झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 13 जुलाई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 13 जुलाई 2021

झाबुआ (मध्यप्रदेश) की खबर 13 जुलाई

अगर आप जीवनभर तनाव से दूर खुशहाल रहना चाहते हैं तो जितनी जल्दी हो सके संगीत से रिश्ता किजिए कायम 


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गुजरात के संगीतकार और सॉफ्टवेयर एंजीनियर  जिन्होंने लर्न म्युजिक एट युवर होम  म्यूजिक सिस्टम (सॉफ्टवेर ) के द्वारा  म्यूजिक प्रोजेक्ट बना के गुजरात की स्कूलों में चला रहे हे जिस से विद्यार्थी अपने आप संगीत शिख रहे हे ऐसे संगीतकार मनीष राज्यगुरु ने संगीत का मनुष्य जीवन पर क्या असर हे उनके  बारे में काफी रोचक जानकारी दी हे। उन्होने बताया कि संगीत एक ऐसी चीज है जिसे हर कोई पसंद करता है। संगीत सुनना हमें सुकून देता है, हमें उत्साहित करता है या हमारी आत्माओं को जीवंत करता है। इसलिए, अधिक से अधिक संगीत का लाभ लेना चाहिए। संगीत का कोई ऐसा व्यक्ति है जो विशेष रूप से इसका आनंद लेता है, तो वह बच्चे हैं। जब वे बहुत छोटे होते हैं तो उन्हें संगीत की लय सहित सभी प्रकार की उत्तेजनाएं प्राप्त करने की संवेदनशीलता होती है। आपको बस यह देखना है कि वे गाने सीखने या उन्हें नृत्य करने में कैसे रुचि रखते हैं। बच्चों के लिए संगीत के कई फायदे हैं। आज मैं आपको उनमें से कुछ बताऊंगा।   गाने या लय सीखते समय, बच्चा विभिन्न स्वरों, नोट्स और ध्वनियों पर ध्यान केंद्रित करता है। इस तरह एकाग्रता, ध्यान और स्मृति में सुधार होता है। यह भाषा को बेहतर बनाने में योगदान देता है बच्चों को ध्वनियों और शब्दों के अर्थ से परिचित कराता है। इस तरह, भाषा, सीखने और संचार कौशल में सुधार होता है। सामाजिकता को बढ़ावा देता है चूंकि संगीत अन्य लोगों के साथ बातचीत की अनुमति देता है।शरीर के समन्वय को बढ़ावा देता है। जब नृत्य के साथ संयुक्त, इंद्रियों, संतुलन और शरीर के विकास को उत्तेजित किया जाता है। संगीत उन लोगों के लिए शुद्ध गणित है जो बुद्धि को उत्तेजित करता है जटिल गणितीय और तर्कपूर्ण समस्याओं को हल करने में मदद करना। यह मस्तिष्क के सही गोलार्द्ध को उत्तेजित करता है, कल्पना और रचनात्मकता को बढ़ावा देता है। ये खुद को व्यक्त करने का एक तरीका इसलिए यह संचार समस्याओं वाले बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकता है।और व्यापक विकास को बढ़ावा देता है बच्चो के विकास के विभिन्न क्षेत्रों पर काम करता है। केवल इतना ही नहीं। संगीत मजेदार है, यह हमें आनंद देता है, यह हमें गतिविधियों को करने, आराम करने या अन्य लोगों के साथ बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस सब के लिए और बहुत कुछ, संकोच न करें, अपने बच्चों के जीवन में आनंद लेने के लिए कुछ संगीत डालें । क्या आपको यह जानकारी हे कि आपके शिशु में शुरुआत से ही ध्वनि, वाणी और संगीत को ग्रहण करने की क्षमता होती है? जब वे लगभग 24 दिन के होते हैं, तभी से वे लय में थोड़े से बदलाव को भी पहचान सकते हैं और यहां तक कि परिवार के अलग-अलग सदस्यों की आवाज को भी पहचान सकते हैं। यह सचमुच अद्भुत है - यदि एक पांच माह का शिशु प्रतिदिन किसी गीत को सुनता है, तो वह उसे सुनते ही उसकी संगीत रचना को पहचान सकता है! प्रत्येक परिवार (अथवा माता-पिता) अपने बच्चे को दिलासा देने के लिए कोई तराना अथवा गीत सुनाते हैं। जब आप कोई मधुर गीत बजाकर अपने बच्चे को गोद में लेकर इधर-उधर घूमते हैं, तो यह काफी आनन्ददायक और आसान होता है। संगीत सब कुछ करता है काम की तरह काम और आराम की तरह बच्चे को अधिक शांति प्रदान करता है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि शिशु भी संगीत के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।  बच्चों के लिए गायन कई लोगों के लिए स्वाभाविक रूप से आते हैं।  यहां तक की जब हम अपने शिशुओं से बात करते हैं तो अपनी आवाज को अधिक संगीतमय बनाने के लिए उसे बदलते हैं! हम अपनी आवाज को अधिक लयबद्ध बनाते हैं और दोहराते हैं, और कुछ पिच काउंटर पर विशेष जोर देते हैं। संगीतमय आवाज भावनात्मक रूप से अधिक अभिव्यक्तिपूर्ण बनाती है और शिशु इसके प्रति प्रतिक्रिया करते हैं।  जब आप रिकार्ड किए गए संगीत पर गाते हैं, तो इसका एक फायदा है व्यक्तिगत लगाव। यह आपके लगाव को न केवल और अधिक मजबूत बनाता है बल्कि आपके बच्चे कोशांत बनाताहै और उसके विकास को बढ़ावा देता है।गुनगुनाना और लोरी सुनाना निःसंदेह महत्वपूर्ण है क्योंकि ये शिशुको आनंद देते हैं और सुरक्षा की भावना प्रदान करते हैं। इसके अलावा, वे आपके शिशु के सीखने की लंबी यात्रा में पहले कदम  हैं और वे बोलने और आवाज को समझने में शिशु की मदद करते हैं। आपने देखा होगा कि जब आप अपने शिशु के पास गुनगुनाते हैं अथवा गाना गाते हैं तो उसका चेहरा चमक उठता है वे खिलखिलाते हैं और प्यार से आवाज निकालते हैं क्योंकि उन्हें आपकी आवाज की ध्वनि अच्छी लगती है! अपने बच्चे के लिए गाना उससे जुड़ने का एक जैविक तरीका है।


