चल रहा है, इस बारे में समझ बनाने में दिक्कत आ रही है । निश्चित रूप से रमा  जी का यह रूपांतरित नाटक दर्शकों पर गहरा सकारात्मक प्रभाव छोड़ेगा। "


निर्देशक के बारे में:

रमा पांडे रमा थिएटर नाट्य विद्या (रत्नाव) और मोंटेटेज फिल्म्स की संस्थापक हैं। जयपुर में जन्मी रमा पांडे ने जयपुर आकर एक बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने शतरंज के मोहरे, अशर का एक दिन, भूमिजा, कंचन रंग, जास्मा ओडन और शतुरमुर्ग आदि जैसे कई लोकप्रिय नाटकों में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका निभाई है। दूरदर्शन और आकाशवाणी के अलावा वह बीबीसी हिंदी, वॉयस ऑफ अमेरिका, सीबीसी कनाडा और रेडियो नीदरलैंड टीवी सेंटर हॉलैंड से भी जड़ी रहीं। उन्होंने दूरदर्शन और विभिन्न केंद्रीय और राज्य मंत्रालय, पीएसयू, विश्वविद्यालयों और अन्य संगठनों के लिए कई वृत्तचित्र, टेलि-फिल्में और टीवी शो को लिखा है, निर्माण किया है और निर्देशन किया है। उन्होंने महिलाओं और बच्चों पर किताबें भी लिखी हैं। ‘‘बेगम बानो और खातून’’, ‘‘फैसले’’ और ‘‘सुनो कहानी’’ उनकी लोकप्रिय किताबें हैं। थिएटर और टेलीविज़न के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किये गये।

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