पुलुरलस पार्टी की अध्यक्ष पुष्पमप्रिया चौधरी का सफर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 जून 2021

पुलुरलस पार्टी की अध्यक्ष पुष्पमप्रिया चौधरी का सफर

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पुष्पमप्रिया चौधरी पुलुरलस पार्टी की अध्यक्ष आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। आज ही के दिन उनका जन्म दरभंगा जिला के प्रबुद्ध राजनीतिक परिवार में 1987 ईस्वी को हुआ था प्रोफेसर विनोद कुमार चौधरी पूर्व सदस्य बिहार विधान परिषद एवं  अध्यक्ष विश्वविद्यालय समाजशास्त्र विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय एवं डॉ श्रीमती सरोज चौधरी विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र महारानी कल्याणी महाविद्यालय लहेरिया सराय की दूसरी पुत्री है। प्रसिद्ध बुद्धिजीवी एवं राजनेता स्वर्गीय प्रोफ़ेसर उमाकांत चौधरी एवं स्वर्गीय श्रीमती तारा देवी की वह पोती है। हायाघाट प्रखंड के बसहामिर्जापुर पंचायत का बिशनपुर उनका पैतृक गांव है। पुष्पम प्रिया ने अपना प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा के प्रसिद्ध होली क्रॉस एवं रोज पब्लिक स्कूल से प्राप्त किया । स्नातक डिग्री उन्होंने राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सिंबायोसिस इंस्टिट्यूट पुणे से हासिल की। पश्चात उच्चतर शिक्षा शिक्षा के लिए वह लंदन रवाना हो गई जहां उसने दो विश्व प्रसिद्ध संस्थान से विभिन्न विषयों में दो उपाधि प्राप्त की। 


पुष्पम प्रिया चौधरी प्लुरल्स की प्रेसिडेंट हैं। उन्होंने प्लुरल्स के माध्यम से 2020 में एक राजनीतिक आंदोलन “सबका शासन” की शुरुआत की है। यह ‘प्लुरल’ का राजनीतिक दर्शन ही है जो उनको, उनकी विचारधारा को और साथ ही उनके आंदोलन को परिभाषित करता है। प्लुरल्स वर्तमान राजनीतिक व्यवहार के विरूद्ध खड़ा होकर बिहार की राजनीति को पुन: परिभाषित कर रहा है। वे मज़बूती से यक़ीन करती हैं कि यह देश जिन सिद्धांतों और मज़बूत नैतिकता के धरातल पर जन्मा था, उन बुनियादी तत्त्वों को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है। “राजनीति को बदलना होगा क्योंकि लोगों का भविष्य और उनकी भलाई इस पर अब पहले से भी ज़्यादा आश्रित है। हम पीछे छूट जाने का जोखिम नहीं ले सकते। किसी को तो आगे आना होगा। मैं वह ‘किसी’ बनने जा रही हूँ।” वे राजनीति को पॉज़िटिव, प्रॉडक्टिव और पॉलिसी निर्माण पर केंद्रित करना चाहती हैं - “मैं सिर्फ़ कार्यक्रम-आधारित राजनीति (programmatic politics) का समर्थन करती हूँ।” पुष्पम प्रिया चौधरी का लालन-पालन दरभंगा, बिहार में हुआ। वे अपनी उच्च शिक्षा के लिए बिहार से बाहर गईं। बाद में वे यूनाइटेड किंगडम गईं और यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स के इंस्टीट्यूट ऑफ डिवेलपमेंट स्टडीज़ से डिवेलपमेंट स्टडीज़ में स्नातकोत्तर की डिग्री ली। इस पढ़ाई में उनके विषय रहे गवर्नन्स, डेमोक्रेसी और डिवेलपमेंट ईकोनोमिक्स । उन्होंने समस्त विश्व की प्रभावशाली नीतियों के साथ-साथ बिहार और भारत की असफल नीतियों पर शोध किया। उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की पृष्ठभूमि में वोटिंग पैटर्न और वोटिंग व्यवहार पर भी फ़ील्ड में एक मौलिक शोध किया और “पार्टी-कैंडिडेट-वोटर लिंक़ेज तंत्र आधारित उत्तरदायित्व व सुनवाई” पर अपनी थीसिस लिखी जिसे तुलनात्मक चुनाव अध्ययन के मानद विशेषज्ञों द्वारा काफ़ी सराहा गया। 


