बिहार : नितीश ने की मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 14 दिसंबर 2020

बिहार : नितीश ने की मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम की शुरुआत

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पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा जल-जीवन-हरियाली अभियान अंतर्गत जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत 30 जिलों में प्रथम वर्ष एवं 8 जिलों में द्वितीय वर्ष के कार्यक्रम का शुभारंभ किया।


मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान की शुरुआत की गई। इसमें 11 अवयवों को शामिल किया गया है। मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम तथा फसल अवशेष प्रबंधन भी इसमें शामिल है। डॉ0 मार्टिन क्रॉफ से हमारी मुलाकात फरवरी 2016 में हुई थी। 2018 में उनसे दोबारा मुलाकात हुई, जिसमें कृषि से संबंधित एक प्रोजेक्ट पर विस्तृत चर्चा हुई थी, उस दौरान मौसम के अनुकूल कृषि कार्य के बारे में हमने अपनी बात रखी। डॉ मार्टिन क्रॉफ ने बिहार में मौसम के अनुकूल किए जा रहे कृषि कार्य की प्रशंसा की है, जिसे आपलोगों ने आज के कार्यक्रम में दिखाया है। बोरलॉग इंस्टीच्यूट फॉर साउथ एशिया के पूसा केंद्र में 150 एकड़ में कृषि कार्य को देखने के लिए मार्च 2016 में मैं वहां गया था। एक क्षेत्र में तीन फसलों के एक साथ उत्पादन को दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि नई तकनीक यंत्रों के माध्यम से कटनी के बाद हो रहे सीधे बुआई के कार्य को भी आज कृषि विज्ञान केंद्रों पर दिखाया गया है, जिसे देखकर मुझे प्रसन्नता हो रही है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में विकास के लिए हमलोगों ने कई कार्य किए हैं। कृषि रोडमैप की शुरुआत 2008 में की गई और अभी तीसरा कृषि रोडमैप चल रहा है। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ी है। राज्य में 76 प्रतिशत लोगों की आजीविका का आधार कृषि है। बाढ़, सुखाड़ की स्थिति निरंतर राज्य में बनी रहती है। मौसम के अनुकूल फसल चक्र अपनाने से किसानों को काफी लाभ होगा। कृषि विभाग ने जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए सभी जिलों के 5-5 गांवों का चयन किया है, जिससे किसान जागरुक और लाभान्वित होंगे। जलवायु के अनुकूल कृषि से किसानों की लागत में कमी आती है और उन्हें अधिक लाभ होता है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल अवशेष को जलाने की प्रवृत्ति पंजाब से शुरू हुई और बिहार के सासाराम, कैमूर होते हुये अन्य जिलों तक पहुंच गयी। पूरे बिहार में फसल अवशेष को जलाया जा रहा है। 2019 से पराली जलाने के खिलाफ अभियान चलाया गया। उन्होंने मुख्य सचिव को निर्देष दिया कि कृषि विभाग के वरीय अधिकारियों से हवाई सर्वेक्षण कराकर इसका आकलन करायें। फसल अवशेष को जलाना पर्यावरण के लिए घातक है। किसानों को पहले इसके लिए समझाएं। कृषकों को इसके लिए जागरुक करने की जरुरत है। जो भी उनकी समस्या है उसका निदान किया जाएगा, उन्हें हर तरह से सहयोग दिया जाएगा। फसल अवशेष को जलाने की जरुरत नहीं है बल्कि किसान उस अवशेष का सदुपयोग करें इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी भी बढ़ेगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि धान अधिप्राप्ति का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस बार धान अधिप्राप्ति का न्यूनतम लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन रखा गया है। हम किसानों के हित में काम कर रहे हैं। किसानों को यह बात समझाने की जरूरत है कि फसल अवशेष को जलाने से पर्यावरण पर संकट उत्पन्न होगा और इस संकट से आने वाली पीढ़ी को समस्या होगी। हमलोग बिहार में ऐसी आदर्श व्यवस्था बनाएंगे जिसका लोग अध्ययन करेंगे। जल-जीवन-हरियाली अभियान की चर्चा यूनाईटेड नेशन में भी हुई है। बिहार में अच्छे कार्यों की चर्चा देश के बाहर भी होती है। मौसम के अनुकूल कृषि कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना है। यह पांच वर्ष की योजना नहीं है। यह स्थायी कार्यक्रम है। अभी पांच वर्ष के लिए राशि आवंटित की गई है। जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र के लिए यह योजना जरुरी है। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम के द्वारा जिन लोगों तक मेरी बात पहुंच रही है वे इस पर जरुर गौर करें।

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