सॉफ्ट म्यूजिक फायदेमंद -

नवजात शिशुओं के लिए सॉफ्ट म्यूजिक सर्वोत्तम माना जाता है, इसलिए बच्चों को हमें क्लासिकल म्यूजिक सुनाना चाहिए। इसलिए शिशुओं को झुनझुना बेहद पसंद आता है। बच्चों के लिए ऐसे ही संगीत का चयन करना चाहिए, जिसके स्वर हल्के हों, क्योंकि बच्चों का मस्तिष्क संवेदनशील होता है और तेज संगीत का उन पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। सितार के सुर ही उनके लिए अनुकूल हैं। 


घातक है तेज म्यूजिक -

जो फिल्मी संगीत हम सुनते हैं, वह मासूमों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इससे बच्चों का बौद्धिक विकास भी प्रभावित होता है। बच्चों की तीन अवस्थाएं होती है। शिशु अवस्था, बाल अवस्था और किशोर अवस्था। हाई वोल्टेज संगीत खासतौर से नवजात बच्चों के लिए खतरनाक हो सकता है। 


सितार व पियानो बनाएं होशियार

संगीत के पंचम, गंधार, मध्यम स्वरों से बच्चों को रिझाते हुए उन्हें स्वस्थ रखा जा सकता है। शोध में हमने पाया कि जलतरंग, काष्ट तरंग, पाइप तरंग, सितार व पियानो सुनने से बच्चे स्वस्थ रहते हैं। ऐसा संगीत सुनने से मस्तिष्क कोशिकाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और वे मजबूत होती हैं। बच्चों में बातचीत करने, पढने-लिखने व शरीर को चुस्त दुरुस्त रखने में मदद मिलती है। 6 से 8 साल के बच्चों को जलतरंग, काष्ट तरंग, पाइप तरंग, सितार व पियानो सुनाने से उन्हें स्वस्थ रखने में मदद मिलती है। यह बात कई शोधों में भी साबित हो चुकी है कि बच्चों को चुस्त-दुरुस्त रखने में शास्त्रीय और धीमा संगीत अहम भूमिका निभाता है।


गर्भवती महिलाएं रखें ध्यान

हाई वोल्टेज संगीत सुनते समय गर्भवती महिलाओं को खासतौर से सतर्क रहने की जरूरत है। जो महिलाएं एमपी3, टीवी या रेडियो पर मनमौजी टाइप का तेज संगीत सुनती हैं, उनके बच्चों को मानसिक हानि होने की आशंका ज्यादा होती है। शोर वाला पॉप म्यूजिक भू्रण में जन्मजात विकृति पैदा करने वाला होता है। इसलिए शोर शराबे वाले संगीत की बजाय शास्त्रीय संगीत सितार या संतूर आदि सुनना ज्यादा लाभकारी है। शादी-पार्टियों में डीजे के शोर से भी गर्भवती महिलाओं को दूर रहना चाहिए, ऐसा संगीत गर्भ में पल रहे मासूम पर अत्याचार जैसा ही है। प्लेटो ने एक बार कहा था कि संगीत शिक्षा किसी भी अन्य शिक्षा की तुलना में अधिक शक्तिशाली साधन है।संगीत सभी को पसंद होता है, लेकिन हर किसी को इसमें भाग लेने का मौका नहीं मिलता है। हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार, यह पाया गया है कि संगीत मस्तिष्क के दोनों भाग का उपयोग करता है जो किसी व्यक्ति में विकास की गुंजाइश बढ़ाता है।संगीत शैक्षणिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से बच्चे के दिमाग को विकसित करने में मदद कर सकता है। संगीत न सिर्फ दिल और दिमाग को सुकून देता है, बल्कि संगीत के और भी बहुत से फायदे हैं। तनाव घटाने के लिए लोग म्यूजिक थेरेपी का सहारा लेते हैं। संगीत के ढ़ेर सारे फायदों की बीच हाल ही में इसे लेकर एक और नई रिसर्च सामने आई है। इस रिसर्च में कहा गया है कि संगीत सीखने वाले बच्चे साइंस, मैथ्स और इंग्लिश में अच्छा स्कोर करते हैं।


संगीत बच्चों को इंटैलिजेंट बनाता है-

रिसर्च के मुताबिक, हाई स्कूल में पढ़ने वाले ऐसे बच्चे जो कोई म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाते हैं या बजाना सीखते हैं, उनकी परफॉर्मेंस ऐसा न करने वाले बच्चों से साइंस, मैथ्स और इंग्लिश में अच्छी रही। यानी म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बजाने वाले बच्चों के इन विषयों में अच्छे नंबर आये हैं। आमतौर पर स्कूलों में अकेडिमक पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है, म्यूजिक पर नहीं। मगर इस अध्ययन के नतीजे देखकर तो यही लग रहा है कि अब स्कूलों को म्यूजिक क्लास पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है ताकि साइंस, मैथ्स और इंग्लिश से महत्वपूर्ण विषयों में छात्रों की परफॉर्मेंस अच्छी हो।


