पटना : हाल ही में संसद द्वारा पास कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में पिछले आठ दिनों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं। वे तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं और इसको लकेर वे दिल्ली की सीमा पर डटे हुए हैं। इस बीच किसान आंदोलन को लेकर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज की है। सुशील मोदी ने ट्वीट कर कहा है कि किसानों को स्थानीय मंडी और देश के खुले बाजार में कहीं भी सबसे अच्छे दाम पर फसल बेचने की आजादी देने वाले कृषि कानून को लेकर ज्यादातर चिंताएँ निराधार या राजनीति प्रेरित हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब-हरियाणा के किसानों की आशंका दूर करने में लगी है। उनके प्रतिनिधियों से सरकार का शीर्ष नेतृत्व जब पूरी गंभीरता और सहानुभूति के साथ लगातार बातचीत कर समाधान निकालने का प्रयास कर रहा है, तब पुरस्कार वापसी से दबाव बनाने की कोशिश माहौल बिगाड़ कर टकराव बढाने की नीयत जाहिर करती है। इसके आगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कृषि कानून और इसकी मंशा को “गंगा की तरह पवित्र” कहा, लेकिन किसान आंदोलन की नीयत अमृतसर साहिब जैसी खालिस नहीं लगती। किसान आंदोलन को भारत-विरोध की गलत दिशा में ले जाने के लिए विदेशी फंडिंग से चलने वाले लगभग 100 छोटे-बडे संगठनों की संलिप्तता पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। जेएनयू के वामपंथी छात्र, महाराष्ट्र का मछुआरा संघ, सीटू और एआईकेएस जैसे गैरकिसान संगठनों की भागीदारी के बाद किसानों के मुद्दे पर बिहार को जाम करने की माकपा की धमकी का एनडीए कड़ा राजनीतिक प्रतिरोध करेगा।
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020
किसान आंदोलन की नीयत पवित्र नहीं : सुशील कुमार मोदी
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