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मिस चौधरी ने उसके बाद लंदन स्कूल ऑफ ईकोनोमिक्स एंड पोलिटिकल सायन्स से मास्टर ऑफ पब्लिक एड्मिनिस्ट्रेशन की दूसरी स्नातकोत्तर डिग्री ली। एलएसई में उन्होंने राजनीति विज्ञान, राजनीतिक दर्शन, लोक प्रशासन, अर्थशास्त्र, पब्लिक पॉलिसी का दर्शन, सोशल पॉलिसी और पोलिटिकल कम्यूनिकेशन की पढ़ाई की। यहाँ पढ़ते हुए उन्हें पेरिस के प्रतिष्ठित सियाँस पो (Sciences Po) में भी राजनीति विज्ञान की दोहरी डिग्री लेने का मौक़ा दिया गया लेकिन उन्होंने एलएसई में रहना पसंद किया - “एलएसई की पढ़ाई और रीसर्च सर्वश्रेष्ठ है, मैं यहाँ एक दिन भी खोना नहीं चाहती थी, एक साल तो बहुत दूर की बात थी।” 2018 और 2019 की बिहार की एंसेफलायटिस बुख़ार ने, जिसमें सैंकड़ों बच्चों की मृत्यु हुई, उन्हें काफ़ी डिस्टर्ब किया। उस दौरान वे विकसित लोकतंत्रों के लिए बॉस्टन कन्सल्टिंग ग्रुप और एलएसई की पब्लिक-पॉलिसी के एक प्रॉजेक्ट पर काम कर रही थीं - बिहार में पब्लिक सर्विस और शासन की समस्याओं का आसानी से निराकरण हो सकता है। विकसित लोकतंत्रों की सरकारें अब ज़्यादा जटिल समस्याओं का समाधान कर रही हैं क्योंकि उन्होंने बुनियादी सेवाओं और शासन को बेहतर कर रखा है। अपने होम स्टेट की ठीक की जाने वाली समस्याओं से अवगत होते हुए दूसरे विकसित मुल्कों के लिए नीति निर्माण का काम मेरे लिए नैतिक रूप से परेशान करने वाला था। बिहार के लिए कुछ न करने और उसे भ्रष्ट व अक्षम लोगों के हाथ में छोड़ देने के नैतिक बोझ के साथ मैं नहीं जी सकती थी। मैं बिहार से बाहर ज़रूर थी लेकिन बिहार ने मुझे कभी नहीं छोड़ा।” बिहार से बाहर जाने के समय से ही वे बिहार के लिए जो करना चाहती थीं, उसके बारे में बहुत स्पष्ट और प्रतिबद्ध थीं - “सही है कि बाहर पैसे और अवसर बहुत हैं, लेकिन पैसा मेरे लिए कभी जीवन की प्रेरणा नहीं रहा। मुझे लंदन पसंद है क्योंकि लोग एक-दूसरे का आदर करते हैं। लोग सरकार के लिए महत्वपूर्ण हैं, इससे मतलब नहीं कि वे कौन हैं और कहाँ से आते हैं। जीवन बहुत आसान है और पब्लिक सर्विस प्रभावी। मैं मरने से पहले बिहार को अपने जीवन-काल में वैसा ही देखना चाहती हूँ। इसलिए मैंने अपना सामान बांधा और अपनी मातृभूमि वापस आ गयी।” पुष्पम प्रिया चौधरी 2019 में बस एक लक्ष्य के साथ लौटीं - एक बेहतर बिहार बनाया जाए और अक्षम राजनीतिक व्यवस्था को बदला जाए। जिन लोगों के सामने वे खड़ी हैं वे हर जगह हैं - “जब मैं राजनीतिक वर्ग की बात करती हूँ तो मेरा मतलब सिर्फ़ राजनीतिज्ञों से नहीं होता, बल्कि इसका अर्थ भ्रष्टाचार के समूचे संरक्षक-मुवक्किल नेटवर्क (patron-client network) से है। वे सभी जगह हैं, अलग-अलग कामकाज में। लोग जो अपने कांटैक्ट के पावर का दुरुपयोग करते हैं।” वे यह जानती हैं क्योंकि सिस्टम को दशकों तक जान-बूझ कर बर्बाद किया गया है और इसलिए भ्रष्टाचारियों का नेटवर्क