- ऊर्जा के कारण ही पूरी पृथ्वी गतिशील है इसलिए इसके संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता है। पद्म विभूषण डॉ० बिंदेश्वर पाठक ने कहा कि मनुष्य का शरीर भी एनर्जी से ही गतिमान है।
दरभंगा (रजनीश के झा) शुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित वेबिनार में सुलभ धर्म, सुलभ संस्कृति एवं सुलभ शांति विषय पर आयोजित वेबिनार में उन्होंने कहा कि विकास के लिए शांति आवश्यक है, एवं शांति स्थापना में धर्म एवं संस्कार की भूमिका महत्वपूर्ण है डॉ० पाठक ने कहा कि धर्म विशेष रूप से सनातन धर्म में परिवर्तन संभव नहीं है वही संस्कृति में परिवर्तन एवं बदलाव संभव है उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का समान महत्व है तथा हर समाज की अपनी संस्कृति होती है जिस तरह से अग्नि स्थान और परिस्थिति के बदलाव से अपनी प्रकृति नहीं बदलती उसी तरह व्यक्ति अपने धर्म में परिवर्तन आसानी से नहीं करता जबकि संस्कृति में परिवर्तन संभव है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय समाज विज्ञान के पूर्व संघायाध्यक्ष प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी ने इस अवसर पर सुलभ आंदोलन की चर्चा की तथा कहा कि आज से सुलभ हैप्पी होम की शुरुआत सबों को भोजन की कल्पना से की गई है। यह बड़ा ही स्वागत योग पहल है। प्रोफेसर चौधरी ने स्वच्छता के समाजशास्त्र एवं भंगी मुक्ति आंदोलन तथा वृंदावन की विधवाओं के लिए डॉ पाठक द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा की। इस वेबिनार का आयोजन सुलभ इंटरनेशनल द्वारा डॉ पाठक के जन्मदिन के अवसर पर किया गया था जिसको प्रोफेसर रिचर्ड पायस (मंगलौर), डॉ० अनिल बघेला (अहमदाबाद), डॉ० नीलरत्न (पटना) इत्यादि ने भी संबोधित किया इस वेबिनार में अरुणाचल के राज्यपाल सहित लगभग 180 विद्वानों ने भाग लिया। श्रीमती उषा चामर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
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