जलवायु परिवर्तन से बचना है तो मूल की ओर लौटना ही होगा : मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

जलवायु परिवर्तन से बचना है तो मूल की ओर लौटना ही होगा : मोदी

india-have-to-returen-on-back-modi
नयी दिल्ली 22 अप्रैल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन खपत वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम होने का श्रेय प्रकृति आधारित पारंपरिक जीवनशैली को देते हुए विश्व समुदाय का आज आह्वान किया कि कोविड पश्चात आर्थिक रणनीति में ‘मूल की ओर लौटने’ का दर्शन प्रमुख स्तंभ होगा तभी दुनिया इस भयावह खतरे से बचेगी। श्री मोदी ने जलवायु पर नेताओं के शिखर सम्मेलन 2021 में यह आह्वान किया। श्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ मिल कर ‘भारत-अमेरिका जलवायु एवं स्वच्छ ऊर्जा एजेंडा 2030 साझीदारी’ का ऐलान किया और कहा कि इससे हरित साझीदारियों के लिए प्रदूषण रहित प्रौद्योगिकी के विकास तथा इसके लिए निवेश जुटाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “आज इस बैठक में हम वैश्विक जलवायु कार्रवाई के बारे में चर्चा कर रहे हैं, ऐसे में मैं आपके लिए एक विचार देना चाहता हूं। भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन की खपत वैश्विक औसत से 60 प्रतिशत कम है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारी जीवन शैली अब भी पारंपरिक टिकाऊ तौर तरीकों वाली है। मैं जलवायु परिवर्तन के लिए जीवनशैली में बदलाव पर जोर देना चाहता हूं। सतत जीवनशैली और मूल की ओर लौटने का हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत दर्शन कोविड पश्चात युग में हमारी आर्थिक रणनीति का निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण स्तंभ होना चाहिए।” प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के महान संत स्वामी विवेकानंद ने कहा था -उठो, जागो और तब तक नहीं रुको,जब तक लक्ष्य प्राप्त नहीं होता। उन्होंने आह्वान किया कि हम इस दशक को जलवायु परिवर्तन पर ठोस कार्रवाई वाला दशक बनाएं। श्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति श्री बिडेन को इस पहल के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे समय जब मानवता वैश्विक महामारी से जूझ रही है, सटीक समय पर यह आयोजन हमें याद दिलाता है कि जलवायु परिवर्तन का भयावह खतरा अभी गया नहीं है। वास्तव में जलवायु परिवर्तन दुनिया के लाखों लोगों के लिए एक प्रत्यक्ष खतरा है और उनके जीवन एवं आजीविका पर विपरीत प्रभाव डाल रहा है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरे का मुकाबला करने के लिए समूची मानव जाति के एकजुट प्रयासों की जरूरत है। यह कार्रवाई तेज गति, बड़े पैमाने और वैश्विक स्तर पर होनी चाहिए। भारत में हमने अपने स्तर पर एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है कि 2030 तक हम 450 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करने लगेंगे। हमारी विकास संबंधी चुनौतियों के बावजूद हमने स्वच्छ ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, वानिकीकरण एवं जैव विविधता के लिए प्रभावी कदम उठाये हैं। हम उन चंद देशों में से हैं जिन्होंने अपने राष्ट्रीय विकास लक्ष्य तापमान को दो अंश नीचे लाने के लक्ष्य के अनुरूप तय किये हैं। भारत ने अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़, लीड आईटी और आपदा निरोधक संरचना के लिए गठबंधन जैसी कामयाब वैश्विक पहल की हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर एक जिम्मेदार देश होने के नाते भारत अपने साझीदार देशों का भारत में सतत विकास के उदाहरण स्थापित करने का स्वागत करता है। इससे अन्य विकासशील देशों काे मदद मिलेगी जिन्हें हरित प्रौद्योगिकी एवं सस्ते वित्तपोषण की दरकार है।

कोई टिप्पणी नहीं: