भारतीय मुद्रा का हो रहा खुलेआम अपमान, जिम्मेदार मौन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 3 दिसंबर 2020

भारतीय मुद्रा का हो रहा खुलेआम अपमान, जिम्मेदार मौन

चार दिन में समस्या का समाधान नहीं हुआ तो व्यापारी सौंपेंगे ज्ञापन

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सीहोर। इन दिनों शहरी और ग्रामीण अंचलों के लोग चिल्लर को लेकर काफी परेशान हैं। रोजाना ही दुकादार व आम लोगों के बीच विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। वहीं दूसरी ओर बड़े व्यापारी व बैंक चिल्लर लेने से मना कर रहे हैं। ऐसे में हर दुकानदार व आमजन के पास हजारों रूपए की चिल्लर एकत्रित हो गई है, बैंक में जमा करने जाने पर बैंक वाले भी सही जवाब नहीं देते हुए जिसको लेकर जिला उपभोक्ता संरक्षण परिषद के जिला उपाध्यक्ष और व्यापारी हीरु बेलानी सहित अन्य व्यापारियों ने निर्णय लिया है कि अगर चार दिन में चिल्लर का ठिकाने लगाने का इंतजाम नहीं हुआ तो कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रदर्शन किया जाएगा। दुकानदारों ने बताया कि वे फुटकर विक्रेता हैं और उनके पास वर्तमान में 40 से 50 हजार की चिल्लर रखी है। जो बड़े व्यापारियों को देने पर वह लेते नहीं। वहीं बड़े व्यापारियों ने बताया कि उनके प्रतिष्ठानों पर लाखों रुपए की चिल्लर पड़ी है लेकिन बैंक उनसे चिल्लर लेता नहीं इसलिए वह भी फुटकार व्यापारियों से चिल्लर नहीं लेते। मार्केट में कभी चिल्लर की किल्लत हुआ करती थी और चिल्लर लेने पर बट्टा देने पड़ता था। नोटबंदी के दिनों में बाजार में तेजी से दौडऩे वाला सिक्का इन दिनों लोगों के जी का जंजाल बन गया है। आलम यह है कि अधिक चिल्लर देखते ही व्यापारी मना कर देते हैं। इतनी अधिक चिल्लर हो गई है कि चिल्लर को लेकर कमीशनबाजी का भी खेल चल रहा है। कई दलाल सक्रिय है तो सौ रुपए की चिल्लर के 80 रुपए देते है, व्यापारी भी इससे मुक्ति पाने के लिए इन दलालों के चुंगल में फंस रहा है। व्यापारियों और परिषद का कहना है कि प्रशासन हजारों रुपए की इस चिल्लर को जमा करने का इंतजाम शीघ्र कराए, नहीं तो सोमवार को सभी से चिल्लर एकत्रित कर प्रदर्शन किया जाएगा। मांग करने वालों में परिषद के नरेन्द्र डाबी, मयंक गोगिया, राहुल सोलंकी, शादाब खान, अजय तोमर आदि शामिल है। 

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