हंस प्रकाशन से छपी किताबों की दुर्लभ प्रतियां सहेजने का खास मौका - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 14 अगस्त 2021

हंस प्रकाशन से छपी किताबों की दुर्लभ प्रतियां सहेजने का खास मौका

  • · अमृतराय की जन्मशती पर  राजकमल प्रकाशन समूह ने पाठकों के लिए घोषित की विशेष योजना ।
  • · प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान और अमृतराय के साहित्य का प्रामाणिक प्रकाशक है हंस प्रकाशन ।
  • · अमृतराय द्वारा स्थापित हंस प्रकाशन अब राजकमल प्रकाशन समूह का अंग है ।

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नई दिल्ली: हंस प्रकाशन से प्रकाशित किताबों की दुर्लभ प्रतियां पाठकों को उपलब्ध कराने के लिए राजकमल प्रकाशन समूह ने प्रसिद्ध लेखक अमृतराय की जन्मशती के अवसर पर विशेष योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत हंस प्रकाशन के किताबों की दुर्लभ प्रतियां विशेष छूट पर मंगाई जा सकेंगी, यह योजना अमृतराय की जयंती 15 अगस्त से 15  सितंबर 2021 तक चलेगी। राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, हंस प्रकाशन अब राजकमल प्रकाशन समूह का अंग है। इसकी ख्याति प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान और अमृतराय की पुस्तकों के प्रामाणिक प्रकाशक के बतौर रही है. इन लेखकों की सभी पुस्तकों के अलावा अन्य कई दिग्गज रचनाकारों की महत्वपूर्ण कृतियां भी यहां से प्रकाशित हैं। उन्होंने कहा, अमृतराय एक महत्वपूर्ण रचनाकार हैं, उनकी लिखी प्रेमचंद की बेजोड़ जीवनी 'कलम का सिपाही' और हावर्ड फास्ट के उपन्यास स्पार्टाकस का 'आदिविद्रोही' नाम से किया गया अनुवाद इतने चर्चित हुए कि उनकी अन्य पुस्तकों की ओर व्यापक पाठक वर्ग का ध्यान बहुत कम  गया। ऐसे में उनकी जन्मशती के अवसर हमने अमृतराय की पुस्तकें सबको सुलभ कराने की विशेष पहल की है। हंस प्रकाशन की स्थापना अमृतराय ने ही की थी. इसके प्रकाशनों के पीछे उनकी प्रेरणा और दृष्टि का योगदान रहा है. इसलिए हम हंस प्रकाशन से छपी प्रेमचंद, सुभद्रा कुमारी चौहान और अन्य साहित्यकारों की पुस्तकों की दुर्लभ प्रतियां भी इस योजना के तहत उपलब्ध करा रहे हैं।


संग्रहणीय हैं हंस प्रकाशन से छपी किताबें

राजकमल प्रकाशन समूह के प्रबंध निदेशक अशोक महेश्वरी ने कहा, हंस प्रकाशन से प्रकाशित सभी पुस्तकें पठनीय तो हैं ही, अपनी विशिष्ट साज सज्जा के कारण हिंदी प्रकाशन जगत में इनकी विशेष पहचान रही है. इस कारण ये संजो कर रखने लायक भी हैं।उन्होंने कहा, अपनी योजना के तहत हम इन पुस्तकों के मूल संस्करण की दुर्लभ प्रतियां उपलब्ध करा रहे हैं। इनके आवरण अत्यंत कलात्मक हैं, दरअसल ये प्रतियां दुर्लभ धरोहर की श्रेणी में हैं, जिन्हें हरेक साहित्य और पुस्तक प्रेमी अपने संग्रह में रखना चाहेंगे. ये सीमित संख्या में बची हैं। पाठक ये किताबें राजकमल प्रकाशन समूह की वेबसाइट पर ऑर्डर कर मंगा सकते हैं. समूह की सभी शाखाओं पर भी ये उपलब्ध होंगी. पुस्तकें ऑनलाइन साइट पर भी उपलब्ध रहेंगी. मूल संस्करण में उपलब्ध पुस्तकों की सूची 14 अगस्त को जारी की जाएगी.

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