उल्लेखनीय है कि 16 जुलाई को किसान सारथी मंच का शुभारम्भ करने वाली संस्था भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन है, जिसकी स्थापना ब्रिटिश काल में जुलाई 1929 में हुई थी और इसे पूर्व में इम्पीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के नाम से जाना जाता था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि क्षेत्र में अनुसंधान एवं शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन और प्रबंधन के लिये शीर्ष निकाय है। किसान सारथी नामक यह मंच अर्थात एप्प किसानों को उनकी वांछित भाषा में सही समय पर सही जानकारी प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करने हेतु एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है। कहा जा रहा है कि यह किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से प्रत्यक्ष तौर कृषि और संबद्ध विषयों पर वार्ता करने एवं व्यक्तिगत सलाह लेने में मदद करेगा। किसान इसका उपयोग कर खेती के नए तरीके भी सीख सकते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र भारत में एक कृषि विस्तार केंद्र के रूप में जाने जाते हैं। आमतौर पर व्यावहारिक कृषि अनुसंधान को लागू करने का लक्ष्य रखकर कृषि विज्ञान केंद्र एक स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय से जुड़े भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद और किसानों के बीच अंतिम कड़ी के रूप में कार्य करते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली का अभिन्न अंग है। देश का पहला कृषि विज्ञान केंद्र वर्ष 1974 में पुद्दुचेरी में स्थापित किया गया था। इसका अधिदेश इसके अनुप्रयोग और क्षमता विकास के लिये प्रौद्योगिकी मूल्यांकन तथा प्रदर्शन है। ये केंद्र गुणवत्तापूर्ण तकनीकी उत्पादों जैसे- बीज, रोपण सामग्री, पशुधन आदि का उत्पादन करते हैं और इसे किसानों को उपलब्ध कराते हैं। भारत सरकार द्वारा शत- प्रतिशत वित्तपोषित कृषि विज्ञान केंद्र योजना कृषि विश्वविद्यालयों, भारतीय कृषि अनुसन्धान केन्द्र संस्थानों, संबंधित सरकारी विभागों तथा कृषि में काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों द्वारा स्वीकृत हैं। ये केंद्र प्रयोगशालाओं और खेत के बीच एक सेतु का काम करते हैं। सरकार के अनुसार, ये वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। अब इसके ही माध्यम से किसान सारथी मंच का संचालन किया जा रहा है, जिससे इस केंद्र पर बहुत सी जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं।
दरअसल मध्यप्रदेश सरकार ने चार वर्ष पूर्व ही किसान सारथी नाम से ही इस प्रकार की एक डिजिटल योजना प्रारम्भ की थी, जिसके अनुसार वर्ष 2016- 2017 से ही वहां ई किसान सारथी एप्प और एक टोल फ्री नम्बर के माध्यम से कृषकों तक किराए पर फसलों की बुआई- कटाई के कृषि यंत्र पहुँचाने की व्यवस्था की गई थी। इसके लिए कृषि यंत्रों का किराया प्रति घंटा और प्रति किलोमीटर पर परिवहन शुल्क किलोमीटर राज्य सरकार ने तय किया था। इसके लिए किसानों को सबसे पहले टोल फ्री नंबर पर अपना पंजीयन कराने की व्यवस्था की गई थी। संबंधित व्यक्ति को बुआई अथवा कटाई की जाने वाली फसल और अन्यान्य वांछित जानकारी दर्ज किये जाने के बाद किराए पर कृषि यंत्र पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर दिए जाने की व्यवस्था थी। मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा किसानों को किराए पर ट्रैक्टर, थ्रेसर, रोटावेटर, कल्टीवेटर (स्प्रिंग), कल्टीवेटर (प्लेन), पावर टिलर, पेडी ट्रांसप्लांटर, सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल, डिस्क पलाऊ या डिस्क हेरो आदि कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए पाइलट प्रोजेक्ट के तहत प्रारम्भ की गई योजना की भांति ही केंद्र सरकार द्वारा किसान सारथी मंच के नाम से ही यह डिजिटल पहल सम्पूर्ण देश में लागू की गई है। उस समय खरीफ और रबी के लिए किसानों को यह सुविधा मुहैया कराये जाने से मध्यप्रदेश के कुछ भागों से इससे कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा मिलने अर्थात महंगे कृषि यंत्र किराए पर लेकर खेती में उपयोग करने की प्रवृत्ति किसानों में बढ़ने और कृषकों को लाभ प्राप्त होने की सूचनाएं मिली थी। इससे सम्बन्धित कस्टम हायरिंग सेंटर में कार्य करने वाले बेरोजगार कृषि इंजीनियर, कृषि स्नातकों, अन्य स्नातक और कृषि मशीनरी प्रशिक्षण प्राप्त बेरोजगारों को कार्य मिलने के साथ ही चिह्नित गांवों में कृषि यंत्रीकरण प्रोत्साहन कार्यक्रम के तहत किसानों के सहायता समूह, सहकारी समितियां, कृषक उत्पादन संगठन और इस प्रकार की अनेक संस्थाएं अनुदान प्राप्त करने से लाभान्वित हुई थी । अब कृषि से सम्बन्धित इस प्रकार की योजना किसान सारथी मंच अर्थात एप्प के सम्पूर्ण देश में लागू किये जाने से किसानों को फसलों की बुआई से लेकर कटाई और विपणन की सम्पूर्ण जानकारी समय पर मिलने की उम्मीद बढ़ने से किसानों के साथ ही इससे सम्बन्धित कार्यों में संलग्न होने वाले सम्भावित बेरोजगारों की आय में वृद्धि होने की सम्भावना बढ़ गई है। फिलहाल किसानों को उनके मोबाइल फोन नंबर पर मौसम की ताजा जानकारी पहुंचाई जा रही है। इस एप्प के माध्यम से कृषि संबंधी सारी जानकारियां स्थानीय जलवायु क्षेत्र के हिसाब से दी जाएगी। मौसम के अनुसार अर्थात सिजनली फसलों की बोआई के उपयुक्त समय और खेती में डाली जाने वाली खाद, बीज व फसलों में लगने वाली बीमारियों से बचाव और रोकथाम के उपाय के बारे में इस एप्प के माध्यम से वैज्ञानिक सलाह ली जा सकती है। मन में उठते सवाल भी पूछे जा सकते हैं। खाद्यान्न, सब्जी व बागवानी उपज की खरीद-बिक्री, मौसम की जानकारी से लेकर किसानों को प्राप्त हो सकने वाली हरसंभव सलाह इस प्लेटफार्म पर स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराई जाने की व्यवस्था होने से किसान सीधे विषय विशेष के वैज्ञानिकों से सीधी बात भी कर सकते हैं। इस कार्य में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की भूमिका अहम रही है। इसके डिजिटल कारपोरेशन आफ इंडिया ने अपने राष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से किसानों को जोड़ने में मदद की है। देश के 700 से अधिक कृषि विज्ञान केंद्र इसके नेटवर्क से जुड़ गए हैं। इसके माध्यम से दूरदराज के किसानों को जोड़ना आसान हो जाएगा। अपने जिले के किसान विज्ञान केंद्र से जुड़े वैज्ञानिकों से इस प्लेटफार्म पर सवाल पूछे जा सकते हैं। फसलों के तैयार होने के बाद उसकी उपज की बाजार अथवा गोदामों तक ढुलाई करने और बाजार में बिक्री आदि में भी इस डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग फायदेमंद साबित होगा। मंडियों में खाद्यान्न व फल और सब्जियों के बाजार भाव की जानकारी भी उपलब्ध कराई जा सकेगी। किसान सारथी पर देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक उपज को पहुंचाने में भारतीय रेलवे की भी मदद ली जा सकेगी। किसान सारथी की सफलता में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद के वैज्ञानिकों की भूमिका बेहद अहम होगी, जिनके माध्यम से ही किसानों को हर तरह की सलाह दी जा सकेगी। अब देखना है कि सरकार का यह नया डिजिटल पहल नया इंडिया में क्या नया रंग दिखलाता है?
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