म्यूजिक और पढ़ाई का कनेक्शन-

कोई भी म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट सीखने के दौरान छात्रों को संगीत चिन्ह पढ़ने होते हैं, आंख और हाथों में समन्वय बनाना होता है, ध्यान से सुनने की क्षमता विकसित करनी होती है, टीम के साथ यंत्र बजाने की प्रैक्टिस और खुद को अनुशासित करना पड़ता है। ये सारी चीजें छात्रों की पढ़ाई के दौरान सीखने की क्षमता बढ़ाती हैं और स्कूल में सीखने के लिए प्रेरित करती है। हालांकि अधिकांश स्कूलों में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट सिखाने वाले ट्रेंड टीचर, उपकरण और बैंड आदि उपलब्ध नहीं होते क्योंकि इसे ज्यादा जरूरी नहीं समझा जाता है। जबकि बच्चों के एकेडमिक परफॉर्मेंस में सुधार में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।


संगीत के अन्य फायदे

संगीत से सीखने की क्षमता और याददाशत दोनों बढ़ती हैं। डिप्रेशन, तनाव, चिंता दूर करने में मदद करता हैं। वर्कआउट के समय म्यूजिक सुनने से आप और एनर्जेटिक बन जाते हैं। गाड़ी चलाते समय धीमी आवाज में म्यूजिक चलाने से मूड अच्छा रहता हैं। रात को मधुर संगीत सुनने से नींद अच्छी आती हैं। अच्छा संगीत आपकी निराशा दूर करके आपको खुश कर देता है। संगीत अकेलेपन का बेहतरीन साथी है। संगीत सुनने से दर्द का अनुभव भी कम होता है।


अपने बच्चे के लिए गाना गाने के कुछ फायदे नीचे दिए गए हैंः 

शब्दावलीः जब आप गाते हैं, तो आप अपने बच्चे की दुनिया  में नए शब्द जोड़ते हैं जिससे उन्हें उनकी शब्दावली में मदद मिलती है। आप संबंधों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, किसी  पक्षी के बारे में गीत गाते समय आप उस पक्षी की तरह का खिलौना अथवा तस्वीर हाथ में ले सकते हैं ताकि आपका शिशु समझ सके कि पक्षी क्या होता है। सुनने के कौशलः गाना एक दूसरा तरीका है जिसके माध्यम से  आपका बच्चा भाषा को और भाषा एवं गीत के माध्यम से व्यक्त की गई भावनाओं को समझना सीखता है, साथ ही साथ उसके सुनने के कौशलों में सुधार होता है। लगावः जब आप अपने बच्चे के लिए गाना गाते हैं, तो आप दोनों के बीच लगाव और अधिक मजबूत होता है। यह अपने शिशु के  लिए प्यार और स्नेह व्यक्त करने का एक तरीका है। दिनचयार्ः यदि आप बच्चे के कपड़े बदलते समय अथवा उन्हें खाना खिलाते समय अथवा उन्हें सुलाते समय प्रतिदिन गाना गाते हैं । तो बच्चे अपनी दिनचर्या को समझने लगते हैं और जान जाते हैं कि  इससे उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा मिलती है। लेकिन यदि आप बहुत अच्छे गायक नहीं है, तो क्या होगा? इसके बारे में चिंता न करें। शिशु ही ऐसे श्रोता होते हैं जो कभी भी बिना किसी आलोचन के आपका गाना सुनते हैं! आप जैसे हैं वे वैसे ही पसंद करते हैं और बहुत से माता पिता पाते हैं कि अपने शिशु के सामने वे बिना किसी आत्म समझ के गा सकते हैं। संगीत प्रत्येक मनुष्य के विकास में सहायक है। बच्चों पर इसका असर अधिक सकारात्मक और प्रभावी है। अगर उन्हें पढ़ाई के साथ संगीत भी सिखाया जाए तो वह परीक्षा में अच्छे नंबर पा सकते हैं। नीदरलैंड्स स्थित वीयू यूनिवर्सिटी ऑफ एम्सटर्डम के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में इसे साबित किया है। शोधकर्ताओं का कहना है, ‘‘संगीत से बच्चों की स्मरण शक्ति और तर्क करने की क्षमता बढ़ती है। यह जानने के बावजूद स्कूलों के सामान्य पाठ्यक्रम में संगीत को जगह नहीं दी जाती। स्कूल में बच्चों के प्रदर्शन पर संगीत के प्रभाव को साबित करने के लिए ही हमने यह शोध किया।‘‘ संगीत सुनने के कई फायदे हैं। यह बात तो सभी को मालूम है पर कोई आपसे पूछ बैठे कि जरा बताइए कि क्या इन फायदों के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है तो आप सोच में पड़ जाएँगे। दरअसल हर तरह के संगीत को सुनने से आप पर अच्छा प्रभाव पड़े यह भी कतई जरूरी नहीं है। तो आइए रॉक म्यूजिक और शास्त्रीय संगीत सुनने से क्या प्रभाव पड़ता है इसे शोध की नजर से देखते हैं। इंटेल इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर ने यह बात शोध से साबित की है। संस्था ने इस शोध में करीब 1500 बच्चों पर अलग-अलग तरह के संगीत का प्रभाव परखा।  शास्त्रीय संगीत के प्रभाव के रूप में यह सामने आया कि इसे सुनने वाले बच्चों के शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं की संख्या अधिक पाई गई। जिन बच्चों में शास्त्रीय संगीत का असर जाँचने के लिए शोध किया गया उनका यह भी कहना था कि इस तरह का संगीत सुनकर वे तनावरहित महसूस करते हैं।  इसके उलट जब तेज आवाज में बजता रॉक म्यूजिक शोध का विषय बनाया गया तो पाया गया कि यह अरुचि ही पैदा करता है। इस तरह का संगीत सुनने वाले युवाओं के लिए एक मॉक टेस्ट रखा गया। इसमें पहले तो युवाओं में तेज रॉक म्यूजिक सुना और फिर ड्राइविंग की। इसपर उन्होंने स्पीड ब्रेकर का ध्यान नहीं रखा और गाड़ी की गति पर भी उनका नियंत्रण नहीं रहा। इस तरह का संगीत सुनने के बाद युवा एक तरह की उत्तेजना में देखे गए।


