खुदाबख्श लाइब्रेरी व अन्य धरोहरों को बचाने के लिए पटना में नागरिक प्रतिवाद. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 15 अप्रैल 2021

खुदाबख्श लाइब्रेरी व अन्य धरोहरों को बचाने के लिए पटना में नागरिक प्रतिवाद.

  • प्रशासन के दबाव की नागरिक समाज ने निंदा की, 18 अप्रैल को होगी अगली बैठक.

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पटना 15 अप्रैल, बिहार सरकार द्वारा फ्लाई ओवर निर्माण को लेकर खुदाबख्श लाइब्रेरी के भवन के एक हिस्से को तोड़ने के निर्णय के खिलाफ आज पटना में नागरिक समुदाय ने ‘खुदाबख्श लाइब्रेरी बचाओ- धरोहर बचाओ संघर्ष मोर्चा’ के बैनर से प्रतिवाद किया और कुछ समय के लिए खुदाबख्श लाइब्रेरी के समक्ष मानव शृंखला का निर्माण किया. नागरिक समाज ने कार्यक्रम में प्रशासन द्वारा व्यवधान डालने की कोशिशों की पुरजोर शब्दों में निंदा की. कहा कि कोविड के नियमों का अक्षरशः पालन करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन को भी प्रशासन द्वारा नहीं करने दिया जा रहा है. यह सरासर अन्याय है.  आज ‘खुदाबख्श लाइब्रेरी बचाओ - धरोहर बचाओ संघर्ष मोर्चा’ के बैनर से पटना के नागरिकों ने हाथों में तख्तियां लेकर प्रतीकात्मक रूप से मानव शृंखला का निर्माण किया. बिहार यंग मेंस इंस्टीट्यूट में नागरिकों ने पहले बैठक की और फिर उसके बाद प्रतिवाद किया.  आज के प्रतिवाद में प्रख्यात शिक्षाविद गालिब, मोर्चा के संयोजक कमलेश शर्मा, पाटलिपुत्र विवि के प्राध्यापक सफदर इमाम कादरी, समकालीन लोकयुद्ध के संपादक संतोष सहर, बिहार महिला समाज की निवेदिता झा, एआईपीएफ के अभ्युदय, लेखक व पत्रकार पुष्पराज, चिकित्सक डाॅ. अलीम अख्तर, इंसाफ मंच के आसमां खां व मुश्ताक राहत, सामाजिक कार्यकर्ता अमर प्रसाद यादव, एडवोकेट अशफाक अहमद, एसडीपीआई के नदीम अहमद, आइसा के शाश्वत, कार्तिक, रामजी; एआईएसफ के सुशील उमाराज, सामाजिक कार्यकर्ता मो. आजाद, महबूर रहमान, छात्र संगठन दिशा के आशीष कुमार सहित दर्जनों छात्र-युवाओं ने भाग लिया.  मानव शृंखला के बाद आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री को लिखे जाने वाले पत्र का प्रारूप एक बार फिर से पढ़ा गया, जिसमें संस्थान के ऐतिहासिक संदर्भों की चर्चा की गई है. पत्र में कहा गया है कि न केवल खुदाबख्श लाइब्रेरी पर खतरा है, बल्कि बीएन काॅलेज, अशोक राजपथ स्थित चर्च, पटना विवि के कई विभागों के भवनों, बिहार यंग मेंस इंस्टीट्यूट पर भी खतरे हैं, जबकि फ्लाई ओवर ब्रिज बनाने के अनेक वैकल्पिक रास्ते मौजूद हैं. इस बात पर सहमति बनी कि इस पत्र पर नागरिकों का हस्ताक्षर करवाया जाए और इसे बिहार के मुख्यमंत्री को तत्काल सौंपा जाए ताकि ऐतिहासिक भवनों को नुकसान पहुंचाने से रोका जा सके. इस संदर्भ में एक पत्र लिखने पर सहमति बनी और जल्द ही आॅनलाइन हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जाएगा. लाइब्रेरी को बचाने के लिए चैतरफा मुहिम छेड़ने को आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई. बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि को पत्र लिखने के साथ-साथ आंदोलनात्मक पहलकदमियों पर भी चर्चा हुई.  आगामी 18 अप्रैल को एक बार फिर संघर्ष मोर्चा की बैठक बुलाई गई है.

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