नयी दिल्ली, 31 जनवरी, संसद की एक समिति ने कोल इंडिया की इकाई सेंट्रल कोलफील्ड्स लि. (सीसीएल) द्वारा झारखंड में एक साल में 859 करोड़ रुपये की मशीनरी किराये पर लेने को लेकर आपत्ति जताई है। समिति ने कंपनी से पूछा है कि जबकि सीसीएल के खुद के उपकरणों का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया, तो मशीनें किराये पर लेने की क्या जरूरत थी। भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली 22 सदस्यीय समिति ने सार्वजनिक उपक्रमों पर अपनी ताजा रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि यदि सीसीएल ने अपनी मशीनरी का राजस्व के लिए इस्तेमाल नहीं किया है, तो वह इन्हें किराये पर दे सकती है। समिति ने कहा कि सीसीएल ने 2018-19 के दौरान संयंत्र और मशीनरी किराये पर लेने के लिए 859 करोड़ रुपये खर्च किए। यह आकलन करने के लिए कोई स्वतंत्र अध्ययन नहीं किया गया कि भारी अर्थ मूविंग मशीनरी (एचईएमएम) को किराये पर लेना अधिक लागत दक्ष होगा या इन्हें खरीदना। रिपोर्ट कहती है, ‘‘यह देखते हुए कि सीसीएल ने संयंत्र और मशीनरी को किराये पर लेने के लिए 859 करोड़ रुपये की बड़ी राशि खर्च की है, जबकि उसके खुद के स्वामित्व वाले उपकरणों का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया है। 2018-19 में तय नियमों के तहत सभी एचईएमएम का इस्तेमाल 50 प्रतिशत से कम हुआ है।’’ ऐसे में समिति ने कंपनी से यह स्पष्ट करने को कहा है कि जबकि उसके खुद के उपकरण बिना इस्तेमाल किये पड़े हैं, तो उसे मशीनरी किराये पर लेने की क्यों जरूरत पड़ी। इसके साथ समिति ने कोयला उत्पादक कंपनी से एचईएमएम के स्वामित्व और उसे किराये पर लेने की तुलनात्मक लागत पर नोट भी मांगा है।
रविवार, 31 जनवरी 2021

कोल इंडिया ने किराये पर लिए 859 करोड़ रुपये के उपकरण पर जवाब मांगा
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