संगीत रखता है स्वस्थ

संगीत सुनते समय प्रेरणा देने वाले हार्मोन ‘डोपामीन‘ और खुशी के हार्मोन ‘एंड्रोफीन‘ का स्राव होता है. शोध के मुताबिक किसी संगीत को गाते हुए सुनना एक खास तरह का एहसास पैदा करता है. इससे लोगों को सुरक्षा का एहसास होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ती है.। कई शोधों के परिणाम दिखाते हैं कि समूहगान सुनने के बाद मरीज अक्सर बेहतर महसूस करते हैं. संगीत से तनाव के छुटकारे में भी मदद मिलती है.। जर्मनी में हुई एक रिसर्च के मुताबिक संगीत का फायदा उन लोगों को भी होता है जिनके हाथ को लकवा मार चुका है. पियानो बजाने से मरीजों की उगलियों की अच्छी कसरत होती है.। कई संगीत मरीज में संगीत के लिए रुचि और प्रेरणा बने रहने पर वह लकवे के असर को कम कर सकता है. इसके अलावा संगीत के साथ गीत के बोल का भी सकारात्मक असर पड़ता है.। जर्मनी में हुई एसंगीत दिमागी उलझनों को दूर करने में असरदार साबित होता है. वे जो यादाश्त खो बैठते हैं, वे अक्सर समाज से दूर हो जाते हैं. ऐसे में संगीत उन्हें राहत पहुंचा सकता है.सैक्सोफोन जैसे यंत्र बजाने से श्वास तंत्र संबंधी मासपेशियां मजबूत होती हैं. इससे अस्थमा के मरीजों को फायदा हो सकता है.।


तनाव और चिंता को करता है दूर-

जानकारों की मानें तो संगीत सुनने से रोगों से लड़ने की क्षमता (प्उउनदम ैलेजमउ) में इजाफा होता है। नियमित संगीत सुनने दिमागी सुकून तो मिलता ही है, साथ ही ब्रेन फंक्शन भी बेहतर होता है। इससे हमारी सर्जनात्मक क्षमता भी बढ़ती है। 


हाई ब्लड-प्रेशर और स्ट्रोक में मददगार-

रोजाना सुबह-शाम कुछ देर तक संगीत सुनने से उच्च-रक्तचाप का स्तर सुधरता है तो वहीं धीमी गति का संगीत सुनने से स्ट्रोक की समस्या भी दूर होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, संगीत में तीन तंत्रिका तंत्र होते हैं, जिससे दिमागी सुकून मिलता है। स्ट्रोक की स्थिति में बिस्तर पर धीमा संगीत सुनने से आराम मिलता है।


शारीरिक व मानसिक दर्द करता है कम

दर्द चाहे शारीरिक हो या फिर मानसिक, बेहतर संगीत दोनों ही स्थितियों में मनुष्य के लिए लाभदायक रहता है। खासकर मानसिक परेशानी की स्थिति में संगीत किसी जादू की मानिंद काम करता है। एक अध्ययन में पाया गया है कि असहनीय दर्द में जब शख्स को संगीत सुनाया जाता है तो वह अपने दर्द की प्रतिक्रिया देना भूल जाता है। मसलन, बीमार बच्चों को अच्छा संगीत सुनाने से उन्हें इंजेक्शन लगाने के दौरान कम दर्द होता है।


पीठ का दर्द तक करता है कम-

धीमा संगीत सुनने से उच्च-रक्तचाप और दिल की धड़कन भी धीमी हो जाती है। जिससे हम आराम से और बेहतर सांस ले पाते हैं। एक रिसर्च में यह पाया गया है कि जिन लोगों को बैक सर्जरी के बाद म्यूजिक थैरेपी दी गई उन्हें सर्जरी के बाद बैकपेन में बहुत राहत मिली।


बढ़ाता है याददाश्त--

अगर आप अपनी पसंद का धीमा संगीत सुनते हैं तो पढ़ा हुआ बेहतर याद रहता है। पसंदीदा म्यूजिक सुनने से स्ट्रोक का खतरा कम होता है और ध्यान में भी एकाग्रता लाता है। 


नींद अच्छी आती है-

अगर आप अनिद्रा की समस्या से जूझ रहे हैं तो सोते समय सुखदायक संगीत सुनना शुरू कर दीजिए। एक सुखद नींद के लिए सोने से पहले 30-45 मिनट का संगीत सुनने की आदत अवश्य डालें। रॉक या रेट्रो म्यूजिक से रात को दूर रहे, नहीं तो परिणाम विपरीत भी आ सकते हैं। सोने से कुछ समय पहले शास्त्रीय संगीत को सुनें, क्योंकि शास्त्रीय संगीत सहानुभूति तंत्रिका तंत्र की गतिविधि को कम करके चिंता को घटाता है। मांसपेशियों को आराम देता है और उन विचारों की व्याकुलता को दूर करता है जो आपके सोने में बाधक है। 


संगीत कम खाने में मददगार है-

भोजन के दौरान अगर सॉफ्ट म्यूजिक सुना जाये तो खाना खाने वाले का पेट जल्दी भरता है। संगीत ऐसे लोगों को जागरूक बनाता है कि आपका पेट भर चुका है। एक शोध से यह सामने आया है कि संगीत कैलोरी के सेवन को कम करके संयमी बनाने में मदद करता है। चिंता में व्यक्ति कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त भोजन को खाने की ज्यादा इच्छा रखता है। जैसा की आप जानते हैं संगीत से चिंता भी दूर होती है और इससे आपको स्वस्थ खाने में मदद मिल सकती है।


आउट डोअर जीम स्थापित करने का श्रेय लेने में पीछे नही रही कांग्रेस-

  • प्रदेष के खेल एवं युवक मंत्रालय की सौगात को भुना रहे झाबुआ विधायक- लक्ष्मणसिंह नायक

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झाबुआ ।  कांग्रेस पार्टी हमेशा से ही भाजपा द्वारा किये जाने वाले कल्याणकारी एवं जनहितैषी कामों के लिये  श्रेय लेने में कोई कसर बाकी नही रखती है। जबकि वास्तविकता जनता एवं प्रशासन पूरी तरह जानते है । झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया द्वारा युवक कांग्रेस के माध्यम से अपनी वाह वाही कराने की दृष्टि से समाचार माध्यमों में प्रेसनोट जारी करवा कर झुठी वाहवाही लूटने का प्रयास किया गया है । जिला भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मणसिंह  नायक एवं जिला भाजपा मिडिया प्रभारी योगेन्द्र नाहर ने बताया कि प्रदेश के खेल एवं युवक कल्याण विभाग के माध्यम से झाबुआ नगर में डिग्री कालेज मेैदान पर युवाओ, गुड मार्निग क्लब के सदस्यों, बच्चों एवं महिलाओं के लिये ओपन जीम के तहत 11 एक्सरसाईज की मशीने  दो दिन पूर्व ही स्थापित की गई है। और गुड मार्निग क्लब सहित युवा वर्गो एवं बच्चों एवं महिलाओं की सुविधा को देखते हुए विगत दिनों जिले के भ्रमण पर आये प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा एवं  कोविड प्रभारी मंत्री हरदीपसिंह डंग से विस्तार से चर्चा करके झाबुआ में तीन स्थानों पर आउट डोअर जीम स्थापित करने की मांग की गई थी, जिस पर मंत्रीजी ने यथाशीघ्र इसे  स्थापित करवाने एवं क्रियान्वित करने का भरोसा दिया था और भाजपा की मांग पर ही जनहित में खेल एवं युवक कल्याण मंत्रालय द्वारा स्थानीय महाविद्यालय के खेल मैदान के अलावा पुलिस गार्डन में ऐसे यंत्रो,मशीनों को स्थापित किया गया हेै । जिले के पुलिस अधीक्षक द्वारा इस दिशा में काफी योगदान दिया है । भाजपा जिलाध्यक्ष के अनुसार साथ ही प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार द्वारा इस अंचल में खेल गतिविधियों को बढावा देने के लिये भी  कदम उठाने जारही है । श्री नायक ने बताया कि तीन में दो स्थानों पर ये जीम स्थापित हो चुकी है तथा एक स्थान का चयन कर वहां भी ये सुविधा उपलब्ध कराइ्र्र जाना है। शासकीय महाविद्यालय खेल मैदान में पिछले तीन दिनों से स्थापित आउट डोअर जीम पर बडी संख्या में युवक, महिलायें, चिकित्सक एवं गुड मार्निंग क्लब के सदस्य इसका सदुपयोग कर रहे है। श्री नायक ने बताया कि प्रदेश की भाजपा सरकार जिले के सभी तहसील एवं ब्लाकों में भी इस तरह की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये कृत संकल्पित है । उक्त जानकारी जिला भाजपा मीडिया प्रभारी योगेन्द्र नाहर ने


अतिथि शिक्षकों के दो माह के भुगतान को लेकर बीइओ को दिया ज्ञापन, कन्या उमावि प्राचार्य की मनमानी बिना प्रभार दिए रहते है गायब


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थांदला। कोरोना संक्रमण के दौरान अनेक शासकीय कर्मचारी छुट्टी पर होने के बावजूद मध्यप्रदेश शासन ने उन्हें वेतन दिया है लेकिन जो अतिथि व अन्य शिक्षक है उन्हें वेतन के लिए जद्दोजहद करना पड़ रही है। एक ओर प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय के सभी अतिथि शिक्षक पूरी तरह से बेरोजगार हुए उन्हें शासन ने भी कोई मदद नही की वही दूसरी ओर उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय के भी अधिकांश अतिथि विद्वानों का पत्त्ता कट गया। कुछ शिक्षकों ने कोरोना संक्रमण में बहुत ज्यादा  काम किया लेकिन वेतन उन्हें भी वेतन देने में संकोच हो रहा है। सूत्रों की माने तो अतिथि विद्वानों ने माह मई व जून में सभी ऑन लाइन कार्य से लेकर परीक्षा परिणाम तक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ऐसे में शाशकीय शिक्षकों व प्रभारी प्राचार्यो के अलावा सभी जिम्मेदार उनके दम पर कार्य की पूर्णाहुति कर वेतन पा रहे है पर इनकी पीड़ा किसी भी अधिकारी को नजर नही आई। भोपाल जनजाति आयुक्त ने अपने पत्र में इसे लेकर आपत्ति भी दर्ज करते हुए कहा कि सभी अतिथि विद्वानों को वेतन देने सुनिश्चित किया जाए। थांदला ब्लॉक के अतिथि विद्वानों ने हक की आवाज बुलंद करते हुए एक आवेदन स्थानीय बीइओ एस एन श्रीवास्तव को सौंपा व माह मई व जून के शीघ्र भुगतान की मांग की। इस संदर्भ में बीइओ ने बताया कि श्रीमान सहायक आयुक्त झाबुआ के निर्देश को सभी प्राचार्यो तक पहुँचा कर जल्द बिल प्रस्तुत करने की सिफारिश की है।


