4000 प्रवासी बेरोजगार परिवार जिनकी आर्थिक स्थिति ख़राब उनका सर्वे द्वारा चयन किया गया और उन्हें गांव मे पोषणवाड़ी लगाने के लिए बीज, पौधे वितरित किये गये साथ ही कम पानी और जमीन कि उपलब्धता में पोषणवाड़ी लगाने के लिए अभियान चलाकर जागरूक किया गया....
श्योरपुर. मध्य प्रदेश में है श्योरपुर.डॉ.यहां पर रनसिंह परमार के द्वारा महात्मा गांधी सेवा आश्रम संचालित है.उनके प्रयास से वीरपुर तहसील के ग्राम मुसरियापुरा में समुदाय की महिलाओं की मोटे अनाज के उपयोग को लेकर समझ बनाई गई. जिसमें समुदाय की महिलाओं द्वारा भी प्रसन्नता पूर्वक भाग लिया और साथ ही मोटे अनाज को अपने भोजन में शामिल करने के लिए सहमति दी.इसके अलावे महिलाओं को कोरोना बीमारी के प्रति जागरूक किया गया और "दो गज की दूरी मास्क हैं जरूरी " पर भी समझ बनाई गई. बताते चले कि सरकार ने कुपोषण को मिटाने के लिए लाखों रुपए खर्च कर दी है लेकिन उसका अफसर सही ढंग से उपयोग नहीं कर पा रहे हैं.जिसके कारण जिले में सबसे ज्यादा कुपोषण वाले बच्चे मिल जाएंगे. आदिवासी बहुल क्षेत्र में गरीब परिवारों के बच्चों में वजन कम होने की समस्या अधिक है.उचित खानपान के अभाव में कई बार बच्चों के वजन में कमी आ रही है। लोगों का कहना है महिला एवं बाल विकास व स्वास्थ्य विभाग के अफसर लापरवाही करते हैं.
महात्मा गांधी सेवा आश्रम ने प्रवासी परिवारों को सुधि ली है.उसके द्वारा पोषणवाड़ी पर जोर दिया जाने लगा है.उसके बाद विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ प्राप्त हो रही है और उनका सेवन समुदाय अपने दैनिक भोजन मे कर रहा है जिससे उनके पोषण कि स्थिति मे सुधार हो रहा है. कोरोना माहमारी से लगे पूरे देश मे लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों की मजदूरी छिन गई और उन्हें घर वापस आना पड़ा है.जब परिवार घर वापस आये तो उन्हें अपने घर पर काम न मिल पाने के कारण आर्थिक स्थिति पर इसका असर दिखने लगा जिससे प्रवासी परिवार बाजार से सब्जियाँ खरीदकर उनका सेवन कर पाने में असमर्थ हो गये. इसका नकारात्मक प्रभाव उनके और उनके परिवार के स्वास्थ्य पर पड़ने लगा. इसी को दृष्टिगत रखते हुये खाद्य सुरक्षा एवं पोषण विविधता कोविड 19 राहत कार्यक्रम के द्वारा ऐसे 4000 प्रवासी बेरोजगार परिवार जिनकी आर्थिक स्थिति ख़राब उनका सर्वे द्वारा चयन किया गया और उन्हें गांव मे पोषणवाड़ी लगाने के लिए बीज, पौधे वितरित किये गये साथ ही कम पानी और जमीन कि उपलब्धता में पोषणवाड़ी लगाने के लिए अभियान चलाकर जागरूक किया गया. इसी के परिणामस्वरुप आज जिले में प्रवासी परिवारों के यहाँ पोषणवाड़ी लग रही है और इन पोषणवाड़ियों में मूली, गाजर, टमाटर, मेथी, पालक, बैगन आदि विभिन्न प्रकार की ताजा व हरी सब्जियाँ अपने घर पर ही प्राप्त हो रही है जिनका सेवन परिवार अपने भोजन में कर रहे और अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य को बेहतर कर रहे साथ ही अधिक सब्जियाँ के उत्पादन पर उन्हें हाट बाजारों में बेच कर आर्थिक लाभ भी प्राप्त कर रहे हैं.
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