झारखंड : धर्माध्यक्ष बिशप पॉल अलोइस लकड़ा का निधन, दफन भी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 16 जून 2021

झारखंड : धर्माध्यक्ष बिशप पॉल अलोइस लकड़ा का निधन, दफन भी

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गुमला. आज गुमला धर्मप्रांत के द्वितीय धर्माध्यक्ष बिशप पॉल अलोइस लकड़ा का अंतिम संस्कार कर दफन कर दिया गया.सोमवार की देर रात को 1.30 बजे उनका निधन हो गया.वे 65 साल के थे.मंगलवार की दोपहर में उनका शव गुमला लाया गया. जहां लोगों ने अंतिम दर्शन किया.बुधवार को संत पैट्रिक महागिरजाघर गुमला में दफन कर दिया गया.गुमला धर्मप्रांत के प्रथम   धर्माध्यक्ष माइकल मिंज के कब्र के बगल में जगह दी गयी है.इसके पूर्व संत पैट्रिक महागिरजाघर में बिशप के पार्थिव शरीर को रखकर रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष ने मिस्सा अर्पित किया और पवित्र जल का छिड़काव किये. गुमला धर्मप्रांत के धर्माध्यक्ष बिशप पॉल अलोइस बीमार पड़े. उनकाे कोस्टंट लिवन्स अस्पताल मांडर में भर्ती किया गया.जांचोपरांत पता चला कि बिशप कोरोना पॉजिटिव हैं.इलाज चल ही रहा था कि 17 मई को स्थिति बिगड़ने पर रांची के आर्किड अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां सोमवार की देर रात को 1.30 बजे उनका निधन हो गया. मंगलवार की दोपहर में उनका शव गुमला लाया गया. जहां लोगों ने अंतिम दर्शन किया. रांची महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष ने मिस्सा अर्पित किया और पवित्र जल का छिड़काव किये.इसके बाद दफन कर दिया गया. बताया गया कि झारखंड राज्य के नदीटोली में 10 जुलाई 1955 को हुआ था बिशप पॉल अलोइस लकड़ा का जन्म.उनका पुरोहिताभिषेक 6 मई, 1988 को हुआ.रोम में रहने वाले पोप ने उनको 28 जनवरी, 2006 को गुमला का बिशप नियुक्त किया.उनका विधिवत बिशप के रूप में अभिषेक 5 अप्रैल, 2006 को हुआ.इस तरह 1955 से 2021 तक चरवाहे के रूप में भक्तों की सेवा की.


स्व. पॉल लकड़ा ने 33 साल पुरोहित व 15 साल बिशप के रूप में सेवा दी है. वे गुमला धर्मप्रांत के दूसरे बिशप थे. पहले बिशप स्व माइकल मिंज थे. बिशप माइकल मिंज के निधन के बाद रोम के पोप वेनेदिक्त 16वें ने 28 जनवरी 2006 को गुमला शहर के नदीटोली निवासी पॉल अलोइस लकड़ा को गुमला धर्मप्रांत का बिशप चुना था. तब से बिशप गुमला धर्मप्रांत के एक चरवाहा बनकर सेवा दे रहे थे. बिशप पॉल के निधन से गुमला धर्मप्रांत के 39 चर्चों के इसाई मिशनरी सहित पूरे झारखंड के इसाई मिशनरी शोक में हैं. बिशप का भरा पूरा परिवार है. गुमला शहर के नदी टोली में बिशप के बड़े भाई, छोटी बहन परिवार के साथ रहते हैं. स्व पॉल लकड़ा का जन्म 11 जुलाई 1955 को हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा संत पात्रिक हाई स्कूल गुमला से हुई. मैट्रिक संत इग्नासियुस हाईस्कूल गुमला से किया था. इंटर की पढ़ाई केओ कॉलेज गुमला से की थी. इसके बाद उन्होंने रांची के संत अलबर्ट एक्का कॉलेज में पढ़ाई की. डिकन के रूप में 1987-1988 को चुने गये और छह मई 1988 को 32 वर्ष की उम्र में उन्हें पुरोहित चुना गया था. उन्होंने झारखंड के कई क्षेत्रों में काम किया. इसके बाद 15 साल तक बिशप जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहकर गुमला धर्मप्रांत की सेवा व मजबूती के लिए काम किया.जानकारी के अनुसार कोरोनावायरस महामारी ने तीन धर्माध्यक्षों की मृत्यु हुई है. गुमला के धर्माध्यक्ष पॉल एलोइस लकड़ा की मृत्यु के बाद संख्या चार हो गयी. गुमला धर्मप्रांत के विकर जेनरल फादर सीप्रियन कुल्लू ने कहा कि एक चरवाहा अपनी भेड़ों को छोड़कर चला जाये, तो आगे क्या होगा? क्या भेड़ें तितर-बितर नहीं हो जायेंगे? क्या वे भेड़ें अनाथ नहीं हो जायेंगे? आज हमारे गुमला धर्मप्रांत की यही स्थिति है. हमारा चरवाहा हमें छोड़कर चला गया. स्वर्गीय बिशप पॉल अलोइस लकड़ा भी हमारे लिए एक चरवाहा थे. जो हमें छोड़कर चले गये. यह हम सबों के लिए दु:ख की घड़ी है. ईश्वर से प्रार्थना करें कि स्वर्गीय बिशप पॉल अलोइस लकड़ा की आत्मा को शांति मिले और ईश्वर उन्हें अनंत जीवन प्रदान करें.

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