कन्या उमावि प्राचार्य की मनमानी उपस्थित शिक्षकों के वेतन काटे

एक ओर जहाँ उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य पी एन श्रीवास्तव ने सभी अतिथि विद्वानों की बात पर सहमति जताई है व उन्हें हक का पैसा मिलने की वकालत की है वही दूसरी ओर कन्या उच्चत्तर माध्यमिक विद्यायल के प्राचार्य एस कुमार के व्यवहार से अधिकांश अतिथि शिक्षक परेशान नजर आए। अतिथि शिक्षकों ने बताया की सभी अतिथि शिक्षकों को नियमानुसार 4 पीरियड पढ़ाने होते है जबकि उन पर दबाव बनाकर 5 पीरियड पढ़ाये जाते है, वही वे शाला में उपस्थित होते है बावजूद इसके उनका वेतन काट लिया जाता है। एक अतिथि विद्वान के 3 हजार तो एक के 6 हजार रुपये तक काट लिए गए। इस संदर्भ में कन्याशाला प्रभारी प्राचार्य से जब चर्चा करने गये तब वे विद्यालय में बिना किसी को प्रभार दिए नदारद दिखाई दिए। सूत्रों का कहना है कि वे जिले से बाहर होकर आना जाना करते है ऐसे में अधिकांश समय बाहर ही रहते है। इस संदर्भ में उनके अवकाश पर होने की जानकारी चाही गई तब बीइओ व जिला सहायक आयुक्त ने भी अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए विभाग में उनकी सीएल आवेदन आने की जाँच के बाद उचित कार्यवाही करने की बात कही  गई। जब एक शिक्षक अवकाश पर जाता है तो उपस्थिति पंजी में तत्काल सीएल लगा दी जाती है तो प्राचार्य के नदारद रहने पर उपस्थिति पंजी में सीएल लगना ही चाहिए वही उनके द्वारा अन्य सीनियर शिक्षक को प्रभार देकर ही कही जाना चाहिये। वही आपको बता दे कि शासन के नवीन नियमों के अनुसार संस्था प्रमुख को कर्तव्य स्थल पर ही शासकीय आवास दिया जाता है वही उन्हें अन्य किराये के आवास पर रहने के लिए भत्ता दिया जाता है जबकि किसी के पास निजी घर हो तो उसे उपर्युक्त सुविधा नही दी जाती। नियमों को अनदेखी करते हुए संस्था प्रमुख अन्य जिलें में निवास करते है वही उनके सीएल पर जाने से अन्य को प्रभार नही दिया जाना उनके कार्य के प्रति लापरवाही दर्शाता है। ऐसे में जिला सहायक आयुक्त अथवा भोपाल आयुक्त क्या निर्णय ले पाएंगे यह आने वाले समय मे पता चलेगा।


जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक 15 जुलाई 2021 को आयोजित


झाबुआ। जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक 15 जुलाई 2021 को आयोजित की गई है। जिले में आगामी त्यौहार दिनांक 21.07.2021 को ईदुज्जुहा व दिनांक 22.08.2021 को रक्षाबंधन एवं आगामी दिनों में आने वाले पर्वो जैसे जन्माष्टमी, आदिवासी दिवस, गणेश चतुर्थी, मोहर्रम, ढोलग्यारस, दीपावली आदि पर्व हेतु जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक समय अप. 5.30 बजे स्थान कलेक्टोरेट सभाकक्ष झाबुआ में रखी गई है। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस झाबुआ, थांदला, पेटलावद, एवं पुलिस थाना प्रभारी झाबुआ, राणापुर, कालीदेवी, रायपुरिया, थांदला मेघनगर, कल्याणुपरा अपने क्षेत्र में जिला स्तरीय शांति समिति की बैठक के सदस्यों को अपने स्तर से कृपया सूचित करने का कष्ट करेंगे।


कोविड गाइड लाइन का पालन करें-कलेक्टर

  • गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालय के पदाधिकारी के साथ बैठक

