भारत का पहला चावल का साइलो गोदाम बक्सर एवं कैमूर में बनेगा : अश्विनी चौबे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 23 अगस्त 2021

भारत का पहला चावल का साइलो गोदाम बक्सर एवं कैमूर में बनेगा : अश्विनी चौबे

  • - पायलट प्रोजेक्ट के रूप में हो रहा है शुरू।

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पटना,  केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य व सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि भारत का पहला चावल का साइलो गोदाम बक्सर इटाढ़ी के बैरी व कैमूर मोहनिया के सोंधियारा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू होगा।  आज इसकी जानकारी डुमरांव में आयोजित प्रेस वार्ता में केंद्रीय राज्यमंत्री श्री चौबे ने पत्रकारों को दी। उन्होंने कहा कि शाहाबाद का क्षेत्र धान के कटोरा के रूप में जाना जाता है। इसके शुरू होने से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। यह गोदाम 11 एकड़ में बनेगा। 33 करोड़ की लागत अनुमानित है। 12500 मेट्रिक टन की क्षमता होगी। साथ ही दोनों जगहों पर गेहूं का 37500 मेट्रिक टन की क्षमता साइलो गोदाम बनेगा। इसे साइंटिफिक तरीके से बनाया जाएगा। गोदाम में रखा गया अनाज वर्षों बाद भी खराब नहीं होगा। इसे भारतीय खाद्य निगम द्वारा तैयार किया जायेगा। गेंहू के लिए बिहार के 27 जिलों में साइलो गोदाम के लिए सर्वेक्षण कर लिया गया है। यह 50,000 मेट्रिक टन का होगा।  इस मौके पर केंद्रीय राज्यमंत्री श्री चौबे ने कहा कि केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ पौष्टिकता सुरक्षा का भी अब गारंटी लेगा। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर प्रधानमंत्री ने कुपोषण को खत्म करने के लिए फोर्टीफाइड राइस उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। सरकारी योजनाओं के तहत जो चावल का वितरण होता है, उसमें पोषण युक्त चावल भी होगा। पोषण युक्त चावल में आयरन, जिंक, फोलिक एसिड एवं अन्य विटामिन होता है।  पत्रकारों को संबोधित करते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री श्री चौबे ने कहा कि बक्सर, कैमूर एवं रोहतास में सर्दी के मौसम में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए पर्यावरण एवं पर्यटन के दृष्टिकोण से इको सर्किट का निर्माण कराने का विचार है। गोकुल जलाशय झील बक्सर जिले में एक महत्वपूर्ण जगह है। इसे पर्यावरण व पर्यटन के रूप में विकसित करने की संभावना है। इसे लेकर कार्य को गति प्रदान किया जायेगा। इस मौके पर भारतीय खाद्य निगम के जनरल मैनेजर संजीव कुमार बदानी उपस्थित थे।

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