नयी दिल्ली 30 नवंबर, तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा सहित देश के कई राज्यों से आये हजारों की संख्या किसानों का दिल्ली की सीमा पर चौथे दिन सोमवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड से आए हजारों की संख्या में किसानों ने दिल्ली के टिकरी और सिंघू बॉडरों को पूरी तरह से अवरुद्ध हैं। तीन दिनों के अवकाश के बाद मंगलवार को कार्यालय और व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुलने से यातायात की समस्या और अधिक बिगड़ने की आशंका है। किसान संगठनों आज प्रदर्शन के चौथे दिन फिर स्पष्ट किया कि उनकी मांगें, नए कृषि कानूनों को निरस्त करना, न्यूनतम समर्थन मूल्य का आश्वासन, बिजली अध्यादेश और पराली जलाने के जुर्माने पर बातचीत की हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी-प्रयागराज राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के उद्घाटन समारोह में दावा किया कि विपक्षी दलों द्वारा किसानों को ‘गुमराह’ किया गया है। श्री मोदी ने कहा,“प्रचार प्रसार किया जाता है कि फैसला सही है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है या कभी नहीं हुआ है।” उन्होंने फिर से कहा कि किसानों की भलाई के लिए इन कानूनों की बहुत आवश्यकता थी और अब किसानों के पास अपनी उपज बेचने के लिए अधिक विकल्प होंगे।
सरकार ने आज दोहराया कि वह आंदोलनरत किसानों से बात करके उनके मुद्दों का समाधान करना चाहती है तथा बातचीत के लिए ना कोई शर्त लगायी गयी है और ना ही मन में कोई पूर्वाग्रह है। केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने यहां एक कार्यक्रम के अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार किसानों की सभी समस्याओं को दूर करने एवं उनके कल्याण के लिए कृतसंकल्प है। गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बार बार कहा है कि आंदोलनरत किसानों की समस्या को बिना किसी पूर्वाग्रह या शर्त के सुना जाएगा और खुले मन से विचार किया जाएगा। सरकार किसानों की हर समस्या का समाधान करना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसानाें के बीच भ्रामक प्रचार किया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी की व्यवस्था समाप्त कर दी जाएगी। जबकि पंजाब में इस साल खाद्यान्न की खरीद लक्ष्य से कहीं अधिक हुई है जो एक रिकॉर्ड है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी संसद में बयान दे चुके हैं कि एमएसपी और मंडी की व्यवस्थाएं बरकरार रहेंगी। कृषि मंत्री श्री तोमर ने भी एक पत्र में लिख कर कहा है कि ये दोनों व्यवस्थाएं बनी रहेंगी। डॉ. पुरी ने कहा कि आंदोलनरत किसानों को सरकार की तरफ से बातचीत का आमंत्रण भेजा गया है। हमने कहा है कि किसान एक निर्धारित स्थान पर एकत्र हो जाएं जहां उनके लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध करायीं गयीं हैं ताकि बाकी नागरिकों को दिक्कत नहीं हो। उन्होंने कहा कि भीड़ के साथ बात नहीं हो सकती है। किसान एक प्रतिनिधिमंडल के रूप में आयें और सरकार उनके साथ बिना शर्त बातचीत करेगी। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गृह मंत्री अमित शाह से बातचीत की। समझा जाता है कि किसान आंदोलन को लेकर ही दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई है। इसका ब्योरा नहीं मिल सका है । इस बीच अखिल भरतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रखने की सोमवार को घोषणा की ।
