जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का निधन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 5 जुलाई 2021

जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का निधन

  • * पिछले हफ्ते, स्टेन स्वामी ने अदालत में एक नई याचिका भी दायर कर गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून (UAPA) की धारा 43डी (पांच) को चुनौती दी थी जो इस कानून के तहत आरोपी बनाए गए व्यक्ति की जमानत पर सख्त शर्तें लगाती है
  • * काला कानून UAPA से 268 दिनों तक फादर स्टेन जूझते रहे

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रांची. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में पिछले साल 8 अक्टूबर को गिरफ्तार किए गए सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी का निधन हो गया है. वह कई बीमारियों से पीड़ित थे और हाल ही में ज्यादा तबीयत खराब होने पर उन्हें होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वे कोरोना से भी संक्रमित हो गए थे.बॉम्बे हाईकोर्ट में आज उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होनी थी. इसी दौरान उनके वकील ने अदालत को उनकी मौत की जानकारी दी.वे 84 वर्ष के थे. फादर स्टेन स्वामी का जिस अस्पताल में उपचार चल रहा था, उसके एक अधिकारी ने बंबई उच्च न्यायालय को सोमवार को इस बारे में बताया.उपनगरीय बांद्रा में होली फैमिली अस्पताल के निदेशक डॉ इयान डिसूजा ने उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एन जे जमादार की पीठ को बताया कि 84 वर्षीय स्वामी की सोमवार अपराह्न डेढ़ बजे मृत्यु हो गई.


डिसूजा ने अदालत को बताया कि रविवार तड़के स्वामी को दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. अधिकारी ने अदालत को बताया, ‘‘उनकी (स्वामी) हालत ठीक नहीं हो पायी और आज दोपहर उनका निधन हो गया.’’उन्होंने बताया कि फेफड़े में संक्रमण, पार्किंसंस रोग और कोविड-19 की जटिलताओं के कारण स्वामी की मौत हो गयी. उनका जन्म तमिलनाडु में 26 अप्रैल 1937 को हुआ था.20 वर्ष में जमशेदपुर जेसुइट प्रोविंश में 30 मई 1957 को प्रवेश किये.33 वर्ष में उनका पुरोहिताभिषेक 14 अप्रैल 1970 को हुआ.44 वर्ष में जेसुइट का अंतिम व्रत 22 अप्रैल 1981 को लिये. 84 वर्ष मे 5 जुलाई 2021 को निधन हो गया.वे 1971-1974 सोशल वर्क, जमशेदपुर और चाईबासा में किये . 1975-1991 आईएसआई, बैंगलोर में डायरेक्टर पद पर कार्य किये . 1993-95 सोशल वर्क,टीआरटीसी(संत जेवियर ) में किये.1996-2001जोहार ,चाईबासा में कार्य करने के बाद 2002-2020 बगइचा,रांची में जेल जाने से पूर्व तक कार्य किये. फादर स्टेन स्वामी 60 के दशक में तमिलनाडु के त्रिचि से झारखंड पादरी बनने आए थे. थियोलॉजी (धार्मिक शिक्षा) पूरी करने के बाद वह पुरोहित बने, लेकिन ईश्वर की सेवा करने की बजाय उन्होंने आदिवासियों और वंचितों के साथ रहना चुना. वे कई वर्षों से राज्य के आदिवासी और अन्य वंचित समूहों के लिए काम करते रहे. उन्होंने विशेष रूप से विस्थापन, संसाधनों की कंपनियों के ओर से लूट, विचाराधीन कैदियों के साथ-साथ कानून पर काम किया.


स्वामी स्टेन झारखंड के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ता थे. स्टेन स्वामी को सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं. झारखंड में चल रहे जल, जंगल, जमीन, विस्थापन जैसे आंदोलन को उन्होंने बौद्धिक समर्थन दिया.  कोरेगांव-भीमा गांव में 1 जनवरी 2018 को दलित समुदाय के लोगों का एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था. कुछ दक्षिणपंथी संगठनों ने इस कार्यक्रम का विरोध किया था. एल्गार परिषद के सम्मेलन के दौरान इस इलाके में हिंसा भड़की थी. भीड़ ने वाहनों में आग लगा दी और कई दुकानों, मकानों में तोड़फोड़ की थी. हिंसा में एक शख्स की जान चली गई और कई लोग जख्मी हो गए थे. इस हिंसा में माओवादी कनेक्शन भी सामने आया था. महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया था. इसमें स्टेन स्वामी भी शामिल थे. पिछले जुलाई 2018 में झारखंड की खूंटी पुलिस ने पत्थलगड़ी आंदोलन मामले में सामाजिक कार्यकर्ता और विस्थापन विरोधी जन विकास आंदोलन के संस्थापक सदस्य फादर स्टेन स्वामी, कांग्रेस के पूर्व विधायक थियोडोर किड़ो समेत 20 अन्य लोगों पर राजद्रोह का केस दर्ज किया था.  पिछले साल 8 अक्टूबर को एनआईए ने भीमा कोरेगांव केस में फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया था. एनआईए की टीम एसपी स्तर के अधिकारी के नेतृत्व में  फादर स्टेन स्वामी के बगइचा स्थित आवास पहुंची थी. जिसके बाद उन्हें वहां से गिरफ्तार कर लिया गया. बाद में उन्हें एनआईए की टीम मुंबई लेकर चली गई. मार्च के अंतिम हफ्ते में मुंबई की एक विशेष अदालत ने एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार ट्राइबल राइट एक्टिविस्ट स्टेन स्वामी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.  84 वर्षीय फादर स्टेन स्वामी की मृत्यु पर हम शोकाकुल हैं. यह सामान्य मृत्यु नहीं बल्कि हिरासत में हत्या है.फादर स्टेन मानवाधिकार की रक्षा में हमेशा खड़े रहे थे. भीमा कोरेगांव कांड में जिस तरह से उनको आरोपी बनाया गया है वह बिल्कुल निराधार है लेकिन मोदी सरकार एनआइए का इस्तेमाल मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीति कार्यकर्ताओं के दमन में कर रही है.फादर स्टेन जेल में बहुत बीमार पड़ गए थे लेकिन उन्हें जमानत नहीं दी गई इलाज के लिए पैरोल नहीं दिया गया और आज उनकी मृत्यु हो गई.  ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी फादर स्टेन स्वामी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करती है और मानवाधिकार के लिए और गरीबों के लिए जो उनकी लड़ाई थी उस लड़ाई के प्रति एकजुटता प्रकट करती है.

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