काफ़ी मज़बूत है। “लेकिन इसे ठीक करना असम्भव नहीं है, उतना असम्भव तो नहीं ही है जितना चन्द्रमा पर जाना या मरूस्थल में बारिश करना। वह भी आज हो गया है। जीवन भी मुश्किल ही है, लेकिन हम जीना तो नहीं छोड़ देते हैं ना? लोग सरकारों की नालायकी और अहंकार के कारण मरना डिज़र्व नहीं करते। बिहार मेरा है और मेरे जैसे लोगों का है, और एक बिहारी के रूप में मैं इसे आगे और बर्बाद नहीं होने दूँगी चाहे इसके लिए जो करना पड़े। और फिर इस बात का कोई सबूत भी तो नहीं है कि यह नहीं बदला जा सकता, उल्टे इस बात का सबूत ज़रूर है कि इन राजनीतिज्ञों से नहीं हो सकता। मैं सबूत के आधार पर काम करती हूँ न कि अनुमानों और मान्यताओं पर। बहुत सारे ईमानदार, मेहनती लोग हैं जो काम करना चाहते हैं लेकिन जिन्हें सिस्टम में काम नहीं करने दिया जाता। मैं उन सबके लिए एक उत्साहवर्धक माहौल बनाना चाहती हूँ। जब संस्थाएँ मज़बूत होती हैं तो प्रतिभाएँ सतह पर अपने आप आ जाती हैं और जब वे कमजोर होती हैं तो ग़लत एवं भ्रष्ट लोग सही एवं निर्दोष लोगों की क़ीमत पर आगे बढ़ जाते हैं।” वे एक प्रोग्रेसिव बिहार का विज़न रखती हैं - “मुझे अपने नागरिकों और मतदाताओं में यक़ीन है। हमने सालों तक बर्दाश्त किया है। अब बहुत हो गया। बिहार अब हमेशा के लिए बदलेगा और अब यह साक्ष्य-आधारित पब्लिक पॉलिसी एवं पॉज़िटिव पॉलिटिक्स से शासित होगा। और यह बिल्कुल तय है।”प्लुरल्स का अजेंडा बिहार का सम्पूर्ण बदलाव है। देश के सभी विकास मानकों पर बिहार सबसे निचले रैंक पर है। ये रैंक सिर्फ़ संख्यात्मक नहीं हैं बल्कि एक अमानवीय और अस्वीकार्य माहौल को व्यक्त करते हैं जिसमें एक बड़ी जनसंख्या रहने को विवश है। यह दुखद स्थिति सिर्फ़ और सिर्फ़ अक्षम व नाकाबिल सरकार के कारण है।  प्लुरल्स का लक्ष्य एक ज़िम्मेदार सरकार के रूप में चुने जाने का है जो सही अर्थों में लोगों का प्रतिनिधित्व करे और उनके प्रति उत्तरदायी हो। उसके बाद यह मज़बूत संस्थाओं का निर्माण और बेहतर पॉलिसी का कार्यान्वयन करेगा ताकि लोगों को उनके सामाजिक-आर्थिक स्थिति से निरपेक्ष सक्षम पब्लिक सर्विसेज़ मिल सकें। प्लुरल्स ज़बरदस्ती थोपे गए आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विषमताओं के विरूद्ध लड़ेगा और एक ऐसे बिहार का निर्माण करेगा जहां हर एक ज़िंदगी निस्सन्देह समान रूप से क़ीमती हो।  हमारा मिशन बिहार की मरणासन्न अर्थव्यवस्था पुनर्जीवित कर एक नये बिहार की रचना करनी है जो उत्पादन (प्रोड्यूस) करे, नवाचार (इनोवेट) करे और निवेश (इन्वेस्ट) करे ताकि यह 2025 तक देश में सबसे बेहतर शासित व विकसित राज्य बन सके तथा 2030 तक विश्व के सर्वश्रेष्ठ निवास स्थानों में एक हो सके। प्लुरल्स यह कार्य साक्ष्य-आधारित पॉलिसी निर्माण के माध्यम से करेगा जो पॉज़िटिव व प्रोग्रेमेटिक पॉलिटिक्स पर आधारित होगा।

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