समन्वय समिति के नेता योगेंद्र यादव और गुरनाम सिंह ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि किसी शर्त के साथ सरकार के साथ कोई बातचीत नहीं की जायगी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन को लेकर देश भर में भ्रम फैलाया गया जिसका अब खुलासा हो गया है। किसान नेताओं ने कहा कि पहले यह कहा गया कि कृषि सुधार कानूनों का बिचौलिए विरोध कर रहे हैं जबकि यह पूरी तरह से गलत साबित हो गया है। किसानों को बरगलाए जाने की बात कही गई जबकि बच्चे-बच्चे को कृषि सुधार कानूनों की जानकारी है । उन्होंने कहा कि पहले यह कहा गया कि यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का है जबकि इसमें पूरे देश के किसान शामिल हैं। यह देश का आंदोलन है और पंजाब इसका अगुआ है। किसानों के नेतृत्व को लेकर भी भ्रम फैलाने का प्रयास किया गया जबकि इसमें नेतृत्वकारी लोग हैं । श्री यादव ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को वापस लिए जाने तक आंदोलन जारी रहेगा और यह अपना एतिहासिक महत्व साबित करेगा। किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि किसान जहां हैं वहीं डटे रहेंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपने मन की बात कहने आए है। उनकी बात सुनी जानी चाहिए नहीं तो यह बहुत महंगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि किसान आरपार की लड़ाई लड़ रहे हैं । गैर कांग्रेसी नौ विपक्षी दलों ने सोमवार को बैठक कर देशभर के किसानों के चल रहे आंदोलन का समर्थन किया और तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की सरकार से मांग की । मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), फॉरवर्ड ब्लॉक (एफबी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एवं सोशलिस्ट पार्टी तथा सीजीपीआई और भाकपा माले ने आज यहां अपनी दिल्ली ईकाई की बैठक की और उसमें किसानों के चल रहे आंदोलन का न केवल समर्थन किया बल्कि सरकार द्वारा उन पर दमनात्मक कार्रवाई की भी तीखी निंदा की। दिल्ली राज्य भाकपा, माकपा, राकांप, द्रमुक, राजद, आरएसपी, फॉरवर्ड ब्लॉक, सीजीपीआई द्वारा संयुक्त बयान के अनुसार किसान आंदोलन के अलावा केंद्र सरकार, हरियाणा सरकार के दमनात्मक व्यवहार को लेकर बैठक हुई। बैठक में तीन किसान विरोधी कृषि बिलों के खिलाफ किसान आंदोलन को पूर्ण समर्थन का प्रस्ताव पास किया गया और भारत सरकार से मांग की कि इन पूँजीपतिपरस्त कृषि कानूनों को तुरंत रद्द कर किसान संगठनों के संयुक्त किसान समिति से सरकार तुरंत बिना शर्त वार्ता करे।
बैठक में दिल्ली की जनता से अपील की गई की देश के अन्नदाताओं को पूर्ण समर्थन कर हर संभव मदद करें। बैठक के बाद सभी नेताओ ने अजय भवन के बाहर आकर सड़क पर किसान आंदोलन और उनकी मांगो के समर्थन में प्रदर्शन भी किया। इस प्रदर्शन में प्रोफेसर दिनेश वार्ष्णेय, सचिव भाकपा दिल्ली राज्य, कॉम. के. एम. तिवारी, सचिव, माकपा, दिल्ली राज्य, रवि, सचिव भाकपा (माले), दिल्ली राज्य, शत्रुजीत सिंह, सचिव आर एस पी दिल्ली राज्य, बिरजू नायक, सीजीपीआई, अजय ने भाग लिया। अखिल भारतीय कालीरामण खाप ने कृषि कानूनों को लेकर आंदोलनरत किसानों का समर्थन किया है। खाप ने आज कहा कि केंद्र सरकार को बिना किसी देरी के किसानों से बात करनी चाहिए और कृषि कानूनों में आवश्यक बदलाव को लेकर विचार करना चाहिए। खाप के राष्ट्रीय महासचिव अजीत सिंह सिसाये, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सज्जन सिंह, संगठन सचिव सुबेसिंह आर्य, कोषाध्यक्ष कैप्टन सुबेसिंह आदि ने कहा कि खापें समाज का हिस्सा हैं। समाज के लिए बनी हैं। समाज हित में ही काम करती हैं। अनगिनत लोगों ने अपना जीवन समाज सेवा में लगाया हुआ है। खापों ने किसान आंदोलन को समर्थन देने का निर्णय लिया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति के आह्वान पर हिसार जिले से सोमवार को किसानों का जत्था लाडवा से जिला प्रधान शमशेर सिंह नम्बरदार के नेतृत्व में दिल्ली के लिए रवाना हुआ। किसान सभा के वरिष्ठ उपप्रधान व प्रेस सचिव सूबे सिंह बूरा ने आज यहां बताया कि पचास से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रालियों में पूरे राशन के साथ जिसमें आटा, गैस सिलेंडर, दाल, चीनी, लकड़ी, चाय पत्ती, बिस्तरों के साथ किसानों ने दिल्ली के लिए कूच किया। गांव लाडवा से चले इस जत्थे को सूबे सिंह बूरा, राजकुमार ठोलेदार, रामानंद यादव व रमेश मिरकां ने झंडी दिखाकर रवाना किया। गांव की महिलाओं ने क्रांतिकारी गीत गाकर किसानों को दिल्ली भेजा। इसी प्रकार टोकस, पातन, धीरणवास, कनोह, चमार खेड़ा, नया गांव, बालक, बिठमड़ा, खैरी, पाबड़ा आदि से तहसील प्रधान उकलाना भूप सिंह नया गांव, बलबीर सिंह नम्बरदार पाबड़ा, दयानंद ढुकिया तहसील सचिव रिछपाल कड़वासरा के नेतृत्व में टे्रक्टरों का जत्था रवाना हुआ।