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झाबुआ। कलेक्टर श्री सोमेश मिश्रा की अध्यक्षता मे दिनांक 12 जुलाई 2021 को सत्र 2021-22 में गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालय द्वारा प्रभारित फीस के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक आयोजित थी। इस बैठक में अपर कलेक्टर श्री जे.एस.बघेल, सहायक आयुक्त जनजातीय कार्यविभाग श्री प्रशांत आर्या, जिला समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान श्री एल.एन.प्रजापती, अशासकीय विद्यालय के जिला संरक्षक श्री ओमप्रकाश शर्मा, अध्यक्ष श्री राजेश पालिवाल, फादर स्टेफन, श्री गोपाल चैधरी एवं बडी संख्या में जिले के अशासकीय विद्यालयों के पदाधिकारी, प्राचार्य उपस्थित थे। बैठक में श्री मिश्रा द्वारा अनुरोध किया कि प्रथम रूप से आप अपना वैक्सीनेशन करवाये इसके पश्चात आप अपने परिवार का भी अनिवार्य रूप से वैक्सीनेशन करवाए। तीसरी लहर जो आने की संभावना है उसमें बच्चे ज्यादा प्रभावित होंगे। जिला स्तर से इस संबंध में कार्यवाही प्रारंभ कर बच्चो हेतु 20 बेड आय.सी.यू. रूम की व्यवस्था एवं अतिरिक्त संभावित सुविधा उपलब्ध की जा रही है। मास्क लगाने एवं सोशल डिस्टेंशीग के लिये व्यापक रूप से कार्यवाही एवं प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। आप भी आनलाइन गतिविधियों के दौरान कोविड-19 की गाइड लाइन का पालन करवाने के लिये अपना योगदान दे एवं अभियान चलाए। जिला समन्वयक श्री एल.एन. प्रजापती द्वारा स्कुल शिक्षा विभाग के आदेश दिनांक 8/7/2021 के संबंध में प्राप्त निर्देश जिसमें सत्र 2021-22 में गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालय द्वारा प्रभारित फीस के संबंध में अवगत कराया। जिसमें मुख्य रूप से कोविड-19 महामारी के कारण लाकडाॅउन अवधि में तथा उसके पश्चात गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयो की शैक्षणिक सत्र 2019-20 एवं 2020-21 की फीस के भुगतान के सम्बन्ध में माननीय उच्च न्यायालय मुख्य खण्डपीठ जबलपुर द्वारा याचिका क्रमांक 9293/2020 एवं अन्य समरूप प्रकरणों में पारित निर्णय दिनांक 4/11/2020 के पालन के अनुक्रम में दिशा-निर्देश जारी किये गये थे। साथ ही परिपत्र दिनांक 1/3/2021 द्वारा शैक्षणिक सत्र 2021-22 के संबंध में निर्देशित किया गया था कि अशासकीय विद्यालय प्रबंधंन द्वारा सत्र 2020-21 हेतु यथा सूचित एवं नियत की गयी फीस का अभिभावको द्वारा देय समय अनुसार भुगतान किया जाना होगा। (2) कोविड-19 संक्रमण की द्वितीय लहर एवं इसके कारण जनित परिस्थितियों के दृष्गित माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णय दिनांक 4/11/2020 के अनुक्रम में शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिये निम्नानुसार निर्देश जारी किये गये हैः- 2.1 आगामी आदेश तक गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों के प्रबंधन द्वारा शिक्षण शुल्क के अतिरिक्त अन्य कोई फीस छात्रों/अभिभावकों पर प्रभारित नहीं की जायेगी। शैक्षणिक सत्र 2020-21 के सबंध में जारी विभागीय समसंख्यक परिपत्र दिनांक 01.03.2021 द्वारा जारी निर्देश की कण्डिका 2 की उपकण्डिका 4 को आगामी आदेश तक निष्प्रभावी किया जाता है। 2.2 शैक्षणिक सत्र 2021-22 में आगामी आदेश तक कोई फीस वृद्धि नहीं की जा सकेगी। अशासकीय विद्यालयों के द्वारा फीस वृद्धि के संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा जारी निर्देश क्रमांक/मान्यता/फीस विनियम/2021/880 दिनांक 29.06.2021 आगामी आदेश तक निष्प्रभावी किया जाता है। 2.3 शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए यदि किन्ही अशासकीय विद्यालयों द्वारा फीस वृद्धि की गई है तो ऐसी वृद्धि के फलस्वरूप एकत्र की गई फीस की राशि को संबंधित छात्रों की आगामी देय फीस से समायोजित की जाये। उपर्युक्तानुसार निर्देशों प्रदेश के समस्त सीबीएसई, आईसीएसई, म.प्र.माध्यमिक शिक्षा मण्डल एवं अन्य बोर्ड से संबंद्ध गैर अनुदान प्राप्त अशासकीय विद्यालयों पर समान रूप से लागू होंगे। कृपया उपर्युक्तानुसार निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया जाए। बैठक में अशासकीय विद्यालय के जिला संरक्षक श्री ओमप्रकाश शर्मा बताया कि बच्चों के सर्वागीण विकास के लिये स्कुल खोले जाने की अनुमति दी जाना चाहिये। शाला में बच्चों को मास्क एवं कोविड-19 के गाइड लाईन का पालन हमारे द्वारा किया जावेगा।  अशासकीय विद्यालय के जिला अध्यक्ष श्री राजेश पालिवाल ने बताया कि अशासकीय विद्यालय के शिक्षकों को इस दौरान काफी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। जो शिक्षक इस नौकरी के ही भरोसे अपना परिवार का भरण-पौषण कर रहे थे। स्कुल का प्रारम्भ कर उन्हें राहत दी जाना चाहिये। कलेक्टर महोदय द्वारा बताया कि इस संबंध में हम शासन को अवगत कराएंगे।बैठक धन्यवाद के साथ समाप्त हुई।


म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में दिनांक 22.01.2021 से संषोधन


