- अपनी जांच टीम में भाकपा-माले ने पाया था कि राजनेता-प्रशासन-शराब माफिया गठजोड़ का परिणाम था खजूरबानी जहरीली शराब कांड
- फांसी व आजीवन कारावास की सजा पर पुनर्विचार करे न्यायालय, नीतीश कुमार का बयान शर्मनाक, शराब माफियाओं को बचा रही है सरकार
पटना 6 मार्च, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि गोपालगंज खजूरबानी जहरीली शराब कांड में गरीबों को फंसाकर न्यायालय द्वारा फांसी व आजीवन कारावास की सुनाई गई सजा गरीबों के साथ क्रूर मजाक है. इसमें असली अपराधियों को बचाने का खेल चला है. हर कोई जानता है कि राजनेता-प्रशासन व शराब माफिया गठजोड़ के तहत बिहार में शराब का अवैध कारोबार बखूबी जारी है, लेकिन शराबबंदी कानून की आड़ में गरीबों के खिलाफ जैसे सरकार व न्यायालय ने युद्ध छेड़ रखा हो. उन्होंने कहा कि गरीब समुदाय से आने वाले 10 लोगों को फांसी की सजा व 4 महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा निहायत अमानवीय फैसला है और इस पर न्यायालय को पुनर्विचार करना चाहिए. हमारी पार्टी इस फैसले का विरोध करती है. आगे कहा कि खजूरबानी जहरीली शराब कांड की जांच करने हमारी पार्टी की एक टीम 18 अगस्त 2016 को वहां पहुंची थी. उसने अपनी जांच में पाया था कि वह कांड राजनेता-प्रशासन व शराब माफियाओं के नापाक गठजोड़ का नतीजा था. हमने तत्कालीन डीएम व एसपी को हटाने, शराब के उत्पादन व तस्करी में राजनीतिक-प्रशासिनक संरक्षण की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच और शराबबंदी से प्रभावित लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार व सुधारात्मक उपायों की व्यवस्था करने की मांग की थी, लेकिन सरकार ने आज तक ऐसा कुछ नहीं किया. इसी का नतीजा है कि हाल ही में गोपालगंज व मुजफ्फरपुर में एक बार फिर से जहरीली शराब से कई लोगों की मृत्यु हो गई. असली अपराधियों को बचाना और गरीबों को सजा - यही है नीतीश जी का तथाकथित सुशासन.
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