मन की बात के नाम पर बकवास बंद करिए मोदी जी, किसानों की बात सुनिए - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 27 दिसंबर 2020

मन की बात के नाम पर बकवास बंद करिए मोदी जी, किसानों की बात सुनिए

  • किसान महासभा के नेताओं ने बजाई थाली, अपने आक्रोश का किया इजहार
  • 29 दिसंबर को राजभवन मार्च की तैयारी अंतिम चरण में

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पटना 27 दिसंबर, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर आज प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात के बरक्स किसानों द्वारा थाली बजाए जाने के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर पूरे बिहार में अखिल भारतीय किसान महासभा के नेताओं-कार्यकर्ताओं और आम किसानों ने थाली बजाकर अपना विरोध दर्ज किया. राजधानी पटना सहित राज्य के ग्रामीण इलाकों में यह कार्यक्रम व्यापक पैमाने पर लागू हुआ. पटना में अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव रामाधार सिंह, राष्ट्रीय कार्यालय के सचिव राजेन्द्र पटेल, राज्य कार्यालय के सचिव अविनाश कुमार, कयामुद्दीन अंसारी, नेयाज अहमद आदि नेताओं ने छज्जूबाग स्थित भाकपा-माले विधायक दल कार्यालय में थाली बजाकर आज के कार्यक्रम को लागू किया. इस मौके पर किसान नेता रामाधार सिंह ने कहा कि विगत एक महीने से अपनी जायज मांगों को लेकर दिल्ली में किसान आंदोलनरत हैं, कड़ाके की ठंड ने अब तक कई किसानों की जान ले ली है, लेकिन मोदी सरकार पर इसका कोई असर नहीं पड़ रहा है. प्रधानमंत्री मोदी को किसानों की बात सुननी चाहिए लेकिन वे अपनी धुन में ही ‘मन की बात’ के नाम पर लगातार बकवास किए जा रहे हैं और देश की खेती-किसानी को काॅरपोरेटों के हवाले करने के लिए बेचैन हैं. भाजपा सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है, बल्कि उसके एजेंडे पर काॅरपोरेट घरानों की सेवा है. आंदोलनरत किसानों से सहानुभूतिपूर्वक बात करने की बजाए भाजपा व संघ गिरोह लगातार किसान आंदोलन को बदनाम करने व उसमें फूट डालने के ही कुत्सित प्रयास कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा कि भाजपा की इस किसान विरोधी राजनीति को अब पूरे देश के किसान समझने लगे हैं. बिहार के किसानों ने भी मोर्चा थाम लिया है. तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, बिजली बिल 2020 वापस लेेने, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद की गारंटी करने आदि सवालों पर  29 दिसंबर को आयोजित राजभवन मार्च में भी किसानों के आक्रोश का इजहार होगा. इस कार्यक्रम में पूरे राज्य से दसियों हजार किसानों की भागीदारी होगी. बिहार के किसानों की हालत बेहद खराब है. बिहार में सबसे पहले मंडी व्यवस्था खत्म करके यहां के किसानों को बर्बादी के रास्ते धकेल दिया गया. बिहार की भाजपा-जदयू सरकार ने किसानों के साथ छलावा किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बताएं कि बिहार में किस स्थान पर किसानों के धान का समर्थन मूल्य मिल रहा है? पैक्सों को धान भंडारण के लिए बोरे खरीदने तक का पैसा बिहार सरकार उपलब्ध नहीं कर रही है. किसान नेताओं ने कहा कि आज भगत सिंह का पंजाब और स्वामी सहजानंद के किसान आंदोलन की धरती बिहार के किसानों की एकता कायम होने लगी है, इससे भाजपाई बेहद डरे हुए हैं. बिहार की धरती सहजानंद सरस्वती जैसे किसान नेताओं की धरती रही है, जिनके नेतृत्व में जमींदारी राज की चूलें हिला दी गई थीं. आजादी के बाद भी बिहार मजबूत किसान आंदोलनों की गवाह रही है. 70-80 के दशक में भोजपुर और तत्कालीन मध्य बिहार के किसान आंदोलन ने किसान आंदोलन के इतिहास में एक नई मिसाल कायम की है. अब एक बार नए सिरे से बिहार के छोटे-मंझोले-बटाईदार समेत सभी किसान आंदोलित हैं. बिहार से पूरे देश को उम्मीदें हैं और 29 दिसंबर के राजभवन मार्च से भाजपा के इस झूठ का पूरी तरह पर्दाफाश हो जाएगा कि बिहार के किसानों में इन तीन काले कानूनों में किसी भी प्रकार का गुस्सा है ही नहीं. राजभवन मार्च में पूरे बिहार से दसियों हजार किसानों की गोलबंदी होगी. इसकी तैयारी को लेकर अब तक राज्य के विभिन्न जिलों में 2000 से अधिक किसान पंचायतों का आयोजन किया गया है, पदयात्रायें और प्रचार टीम निकाले गए हैं.  पटना के अलावा भोजपुर, सिवान, अरवल, जहानाबाद, समस्तीपुर, गया, गोपालगंज, पूर्णिया, भागलपुर आदि जिलों में किसान महासभा के बैनर से थाली बजाने का आंदोलन किया गया.

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