किसान सभा के फैसले अनुसार रोजाना इसी तरह किसानों के जत्थे दिल्ली की हुंकार भरेंगे। किसान सभा ने कहा है कि मुख्यमंत्री जनता को गुमराह कर रहे हैं कि किसानों के आंदोलन से हरियाणा के किसानों का कोई वास्ता नहीं है। सभा ने मुख्यमंत्री के इस बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को तुरंत प्रभाव से किसानों से माफी मांगनी चाहिये और केंद्र सरकार को तीनों कानूनों को तुरंत वापिस लेना चाहिए। हरियाणा किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष प्रह्लाद सिंह भारू खेड़ा ने कहा है कि केंद्र तथा राज्य की भाजपा गठबंधन सरकार किसान आंदोलन को सत्ता के बल पर दबाना चाहती है लेकिन आंदोलन को ऐसे नहीं दबाया जा सकता। श्री भारू खेड़ा जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा होकर आज यूनीवार्ता से बातचीत कर रहे थे। किसान नेता प्रहलाद सिंह भारुखेड़ा को फूल मालाएं पहनाकर शहीद भगत सिंह स्टेडियम में चल रहे पक्का मोर्चा धरना स्थल तक लाया गया। हरियाणा किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष राज सिंह भैरू खेड़ा ने कहा कि दिल्ली जा रहे किसान सिर्फ पंजाबी नहीं बल्कि हरियाणा के भी हैं हरियाणा और पंजाब छोटे बड़े भाई हैं, इसलिए केंद्र सरकार किसान आंदोलन को पंजाब की सरकार पर डालकर अपनी जिम्मेवारी से बचने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा जिस तरीके से हरियाणा में शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन कर रहे किसानों को रात के समय जबरन उठाकर जेल उठा कर जेल में ठोक दिया गया उसी तरह अपने शांतिपूर्वक तरीके से दिल्ली जा रहे किसानों पर वाटर कैनन से पानी की बौछारें आंसू गैस के गोले, लाठी और डंडे किसानों पर बरसाए गए वह बेहद निंदनीय है । प्रह्लाद भारू खेड़ा ने कहा कि किसानों का दिल्ली कूच करना अभी थमा नहीं है अगले दो रोज में सिरसा से हजारों की तादाद में किसान दिल्ली कूच करेंगे। इस बीच पंजाब आम आदमी पार्टी (आप) के अध्यक्ष एवं सांसद भगवंत मान ने कहा है कि केंद्र सरकार की ओर से थोपे गए कृषि कानूनों के विरुद्ध राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली बार्डर पर डटे आंदोलनकारी किसानों के लिए आप पार्टी सेवादार बनकर काम कर रही है। श्री मान ने आज एक बयान में कहा कि केंद्र के तानाशाही रवैये और तुगलकी फैसलों के कारण पंजाब समेत पूरे देश का अन्नदाता अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। सर्द रातों में सडक़ों पर लाखों की संख्या में डटे किसानों के हक़ में खड़े होना देश के हर नागरिक का फर्ज़ बनता है। श्री केजरीवाल के नेतृत्व में आप पार्टी आंदोलनकारी किसानों की सेवक बनकर अपना फर्ज़ दिन-रात निभा रही है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार किसानों का शोषण कर रही है और उनकी आवाज दबाने में लगी लेकिन उसे समझ लेना चाहिए कि उसकी आवाज़ की अनुगूंज को दबाया नहीं जा सकता है। श्री गांधी और श्रीमती वाड्रा ने कहा कि यह सरकार जबरन किसानों की आवाज को कुचलने में लगी हुई है लेकिन वह भूल रही है कि किसान की आवाज को दबाया नहीं जा सकता और जब वह गूंजती है तो उसके स्वर पूरे देश में सुनाई देते है। श्री गांधी ने कहा, “मोदी सरकार ने किसान पर अत्याचार किए- पहले काले क़ानून फिर चलाए डंडे लेकिन वो भूल गए कि जब किसान आवाज़ उठाता है तो उसकी आवाज़ पूरे देश में गूंजती है। किसान भाई-बहनों के साथ हो रहे शोषण के ख़िलाफ़ आप भी स्पीक अप फ़ॉर फार्मर्स कंपैन के माध्यम से जुड़िए।” श्रीमती वाड्रा ने कहा, “नाम किसान कानून लेकिन सारा फायदा अरबपति मित्रों का किसान कानून बिना किसानों से बात किए कैसे बन सकते हैं। उनमें किसानों के हितों की अनदेखी कैसे की जा सकती है। सरकार को किसानों की बात सुननी होगी। आइए मिलकर किसानों के समर्थन में आवाज उठाए।”
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