गुरु गोविन्द सिंह जी के कारण भारतवर्ष में पुनः क्षत्रत्व की स्थापना हुई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 13 जनवरी 2021

गुरु गोविन्द सिंह जी के कारण भारतवर्ष में पुनः क्षत्रत्व की स्थापना हुई

हिंदुस्तान विचार मंच ने गोविंद सिंह जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर व्याख्यानमाला का किया आयोजन

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भोपाल - हम बहुत सौभाग्यशाली हैं जो आज गुरु गोविन्द सिंह जी के जीवन पर चर्चा कर रहे हैं. सिखों के दसवें गुरु के बारे में जब हम बात करते है तो खुद व खुद बलिदान और साहस की एक प्रतिमूर्ति हमारे सामने दिखने लगती है. गुरु गोविन्द सिंह जी ने केवल 40 सैनिकों के साथ मुगलों की लाखों की सेना को पसीने छुड़ा दिए थे. यह बात बुधवार को हिंदुस्तान विचार मंच के द्वारा राजधानी के पॉलिटेक्निक कॉलेज में सिख पंथ के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित व्याख्यानमाला में स्वदेश के पूर्व संपादक श्री लाजपत आहूजा ने कही. उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा गुरु गोविंद सिंह जी ही एक ऐसे व्यक्तित्व थे जिनके कारण भारतवर्ष में पुनः क्षत्रत्व की स्थापना हुई. गुरु गोविंद सिंह के लिए आज पूरे हिंदू समाज के हृदय में एक श्रद्धा का भाव है, गुरुजी के बारे में स्वयं स्वामी विवेकानंद ने शिकागो से लौटकर लाहौर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि भविष्य की तरफ देखना है तो गुरु गोविंद सिंह के आदर्शों का अनुसरण करना होगा. इसी प्रकार वीर सावरकर मैं भी गुरु गोविंद सिंह जी के बारे में कहा था कि वह नायकों के नायक हैं उनसे पूरे भारतवर्ष की युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए. कार्यक्रम में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध जी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह केवल सिखों के ही नहीं अपितु पूरे हिंदू समाज के दसवें गुरु हैं हमारा दुर्भाग्य रहा कि पिछले 70 वर्षों में हमने अपने संतो ,महापुरुषों को डंडे झंडे और एजेंडे में बांध दिया है. श्री मुक्तिबोध ने कहा कि कोई भी महापुरुष था तो वो इसलिए था क्योंकि उसकी जो दृष्टि थी वह व्यापक थी समावेशी थी सब उपयोगी थी उन्हें उसी नजर से देखा परखा और माना जाना चाहिए इसलिए महापुरुषों के संदर्भ में यह विचार करना जरूरी है कि हम उन्हें मत पंथ की सीमाओं में ना बांधे. गुरु गोविंद सिंह ने गीता में जिस दैवीय गुण संपदा की बात की उस संपदा में 1 गुण बताया गया है निर्भयता और गुरु जी की यही निर्भयता आज के समय के युवाओं को अपना आदर्श बनाना चाहिए. कार्यक्रम में अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए हिंदुस्तान विचार के अध्यक्ष गीत धीर ने कहा कि विद्वत जनों के सहयोग से ही हम इस प्रकार के कार्यक्रम करने की प्रेरणा लेते हैं कार्यक्रम का संचालन सिमरन सिंह रील ने किया.

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