कैट ने किया फ़ेस्टिव बिज़नेस का आगाज़ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 3 नवंबर 2020

कैट ने किया फ़ेस्टिव बिज़नेस का आगाज़

करवा चौथ में 500 करोड़ के  व्यापार की उम्मीद

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नई दिल्ली ,आर्यावर्त संवाददाता ,2 नवंबर,  कोरोना संक्रमण संकट के बीच इस बार देश भर में  दीपों का पर्व  दीवाली मनाया जाएगा।  कोरोना से सुरक्षा के उपायों और भौतिक दूरी  का पालन करते हुए यह त्यौहार मनाना एक बड़ी चुनौती होगी। करवा चौथ और दीवाली पर्व के मद्धेनजर बाजार में खरीददारी के  वातावरण का उद्घोष करते हुए आज व्यापारिक संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अपने नई दिल्ली स्थित कार्यालय में देवी लक्ष्मी, यंत्र राज श्री यंत्र एवं नव ग्रह का विधि-विधान से पूजन कर 'त्योहारी मौसम' का आगाज़ किया।  ज्योतिषविद उज्जैन के आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार सम्पूर्ण कार्तिक मास तीर्थ स्नान, दान, तप , यज्ञ एवं पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है ! व्यापार एवं व्यापारियों के लिए 7 एवं 8 नवम्बर को पुष्य नक्षत्र होने के कारण विशेष महत्व है।  उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति कार्तिक मास में भगवती लक्ष्मी और श्री गणेश जी का पूजन अर्चन विधि विधान से करता है ,उसे स्थिर लक्ष्मी प्राप्त होती है। कैट के मुताबिक आज से देश के बाज़ारों में 'दीवाली पर्व मौसम'  की बिक्री शुरू हो रही है। इस पर्व मौसम के अंतर्गत मनाये जाने वाले त्योहारों में करवा चौथ 4 नवम्बर , धनतेरस 13 नवम्बर, दीवाली 14 नवम्बर , गोवर्धन पूजा 15 नवम्बर ,भैया दूज 16 ,छठ पूजा 20 नवम्बर एवं तुलसी विवाह 26 नवम्बर को मनाना प्रमुख रूप से शामिल है।  इन पर्वों के महत्व को देखते हुए दिल्ली एवं देश के बाज़ारों में बड़े स्तर पर व्यापारियों द्वारा तैयारियाँ की गई है।  कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि  इस वर्ष करवा चौथ के मौके पर देश भर में लगभग 500 करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद है।  पिछले वर्ष यह व्यापार लगभग 450 करोड़ रुपये था।  करवा चौथ में मुख्य रूप से पूजा की थाली, रोली एवं चावल रखने के लिए छोटी कटोरियाँ, चंद्रमा को जल का अर्क देने के लिए लोटा अथवा गिलास एवं महिलाओं द्वारा चंद्रमा को देखने के लिए छलनी मुख्य हैं।  यह सभी वस्तुएँ, सोने, चाँदी, पीतल, स्टील अथवा कांसे की होती हैं।  कैट द्वारा देश में चीनी सामान का बहिष्कार करने तथा इस वर्ष दीवाली को हिन्दुस्तानी दीवाली के रूप में मनाये जाने के आह्वान के चलते  इस बार भारत में ही बनी यह सारी वस्तुएँ उपयोग में लायी जाएंगी।

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