झाबुआ। सर्वसाधारण को सूचित किया जाता है कि म.प्र.शासन खनिज साधन विभाग मंत्रालय भोपाल के पत्र क्रमांक 1081/888/2021 भोपाल दिनांक 05.03.2021 द्वारा म.प्र. गौण खनिज नियम 1996 में दिनांक 22.01.2021 से संषोधन किया गया है। संषोधित नियम 29 के उपनियम 6 में प्रतिस्थापित किया गया है कि ‘‘अन्य राज्यों से परिवहित होकर आने वाले गौण ख्निज पर रूपये 25/- प्रति घ.मी. की दर से विनियमन शुल्क (त्महनसंजपदह थ्ममे) विहित प्रकियां अनुसार लिया जाएगा।‘‘ विनियमन शुल्क के संग्रहण हेतु विभागीय पोर्टल ई-खनिज में आई.एस.टी.पी. (इंटर स्टेट ट्रांजिट पास) माॅड्यूल उपलब्ध कराया गया है। इस माॅड्यूल के अंतर्गत अन्य राज्यों के गौण खनिज परिवहनकर्ता को सर्वप्रथम रजिस्ट्रेषन कराना अनिवार्य है। रजिस्ट्रेषन उपरांत फीस इत्यादि की जानकारी भरने के पष्चात निर्धारित मात्रा के अनुसार आॅनलाईन भुगतान की व्यवस्था भी माॅड्यूल में प्रदान की गई है। परिवहनकर्ता द्वारा खनिज परिवहन से सम्बंधित जानकारी एवं शुल्क के भुगतान पष्चात आई.एस.टी.पी. पास जारी होगा। आई.एस.टी.पी. माॅड्यूल विभागीय पोर्टल ूूूण्माींदपरण्उचण्हवअण्पद पर उपलब्ध है। आई.एस.टी.पी. के सम्बंध में जानकारी काॅल सेंटर नंबर 0755-2550104 से प्राप्त की जा सकती है इस सम्बंध में कोई भी व्यक्ति जानकारी कार्यालय कलेक्टर जिला झाबुआ की खनिज शाखा में कार्यालयीन समय में उपस्थित होकर प्राप्त कर सकता है। उपरोक्त के सम्बंध में खनिज अधिकारी जिला झाबुआ द्वारा एक कार्यषाला का आयोजन दिनांक 23.07.2021 को दोपहर 2ः00 से 3ः00 बजे तक कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में किया गया है। सम्बंधित व्यापारी/परिवहनकर्ता कार्यषाला में उपस्थित होकर जानकारी प्राप्त कर सकते है।


माॅडल विकास खण्ड झाबुआ हेतु विभिन्न योजनाओं में लक्ष्य प्राप्त


झाबुआ । सहायक संचालक उद्यान ने अवगत कराया कि माॅडल विकास खण्ड झाबुआ हेतु, उद्यानिकी विभाग द्वारा उद्यानिकी मिशन योजनान्तर्गत वर्ष 2021-22 में सब्जी क्षेत्र विस्तार 67.00 हेक्टेयर, मसाला क्षेत्र विस्तार में 117.00 हेक्टेयर, जैविक खेती वर्मी बेड 122 इकाई का निर्माण, फल क्षेत्र विस्तार आम 1.30 हेक्टेयर,फल क्षेत्र विस्तार अनार 1.30 हेक्टेयर, फल क्षेत्र विस्तार नीम्बू 1.30 हेक्टेयर फल क्षेत्र विस्तार संतरा 1.40 हेक्टेयर, संरक्षित खेती में प्लास्टिक मल्चिंग 3.80 हेक्टेयर के भौतिक लक्ष्य प्राप्त हुवे है। योजना में किसानों को लाभ लेने के लिए कृषकों को खाता खसरा नकल, बैंक पास बुक, मोबाईल नम्बर, पासपोर्ट साईज की फोटो, आधार कार्ड, इत्यादि दस्तावेजो के साथ आवेदन आॅनलाईन एमपीएफएसटीएस पोर्टल पर किए जा सकते है। अधिक जानकारी शासकीय पौधशाला झाबुआ में एवं कार्यालय सहायक संचालक उद्यान झाबुआ में सम्पर्क कर सकते है।


एमपी पीएससी की राज्य सेवा प्रारंभिक, परीक्षा के प्रवेश पत्र वेबसाइट पर उपलब्ध


झाबुआ। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा-2020 रविवार 25 जुलाई 2021 को आयोजित होगी। इस परीक्षा के लिये आयोग द्वारा प्रवेश पत्र वेबसाइट www-mppsc-nic-in  www-mppsc-com  और  www-mponline-gov-in पर अपलोड कर दिये गये हैं। प्रारंभिक परीक्षा दो सत्रों में आयोजित होगी। सामान्य अध्ययन का प्रथम प्रश्न पत्र का समय प्रातः 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक तथा सामान्य अभिरूचि परीक्षण का द्वितीय प्रश्न पत्र अपरान्ह 2.15 बजे से शाम 4.15 बजे तक आयोजित होगा। यदि इस परीक्षा में सम्मिलित होने वाला कोई भी अभ्यर्थी परीक्षा के पूर्व कोविड संक्रमित हो जाता है तो उन्हें इसकी जानकारी संबंधित संभागायुक्त या कलेक्टर कार्यालय के परीक्षा प्रभारी अथवा संबंधित केन्द्र अधीक्षक को आरटीपीसीआर रिपोर्ट के साथ देना होगी तथा वहाँ से प्राप्त अनुदेशों का अनुपालन करते हुए निर्दिष्ट परीक्षा केन्द्र पर परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।


वैध रायल्टी के अभाव में ट्रक जप्त

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झाबुआ। तहसीलदार रामा श्री आशिष राठौर द्वारा पारा क्षैत्र में दिनांक 9 जुलाई को  रैत से भरे 4 वाहनों की जांच की जिसमें से 3 वाहनों की वैध रायल्टी पाए जाने पर उन्हें जाने दिया गया एवं एक ट्रक की वैध रायल्टी नहीं होने के कारण उसे जप्त कर माइनिंग इस्पेक्टर के साथ थाने के सुपूर्दगी में दिया गया। 

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