मधुबनी : 13 गांव में मिट्टी नमूना लेने का कार्य जोरों पर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

मधुबनी : 13 गांव में मिट्टी नमूना लेने का कार्य जोरों पर

mud-testing-madhubani
मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना वर्ष 2020- 2021 अंतर्गत जिला के प्रत्येक प्रखंड के चयनित 13 गांव में मिट्टी नमूना लेने का कार्य जोरों पर है। इसक्रम में  खजौली प्रखंड खजौली , पंचायत खजौली, गांव खजौली में किसानों के बीच मिट्टी नमूना लेने की विधि की जानकारी दी गई तथा स्वयं किसानों द्वारा खेत में जाकर प्रतिनिधि नमूना का संकलन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपनिदेशक रसायन दरभंगा प्रमंडल दरभंगा श्री विनय कुमार पांडे तथा सहायक निदेशक रसायन मधुबनी दिनेश कुमार ने किसानों को मृदा को स्वस्थ रखने के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। उपनिदेशक द्वारा बताया गया कि किसान अपने अपने आर्थिक हैसियत के अनुसार तथा एक दूसरे किसान की प्रतिस्पर्धा में रसायनिक उर्वरक का अंधाधुन प्रयोग करते हैं इसका गंभीर परिणाम होता है। विशेष तौर पर यूरिया के अधिक प्रयोग से पौधे का बढ़वार अनियंत्रित हो जाते हैं और पौधा खेत में गिर जाते हैं जिससे उत्पादन कम होता है। अतः किसान खेत की मिट्टी की जांच करा कर के अनुशंसा के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करें। इससे मृदा को स्वस्थ रखा जा सकता है। सहायक निदेशक ने विस्तार से मिट्टी नमूना संकलन करने की विधि की जानकारी दी । उन्होंने बताया कि सरकार का लक्ष्य प्रत्येक किसान के प्रत्येक प्लाट की मिट्टी को जांच कर उन्हें स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराया जाए । फ़सल बुआई के पहले कोई भी किसान अपने खेत से स्वयं प्रतिनिधि नमूना  लेकर उसकी जांच जिला प्रयोगशाला में करा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसान की भाषा में उर्वरक दो प्रकार के होते हैं एक कल- कारखाने में बने हुए रासायनिक उर्वरक दूसरा जीव ,जंतु ,जीवाणु ,पेड़ पौधों से बने हुए जैव उर्वरक । रासायनिक उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी, पानी , हवा विषैलें हो रहे हैं और इनके सेवन से मनुष्य भी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हो रहा है ।इसलिए किसान रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग अपने मन से कभी भी नहीं करें ।मिट्टी जांच के बाद प्राप्त मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुशंसा के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करें । जिला में 12 पारामीटर में मिट्टी जांच हो रही है । आज के प्रशिक्षण का तीन उद्देश्य है-पहला, किसान स्वयं वैज्ञानिक विधि प्रतिनिधि मिट्टी नमूना बनायें और इस ज्ञान को अन्य किसानों को भी बताएं। दुसरा, किसान अपने खेतों में जो उर्वरक प्रयोग करते हैं उसमें मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुशंसा के आधार पर सूक्ष्म पोषक तत्वो का प्रयोग अवश्य करें और तीसरा, जीव ,जंतु ,जीवाणु ,पेड़- पौधों से बने हुए जो जैव उर्वरक है, उसका प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करें जैसे केंचुआ खाद कंपोस्ट पीएसबी, केएसबी, ढैंचा, सनई , मूंग ,सड़ी हुई गोबर कंपोस्ट इत्यादि। इससे खेत की मिट्टी तो स्वस्थ रहेगी ही मनुष्य भी स्वस्थ रहेंगा और आने वाली पीढ़ी को हम स्वस्थ भूमि दें सकने में सफल होंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: