बैतूल का आदिवासी बहुल बाचा कैसे बना “नए भारत का गाँव” - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

बैतूल का आदिवासी बहुल बाचा कैसे बना “नए भारत का गाँव”

  • संसद में बोले धर्मेन्द्र प्रधान – नए भारत का गाँव है बाचा

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बैतूल के आदर्श ग्राम बाचा का नाम आज देश की संसद में एक उदहारण की तरह लिया गया। देश के पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने संसद में अपने व्यक्तत्व के दौरान अपनी बाचा के यात्रा का जिक्र किया। श्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि मैं बीते दिनों बैतूल जिले के बाचा गाँव गया था। घोडा डोंगरी ब्लाक में मुझे अनिल युइके नाम के गौंड समाज के व्यक्ति के परिवार से मिलने का सौभाग्य मिला। उन्होंने बड़े प्यार से मुझे चाय पिलाया। मैंने पुछा की घर में क्या क्या है? तो उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री आवास योजना से घर मिला है, बिजली पहुंची है, उज्वला योजना से गैस सिलिंडर मिला है, सोलर लाइट और सोलर कुकर पहुंचा है। स्वच्छ भारत के अंतर्गत शौचालय मिला है, पशुओं के लिए अलग घर बना है, अन्नपूर्णा मंडप के नाम से किचन गार्डन बना है। 74 आदिवासी परिवारों का गाँव है जिसमें जल संरक्षण के लिए वाटर शेड सिस्टम बना है, हैंडपंप पर्याप्त मात्र में हैं लेकिन अभी घर तक पानी पहुँचाने की व्यवस्था बन रही है। स्वरोजगार के लिए पशुपालन, कृषि, बागवानी की जा रही है। गाँव भर में कंक्रीट की सड़क और नाली की व्यवस्था है और ये है क्यूंकि स्वच्छ भारत गाँव तक पहुंचा है। ये नए भारत का गाँव है।


बायो गैस संयंत्र का किया था उद्घाटन

18 जनवरी 2021 को धर्मेन्द्र प्रधान भारत भारती शिक्षा समिति जामठी, बैतूल में भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड के सहयोग से निर्मित भारत भारती प्राथमिक विद्यालय भवन, और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के सहयोग से 200 घनमीटर क्षमता वाले बायोगैस संयन्त्र के लोकार्पण समारोह में आये थे। इस दौरान उन्होंने समिति द्वारा जिले भर में किये गए कार्यों का निरिक्षण भी किया था, जिससे वह काफी प्रभावित हुए थे। भारत भारती परिसर में विगत 60 वर्षों से प्राथमिक विद्यालय संचालित है जिसमें जनजातीय क्षेत्र के 52 ग्रामों के बालक-बालिकायें गुणवत्ता युक्त और स्नेहिल अनुशासन में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।


ग्रामीणों के संकल्प से बदली गाँव की सूरत

भारत भारती द्वारा कृषि आधारित बैतूल जिले में अनेक प्रकल्प संचालित किये जा रहे हैं। छोटे छोटे प्रयासों और ग्रामीणों के सहयोग से इस आदिवासी क्षेत्र की सूरत बदल रही है। श्री मोहन नागर ने वर्षों पहले इस पहाड़ी इलाके में जल संरक्षण के लिए गंगावतरण अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान के अंतर्गत ग्रामीणों ने बोरी बंधान, खतियाँ बनाकर एवं अन्य उपायों से जल संरक्षण के प्रयास किये जिसके परिणाम स्वरुप पानी की समस्या पूरी तरह ख़त्म हो गयी और पथरीली पहाड़ियों में हरियाली वापस आई।


जैविक कृषि को मिल रहा है प्रोत्साहन

जैविक कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से और किसान जैविक तकनीक से कृषि करना प्रारंभ करें और लाभ कमायें, इस हेतु संस्था ने 3.4 एकड़ भूमि कृषि प्रशिक्षण केन्द्र हेतु उपलब्ध करायी है। भारत भारती शिक्षा समिति बैतूल जिले के 2000 से अधिक किसानों को नि:शुल्क प्रशिक्षण व कार्यशालायें आयोजित कर चुकी है। कृषक प्रशिक्षण केन्द्र के माध्यम से पन्द्रह से बीस हजार किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए ओ.एन.जी.सी. के माध्यम से कृषक प्रशिक्षण केन्द्र के निर्माण हेतु भूमि पूजन धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा किया गया है।


धुंए से मिली मुक्ति और जल संरक्षण के किये प्रयास

भारत भारती शिक्षा समिति द्वारा आई.आई.टी. मुम्बई के मार्गदर्शन में ग्राम बाचा के 76 घरों में सोलर पी.व्ही. कुक स्टोव स्थापित किये गये हैं। जिससे ग्राम बाचा के प्रत्येक परिवार को भोजन पकाने हेतु जलाऊ लकड़ी और उससे उत्पन्न धुँऐं से निजात मिली है। इस ग्राम के सभी परिवार अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के हैं। इसके साथ हीं जल संरक्षण के लिए प्रत्येक ग्रामीण ने उपलब्ध स्थानीय संसाधनों से वाटर शेड सिस्टम का निर्माण अपने घरों में किया है। भारत भारती समिति और ग्रामीणों के संयुक्त प्रयासों से आज बाचा नए भारत के गाँव के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।

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